उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में एक व्यक्ति ने 26 साल तक अपने मृत भाई की पहचान में सरकारी नौकरी की, जबकि भाभी को पेंशन मिलती रही। RTI से खुलासा हुआ।
फतेहपुर में 26 साल तक चला फर्जीवाड़ा: मृत भाई बनकर की सरकारी नौकरी
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में सहकारिता विभाग से जुड़ा एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां एक व्यक्ति ने अपने दिवंगत भाई की पहचान अपनाकर पूरे 26 साल तक सरकारी नौकरी की, जबकि मृतक की पत्नी इस दौरान पेंशन भी लेती रही। यह मामला सूचना के अधिकार (RTI) के जरिए उजागर हुआ, जिसके बाद पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
भाई की मौत के बाद शुरू की नौकरी
डारी खुर्द गांव के रहने वाले नरेश कुमार शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने अपने तीसरे भाई दिनेश कुमार शुक्ला की पहचान इस्तेमाल कर 1997 से सहकारिता विभाग में नौकरी की। हैरानी की बात यह है कि दिनेश की मृत्यु 25 अप्रैल 1997 को ही हो गई थी, यानी उनकी नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही वह इस दुनिया में नहीं रहे। लेकिन 10 जुलाई 1997 को नरेश ने अपने मृत भाई के रूप में एडीओ (सहायक विकास अधिकारी) के पद पर ज्वाइन कर लिया।
पत्नी को भी मिलती रही पेंशन
इस पूरे समय में, दिवंगत दिनेश की पत्नी अनुसुइया शुक्ला को पति की मृत्यु के बाद पेंशन मिलती रही, जो अब तक जारी थी। आरोप है कि यह पूरा षड्यंत्र नरेश ने अपनी भाभी अनुसुइया और एक अन्य भाई कैलाश नारायण शुक्ला के साथ मिलकर रचा था। नरेश अब महाप्रबंधक के पद से रिटायर हो चुका है।
RTI से खुलासा, भाई ने की शिकायत
इस फर्जीवाड़े का पता मृतक दिनेश के दूसरे भाई मुकेश कुमार शुक्ला ने 2021 में तत्कालीन जिलाधिकारी को शिकायत करके लगाया। मुकेश ने सूचना के अधिकार (RTI) का उपयोग करके मृत भाई की पत्नी के बैंक रिकॉर्ड, पेंशन दस्तावेज और नौकरी से जुड़े कागजात हासिल किए। जब यह जानकारी अधिकारियों तक पहुंची, तो जांच के बाद नरेश को निलंबित कर दिया गया। हालांकि, बाद में नरेश ने हाईकोर्ट से बहाली हासिल कर ली और फिर से नौकरी करने लगा। अब वह 26 साल की सेवा पूरी करके रिटायर हो चुका है।
तीन आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज
थाना बकेवर के प्रभारी श्याम सुंदर लाल श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले में नरेश कुमार शुक्ला, अनुसुइया शुक्ला और कैलाश नारायण शुक्ला के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और सरकारी नौकरी में फर्जी तरीके से प्रवेश का मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच सहकारी निरीक्षक बिंदकी द्वारा की जा रही है।
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26 साल तक मृत भाई की पहचान पर नौकरी: सिस्टम की खामियों को उजागर कर गई।
यह मामला सरकारी व्यवस्था में गंभीर खामियों को उजागर करता है। 26 साल तक किसी की मौत के बाद भी उसकी पहचान में नौकरी चलती रहना और साथ ही पेंशन का दोहरा लाभ मिलना सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि कानूनी कार्रवाई में कितनी सख्ती दिखाई जाती है और दोषियों को क्या सजा मिलती है।