Utrakhand Latest News in Hindi: उत्तराखंड में शुक्रवार बद्रीनाथ धाम में हिमस्खलन हुआ, जिसमें 57 मज़दूर फंस गए, जिसमे चार मजदूरो की मौत हो गई। वही अब तक 32 को सुरक्षित निकाल लिया गया है, जबकि 25 अभी भी बर्फ में दबे हुए हैं। राहत कार्य जारी है, लेकिन सरकार और प्रशासन की सुस्त रफ्तार ने सवाल खड़े कर दिए हैं। बता दे, बद्रीनाथ धाम में हिमस्खलन की घटना कोई नई बात नही है।
क्या बद्रीनाथ धाम में हिमस्खलन में सरकार से चूक हुई?
उत्तराखंड में हिमस्खलन और भूस्खलन की घटनाएँ नई नहीं हैं। इसके बावजूद, बद्रीनाथ जैसे संवेदनशील क्षेत्र में ठोस सुरक्षा उपाय क्यों नहीं किए गए?
- बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) द्वारा चल रहे निर्माण कार्य में सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया।
- मज़दूरों को खराब मौसम के बावजूद बिना सुरक्षा इंतजामों के काम पर लगाया गया।
- आईटीबीपी और एनडीआरएफ़ को देर से बुलाया गया, जिससे बचाव कार्य में देरी हुई।
- बर्फबारी से रास्ते बंद हो चुके हैं, लेकिन सरकार का कोई पूर्व नियोजन नहीं था।
badrinath dham news: मज़दूरों की जान की कीमत पर लापरवाही!
मज़दूरों के परिवार रो रहे हैं, लेकिन सरकार की सुस्त नीति सवालों के घेरे में है। जोशीमठ आपदा के बाद भी उत्तराखंड सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा। बद्रीनाथ धाम में हिमस्खलन में जिन 04 मजदूरो की मौत हुई है, क्या उनकी जान की कोई कीमत नहीं है? यह घटना यह बताती है कि सब कुछ होने के बाद सरकार नीद से जागी है।
“हमें एक दिन पहले ही कहा गया था कि बर्फबारी हो सकती है, लेकिन हमें काम जारी रखने को कहा गया। अब हमारे साथी कहाँ हैं, हमें नहीं पता!” – एक बचाए गए मज़दूर का बयान।
बद्रीनाथ मार्ग से जुड़ी खबरें: कौन ज़िम्मेदार?
बद्रीनाथ मार्ग पर लगातार भारी बर्फबारी और भूस्खलन हो रहा है। इसके बावजूद मज़दूरों को खुले आसमान के नीचे काम करने दिया गया। क्या उत्तराखंड प्रशासन का ध्यान सिर्फ़ चार धाम यात्रा से होने वाली कमाई पर ही है?
- बद्रीनाथ मार्ग को सुरक्षित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
- बचाव कार्य धीमा है क्योंकि सरकार के पास हेलीकॉप्टर ऑपरेशन की पुख्ता व्यवस्था नहीं है।
- स्थानीय लोगों ने प्रशासन को पहले ही चेताया था, लेकिन इसे नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
Badrinath Temperature और बचाव कार्य की मुश्किलें
- बद्रीनाथ का तापमान -10 डिग्री तक गिर चुका है, जिससे फंसे मज़दूरों की जान को खतरा बढ़ रहा है।
- बर्फबारी इतनी तेज़ है कि राहत दल भी धीमी गति से काम कर पा रहे हैं।
- हेलीकॉप्टर से बचाव संभव नहीं, क्योंकि मौसम अनुकूल नहीं है।
सरकार को अब जवाब देना होगा!
उत्तराखंड सरकार को जवाब देना चाहिए:
- मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद मज़दूरों को क्यों रोका नहीं गया?
- बचाव कार्य धीमा क्यों है?
- जोशीमठ त्रासदी से सरकार ने क्या सीखा?
- बद्रीनाथ में भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों, इसके लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?
उत्तराखंड न्यूज़ टुडे – मौसम विभाग के पूर्वानुमान को गंभीरता से नही लेना, पड़ा भारी
उत्तराखंड न्यूज़ टुडे के अनुसार, बद्रीनाथ धाम में हिमस्खलन से अब तक 04 मजदूरो की मौत हो गई, 32 मज़दूरों को बचाया जा चुका है, लेकिन 25 अभी भी लापता हैं। सरकार को चाहिए कि वह मौसम पूर्वानुमान को गंभीरता से ले और मज़दूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगे।
यह केवल बद्रीनाथ धाम में हिमस्खलन की आपदा नहीं, बल्कि सरकार की लापरवाही का नतीजा है। मज़दूरों की ज़िंदगी से खेलना बंद कीजिए, नहीं तो जनता सरकार से एक-एक सवाल का जवाब मांगेगी!