नई दिल्ली, 21 मार्च 2025: आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आज संसद में एक ऐसा भाषण दिया, जिसे सुनकर सत्ता पक्ष के कान खड़े हो गए। उनकी यह संजय सिंह की ललकार न सिर्फ सरकार पर हमला थी, बल्कि समाज को एक नई दिशा दिखाने की कोशिश भी थी। सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक, यह भाषण चर्चा का केंद्र बन गया। आइए, उनके मूल बयान और इसके पीछे के मायने को समझें।
संजय सिंह का मूल भाषण:
आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने आज सदन में बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए तीखा प्रहार किया। उनका यह भाषण सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर चर्चा का विषय बना हुआ है। आइये जानते है संजय सिंह ने अपनी स्पीच में क्या कहा..
- आपकी डबल इंजन की सरकार फेल हो गई है, आपका डबल इंजन कबाड़ा हो गया है। दुनिया अंतरिक्ष में जा रही है, विज्ञान का विस्तार हो रहा है, और आप क़ब्र खोद रहे हैं, मस्जिद के अंदर मंदिर ढूंढ रहे हैं। जब भविष्य की ओर देखना चाहिए, तब कुछ लोग अतीत में उलझे हैं! दुनिया मंगल पर बसने की तैयारी कर रही है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नई क्रांति ला रहा है, लेकिन भारत में अब भी मंदिर-मस्जिद, जाति-धर्म और इतिहास की कब्रें खोदने में लोग व्यस्त हैं।
- ‘कौन राजा था, किसने क्या किया?’—इस पर बहस हो रही है, लेकिन ‘कौन बेरोज़गार है, कौन भूखा है?’—इस पर कोई चर्चा नहीं! ‘नफ़रत का एजेंडा किसे फायदा पहुँचा रहा है?’ जब लोग यह सोचने लगें कि मुसलमानों ने क्या किया, ब्राह्मणों ने क्या किया, ठाकुरों ने क्या किया, तो असली मुद्दे दब जाते हैं: आरक्षण बढ़ाने की बात नहीं होगी, बेरोज़गारी, महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सवाल नहीं उठेंगे, दलित, पिछड़े और गरीबों की असली समस्याएँ नज़रअंदाज कर दी जाएंगी।
- ‘दलितों को किसने दबाया?’ इतिहास गवाह है कि जातिवाद और छुआछूत की मार मुसलमानों ने नहीं, वर्णवादी व्यवस्था मनुवादियों ने दी थी। पानी पीने से रोका, कुएं अलग कर दिए, मंदिरों में घुसने नहीं दिया—यह सब किसने किया? गले में मटका और पीठ पर झाड़ू बाँधने का आदेश किसका था?
- ‘जरूरी सवाल कौन पूछेगा?’ जब संसद में असली सवाल पूछने वाले कम हो जाते हैं, तब संजय आज़ाद जैसे बेबाक़ नेताओं की आवाज़ और भी ज़रूरी हो जाती है। ‘इतिहास में बदला लेने’ से कुछ नहीं मिलेगा, बल्कि ‘भविष्य में बदलाव लाने’ की ज़रूरत है। जो लोग जातिवादी सिस्टम से दलितों, पिछड़ों और वंचितों को दबाने में लगे थे, वही आज ‘धर्म’ के नाम पर नए नफरत का खेल खेल रहे हैं। अब वक्त बदलने का है! अगर जनता को असली विकास चाहिए, तो उसे मंदिर-मस्जिद और इतिहास के जाल से निकलकर अपने हक़ की बात करनी होगी। वरना, नेता और सत्ता के दलाल नफरत के नाम पर सत्ता हथियाते रहेंगे, और आम लोग उन्हीं पुराने जख्मों को कुरेदते रहेंगे।”
संजय सिंह की ललकार: सरकार और समाज पर दोहरा प्रहार
संजय सिंह ने अपने भाषण में दो बड़े लक्ष्य साधे। पहला, केंद्र की “डबल इंजन सरकार” को नाकाम बताना। उनका कहना था कि जब दुनिया अंतरिक्ष और तकनीक में छलाँग लगा रही है, तब भारत सरकार कब्र खोदने और अतीत के विवादों में उलझी है। दूसरा, नफरत के एजेंडे को बेनकाब करना, जो बेरोज़गारी, महंगाई और शिक्षा जैसे मुद्दों को दबा देता है। यह संजय सिंह की ललकार एक चेतावनी थी कि अब बदलाव का समय आ गया है।
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इतिहास का सच और नफरत का खेल
संजय सिंह ने दलितों और वंचितों के उत्पीड़न का ज़िक्र करते हुए “मनुवाद” को निशाना बनाया। उनका कहना था कि छुआछूत और जातिवाद का इतिहास धर्म से नहीं, बल्कि वर्णवादी व्यवस्था से जुड़ा है। यह बयान सूक्ष्म लेकिन ताकतवर था, जो मौजूदा धार्मिक ध्रुवीकरण को पुराने जातिवाद से जोड़ता है।
जनता के लिए संदेश: भविष्य चुनें, अतीत छोड़ें
“इतिहास में बदला लेने से कुछ नहीं मिलेगा”—यह उनकी सबसे बड़ी अपील थी। संजय सिंह ने जनता से कहा कि मंदिर-मस्जिद के जाल से निकलकर अपने हक़ की लड़ाई लड़ें। उनकी यह संजय सिंह की ललकार समाज को जागृत करने का प्रयास थी, ताकि लोग नफरत के खेल को समझें और असली मुद्दों पर ध्यान दें।
राजनीतिक गूंज और जनता की प्रतिक्रिया
संजय सिंह का यह भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जहाँ कुछ ने इसे “सच की आवाज़” कहा, वहीं भाजपा समर्थकों ने इसे “नफरत फैलाने वाला” करार दिया। विपक्ष ने इसे हाथोंहाथ लिया, और यह संसद में उनकी मज़बूत उपस्थिति का सबूत बना।
अब बस, बदलाव का वक्त
संजय सिंह की ललकार न सिर्फ सरकार को चुनौती थी, बल्कि समाज के सामने एक सवाल भी थी—क्या हम अतीत में उलझे रहेंगे या भविष्य की ओर बढ़ेंगे? जब दुनिया मंगल पर बसने की बात कर रही है, तब भारत को अपनी प्राथमिकताएँ तय करनी होंगी। यह भाषण एक चिंगारी है, अब जनता पर निर्भर है कि इसे आग बनाए या बुझने दे।
राज्य सभा सदन में संजय सिंह की ललकार रूपी स्पीच का सत्ता दल पर क्या असर होता है यह तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा। लेकिन इतना तो कहा ही जा सकता है कि अपनी बुलन्द आवाज से संजय ने नेता ही नही समाज को भी एक आईना दिखाया है। ऐसी ही खबरों के लिए Smart Khabari से जुड़े रहे!