28 फरवरी 2025 दिन शुक्रवार, अंग्रेजी में बोले तो फ्राइडे! इस ब्लैक फ्राइडे का कहर इतिहास में एक काले दिन के रूप में दर्ज हो गया। आज का दिन निवेशकों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा।
30 सालों में यह सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है, जिसने निवेशकों को सकते में डाल दिया है। सेंसेक्स 1,400 अंक और निफ्टी 420 अंक गिरकर बंद हुआ, जिससे लाखों निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। बाजार विशेषज्ञ इस गिरावट को कई कारकों से जोड़ रहे हैं, लेकिन सरकार की निष्क्रियता और गलत आर्थिक नीतियों की ओर भी सवाल उठ रहे हैं।
अरे सरकार हम पर नाराज मत होइए, ई हम नही कह रहे है हमको अपना घर थोड़े तुड़वाना है। हम तो वही कहते है जो आप कहते है। आप ने कहा गंगा साफ है हमने भी कहा साफ है। आपने कहा थाली बजाओ, हमने बजाया। आपने कहा ताली बजाओ! हमने ताली बजाया, और यह ताली उस दौरान हमने बजाया जब हमारे अपने लोग तड़प-तड़प कर मर रहे थे। आप ने कहा शेयर बाजार में पैसा लगाओ, हमने लगाया।
एक भाई ने एक चिट्ठी आपके लिए लिखी है। “आज के जमाने मे चिठ्ठी!” आप यही सोच रहे है दरअसल यह भाई कुंभ नहाने गया था। वही मां गंगा के किनारे, बेचारे का मोबाइल वही कही गुम हो गया। आप समझ रहे है न। अरे बहुतों के परिवार वाले ही गुम हो गए, इस बेचारे का तो केवल मोबाइल ही गुम हुआ।
प्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी,
आज मैं आपको एक चिट्ठी लिख रहा हूँ, क्योंकि मेरी आवाज़ कहीं और नहीं सुनी जाएगी। शेयर बाजार की चमक-दमक के पीछे जो काला सच छिपा था, वह आज ‘ब्लैक फ्राइडे’ के दिन सबके सामने आ गया। आपने कहा था, “अच्छे दिन आएंगे,” लेकिन हकीकत में आए ‘सबसे बुरे दिन’।
ब्लैक फ्राइडे का कहर ऐसा कि शेयर बाजार ने सब कुछ निगल लिया!
29 साल बाद, भारतीय शेयर बाजार ने इतनी भयानक गिरावट देखी। सेंसेक्स 1414 अंक गिरकर 73,198.10 पर बंद हुआ और निफ्टी 420.35 अंक टूटकर 22,124.70 पर आ गया। 6 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए। यह सिर्फ नंबर नहीं हैं, यह उन करोड़ों भारतीयों की मेहनत की कमाई है जो आपने ‘निवेश का सपना’ दिखाकर बाज़ार में उतार दिए।
आपके भाषणों ने हमें फँसा दिया!
आपने बार-बार कहा कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनेगा, लेकिन हम उल्टा 1 ट्रिलियन डॉलर नीचे चले गए। आपने कहा कि ‘स्टॉक मार्केट भविष्य है,’ लेकिन यह भविष्य तो हमारी जेबें खाली कर गया। आपने कहा कि ‘अच्छे दिन आएंगे,’ लेकिन आज हम जिन हालात में हैं, वह भयानक हैं।
स्टॉक मार्केट: अमीरों का जुआ या गरीबों की कब्रगाह?
बाजार गिरा, लेकिन इसमें नुकसान किसका हुआ? छोटे निवेशकों का। जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई से पैसा लगाया था, वे बर्बाद हो गए।
- बड़े उद्योगपतियों के लिए यह मौका था – गिरावट में भी वे मुनाफा कमा रहे हैं।
- विदेशी निवेशकों ने पैसा निकाला और छोटे निवेशक लुट गए।
- सरकार मूकदर्शक बनी बैठी है, क्योंकि बाजार के असली खिलाड़ी आपके करीबी हैं।
अब सवाल उठता है – कौन जिम्मेदार है?
- सरकार की आर्थिक नीतियाँ: जीडीपी का 81% अब कर्ज़ में है, लेकिन सरकार सिर्फ धर्म और चुनावी नारों में उलझी हुई है।
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली: जब बाजार अपने चरम पर था, तब विदेशी निवेशकों ने तगड़ी बिकवाली कर दी, जिससे बाजार का ढांचा ही चरमरा गया।
- बैंकों और फाइनेंस कंपनियों का संकट: इस गिरावट के कारण लोन लेने वाले युवा अपनी EMI नहीं चुका पाएंगे और इससे बैंकिंग सेक्टर को भी तगड़ा झटका लगेगा।
- शेयर बाजार के माफिया: बड़े खिलाड़ी बाजार को ऊपर-नीचे करके मुनाफा कमा रहे हैं, जबकि आम निवेशक की जेब कट रही है।
अब आगे क्या?
अगर सरकार तुरंत नहीं जागी, तो यह गिरावट सिर्फ शुरुआत है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि आने वाले महीनों में और भी बड़ी गिरावट हो सकती है।
- क्या सरकार कोई ठोस रणनीति बनाएगी?
- क्या स्टॉक मार्केट में पारदर्शिता लाई जाएगी?
- क्या निवेशकों के हितों की रक्षा होगी?
अगर नहीं, तो यह मान लेना चाहिए कि सरकार अब बाजार नहीं चला रही, बल्कि बाजार सरकार को चला रहा है।
युवा निवेशकों के लिए चेतावनी:
- अंधविश्वास में न आएं, शेयर बाजार कोई जादू की छड़ी नहीं है।
- बड़े-बड़े वादों और भाषणों के जाल में मत फंसिए।
- अपनी गाढ़ी कमाई को सोच-समझकर ही निवेश करें।
- बाजार के असली खिलाड़ियों को पहचानें और उनसे बचें।
Final Verdict
ब्लैक फ्राइडे ने हमें यह सिखाया है कि जब तक सरकार और वित्तीय संस्थान निवेशकों की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देंगे, तब तक यह लूट चलती रहेगी। छोटे निवेशकों को बर्बाद कर दिया जाएगा और बड़े खिलाड़ी हमेशा की तरह जीतते रहेंगे।
अब वक्त है कि युवा जागे और सरकार से जवाब मांगे, क्योंकि यह सिर्फ शेयर बाजार की गिरावट नहीं है, यह पूरे भारत के भविष्य पर लगा एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है।
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