Indian Economy का सच क्या है? शेयर बाजार में गिरावट, बेरोजगारी और महंगाई से आम आदमी त्रस्त, जबकि देश के चंद पूंजीपतियों की दौलत बुलेट ट्रेन की रफ्तार से बढ़ती जा रही है।
Indian Economy का कड़वा सच: शेयर बाजार लुढ़का, नौकरियां गायब, आम आदमी बेहाल!
Indian Economy की हालत आज इतनी पतली हो गई है कि देश की 80 फीसदी आबादी सरकारी राशन पर पूरी तरह डिपेंड है, लेकिन सत्ता दल सब चंगा है का नारा लगा रहा है।
“शेयर बाजार लुढ़क रहा है, नौकरियां गायब हैं, महंगाई आसमान पर है – लेकिन सरकार सब ठीक है का राग अलाप रही है!”
क्या Indian Economy सिर्फ अमीरों के लिए बढ़ रही है? क्या शेयर बाजार का खेल चंद पूंजीपतियों के लिए है? इन सवालों के जवाब अब जनता खुद महसूस कर रही है।
आज भारत की 80 करोड़ जनता सरकारी राशन (Free Ration Scheme) पर निर्भर है। वहीं, शेयर बाजार में मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स औंधे मुंह गिर चुके हैं। आम निवेशकों के पोर्टफोलियो से 50% से ज्यादा की रकम गायब हो चुकी है।
स्टॉक मार्केट से कमा कौन रहा है?
शेयर बाज़ार में आज कुकुरमुत्ते की तरह तमाम ब्रोकिंग कंपनियां आ गई है जो निवेशकों को पहले तो लुभाती है फिर वायदा कारोबार में ढकेल देती है।
यूट्यूब और तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बेरोजगारों को स्टॉक मार्केट की चौका चौध दिखाकर इन ब्रोकिंग कंपनियां ने देश को बेरोजगार युवाओं को उस दलदल में ढकेल दिया है। जहां से वह चाह कर भी निकल नही पा रहा है। वही हालिया गिरावट से इन्वेस्टर भी बुरी तरह टूट गए है।
दूसरी तरफ सरकार आये दिन टैक्स बढ़ा रही है। जीएसटी के अलावा STT का टैक्स लेकर सरकार अपनी जेब भर कर फ्री राशन स्कीम चला कर अपनी पीठ खुद थपथपा रही है।
तो आखिर इस गिरावट का जिम्मेदार कौन है?
- अमेरिका में निवेशकों को 7-8% का रिटर्न मिल रहा है, जबकि भारतीय शेयर बाजार 5% रिटर्न भी नहीं दे पा रहा।
- भारतीय स्टॉक मार्केट से विदेशी निवेशक पैसा निकालकर अमेरिका और यूरोप में लगा रहे हैं।
- अमीरों की संपत्ति लगातार बढ़ रही है, जबकि मध्यम वर्ग और गरीब तबका संघर्ष कर रहा है।
शेयर बाजार में गिरावट: निवेशकों के लिए खतरे की घंटी?
2024 में Sensex 86,000 के स्तर तक पहुंचा था, लेकिन अब यह 74,000 के आसपास कारोबार कर रहा है।
नीरज बाजपेई (The N Show के एडिटर) के अनुसार,
“भारत, चीन, मलेशिया और थाईलैंड से पैसा अमेरिका जा रहा है, क्योंकि वहां जोखिम कम और रिटर्न ज्यादा है।”
पूजा मेहरा (द मिंट की कंसल्टिंग एडिटर) का कहना है,
“डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने वैश्विक निवेशकों को डरा दिया है, जिससे बाजार में अस्थिरता बढ़ गई है।”
डॉ. नरेंद्र जाधव (योजना आयोग के पूर्व सदस्य) के अनुसार,
“भारत की आर्थिक स्थिति अभी भी मजबूत है, लेकिन बाजार में गिरावट कुछ समय तक जारी रह सकती है।”
आम निवेशकों के लिए मुश्किल दौर?
SIP (Systematic Investment Plan) से निवेश करने वाले रिटेल निवेशक सबसे ज्यादा परेशान हैं।
- उनके निवेश का मूल्य लगातार घट रहा है।
- मिडकैप और स्मॉलकैप में निवेश करने वाले निवेशकों को भारी नुकसान हो रहा है।
- लार्जकैप कंपनियों में पैसा लगाने वाले भी सुरक्षित नही हैं, बाजार में गिरावट का आलम यही रहा तो उनके लिए भी मुश्किलें बढ़ेगी हैं।
- इंडेक्स को मैनेज करने के लिए लार्ज कैप की चंद कंपनियों में रोज मैन्युपुलेशन हो रहा है। लेकिन सेबी और सरकार दोनो आंख मूंद कर बैठी है।
बेरोजगारी की मार: डिग्री हाथ में, नौकरी गायब!
देश चलाने वालों जरा ये तो बताओ, ‘Indian Economy अगर इतनी मजबूत है, तो बेरोजगारी दर क्यों बढ़ रही है?”
- भारत में 25-30 लाख इंजीनियर हर साल ग्रेजुएट होते हैं, लेकिन उनकी औसत सैलरी 3-4 लाख सालाना से ज्यादा नहीं बढ़ी।
- कई सेक्टर्स में छंटनी जारी है, और नए रोजगार के अवसर नहीं बन रहे।
- युवाओं के पास डिग्री तो है, लेकिन स्किल डेवलपमेंट की कमी के कारण नौकरी नहीं मिल रही।
सरकार की नीतियों पर सवाल!
सरकार Indian Economy को सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बताती है, लेकिन हकीकत कुछ और है।
- 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने की जरूरत क्यों पड़ रही है, अगर देश इतनी तेजी से बढ़ रहा है?
- चंद अरबपतियों की दौलत हर साल दोगुनी हो रही है, लेकिन गरीब की थाली में दाल तक नहीं बची!
- निवेशकों के पैसे बाजार में डूब रहे हैं, लेकिन सरकार नई नीतियों पर ध्यान देने को तैयार नहीं है।
Indian Economy किसके लिए बढ़ रही है?
- अगर भारतीय अर्थव्यवस्था सच में मजबूत होती, तो शेयर बाजार इतनी बुरी तरह न गिरता।
- अगर सरकार रोजगार पैदा करने में सफल होती, तो युवा सड़कों पर नौकरी की तलाश में न भटकते।
- अगर आम आदमी की आमदनी बढ़ रही होती, तो 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन की जरूरत नहीं पड़ती।
अब सवाल यह है कि Indian Economy का यह मॉडल किसके लिए काम कर रहा है – चंद पूंजीपतियों के लिए या पूरे देश के लिए?