प्रसिद्ध यूट्यूबर श्याम मीरा सिंह ने सद्गुरु और ईशा फाउंडेशन पर नाबालिग लड़कियों के शोषण से जुड़े गंभीर आरोप लगाए हैं। जानिए इस विवाद की पूरी सच्चाई, संभावित कानूनी परिणाम और सामाजिक प्रभाव।
ईशा फाउंडेशन पर क्या है विवाद?
भारत में धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थानों का एक खास स्थान है, लेकिन जब इन्हीं संस्थानों पर घिनौने अपराधों के आरोप लगते हैं, तो समाज में आक्रोश फैलना लाजमी है। प्रसिद्ध यूट्यूबर श्याम मीरा सिंह ने अपने ताजा वीडियो में साधगुरु जग्गी वासुदेव और उनकी संस्था ईशा फाउंडेशन के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं।
इस 25 मिनट 02 सेकण्ड के वीडियों में उन्होंने काफी ऐसी बाते कही है, जो सद्गुरु को कठघरे में खड़ा करता है, 25 फरवरी 2025 को जारी इस वीडियों ने तमाम सोशल मिडिया पर तहलका मचा दिया है। बता दे, श्याम मीरा सिंह के 12 लाख सब्सक्राइबर्स youtube पर है। सद्गुरु और ईशा फाउंडेशन को बेनकाब करने का यह वीडियो कई सोशल मिडिया प्लेटफ़ॉर्म पर तेजी से वायरल हो रहा है।
उनकी रिपोर्ट के अनुसार, आश्रम में नाबालिग लड़कियों के साथ अनुचित व्यवहार किया गया। POCSO (Protection of Children from Sexual Offenses) Act के अंतर्गत यह अपराध की श्रेणी में आता है और अगर यह आरोप सच साबित होते हैं, तो इससे सद्गुरु विवाद और गहरा सकता है।
आंतरिक ईमेल्स से हुआ बड़ा खुलासा
श्याम मीरा सिंह द्वारा प्रस्तुत किए गए आंतरिक ईमेल्स में ईशा फाउंडेशन की प्रमुख हस्तियों मा प्रद्युता और भारती वर्धराज का जिक्र है। इन ईमेल्स में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि ब्रह्मचर्य दीक्षा के दौरान नाबालिग लड़कियों से उनके ऊपरी वस्त्र हटाने के लिए कहा गया। यह एक ऐसी प्रथा है जो आधुनिक समाज और कानूनी दृष्टिकोण से स्वीकार्य नहीं है।
इन ईमेल्स के अनुसार, लड़कियों को इस प्रक्रिया से असहज महसूस हुआ, लेकिन उन्हें मजबूर किया गया। यह पूरे आश्रम की कार्यप्रणाली और वहां के नियमों पर गहरा सवाल उठाता है। क्या यह आध्यात्मिकता के नाम पर शोषण नहीं है? क्या यह POCSO एक्ट के तहत कार्रवाई करने योग्य अपराध नहीं है?
क्या यह कानून का उल्लंघन है?
भारत में POCSO (Protection of Children from Sexual Offenses) Act 2012 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण से बचाना है। इस अधिनियम के तहत बच्चों के खिलाफ किसी भी प्रकार की यौन हिंसा को कड़ी सजा के साथ दंडनीय बनाया गया है।
अगर श्याम मीरा सिंह द्वारा उजागर की गई जानकारी को सही माना जाए, तो यह सीधे तौर पर ईशा फाउंडेशन घोटाला बन सकता है। क्योंकि किसी भी नाबालिग को उसकी सहमति के बिना ऐसे किसी अनैतिक कृत्य में शामिल करना गंभीर अपराध है। क्या सरकार इस मामले पर संज्ञान लेगी?
पहले भी लगे हैं यौन शोषण के आरोप
यह पहली बार नहीं है जब ईशा फाउंडेशन विवादों में आया है। इससे पहले भी कई बार इस संस्था पर यौन शोषण, गैरकानूनी कब्जे, और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। लेकिन हर बार, यह आरोप या तो दबा दिए गए या फिर किसी न किसी वजह से कानूनी कार्रवाई नहीं हो पाई।
क्या इस बार भी यही होगा? क्या सद्गुरु को एक बार फिर कानूनी शिकंजे से बचने का मौका मिल जाएगा, या इस बार सच सामने आएगा?
साधगुरु की चुप्पी और प्रतिक्रिया
अब तक सद्गुरु या ईशा फाउंडेशन की ओर से इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सद्गुरु को इस बारे में कोई जानकारी थी? अगर हां, तो उन्होंने अब तक कोई कदम क्यों नहीं उठाया?
श्याम मीरा सिंह द्वारा उजागर किए गए ईमेल्स में यह संकेत मिलता है कि सद्गुरुइस प्रक्रिया के बारे में जानते थे। उन्होंने इसे लेकर अनौपचारिक रूप से सहमति जताई थी, जिससे यह अंदेशा लगाया जा सकता है कि वे इस मुद्दे से अनजान नहीं थे।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
- सरकार और न्यायपालिका से निष्पक्ष जांच की मांग – अगर सरकार इस मामले को गंभीरता से लेती है, तो एक स्वतंत्र जांच आयोग गठित किया जा सकता है।
- जनता और मीडिया से इस विषय पर चर्चा और कार्रवाई की अपील – सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर जनता की प्रतिक्रिया बेहद महत्वपूर्ण होगी।
- अगर आरोप सिद्ध होते हैं, तो कठोर कानूनी कार्रवाई की संभावना – सद्गुरु और ईशा फाउंडेशन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
लोगो की क्या है प्रतिक्रिया?
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर संदीप सिंह लिखते है कि, पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने जग्गी वासुदेव पर जो खुलासे किए हैं, वे बहुत ही स्तब्धकारी हैं। रिपोर्ट के तथ्य बताते हैं कि धर्म और अध्यात्म के नाम पर नाबालिग बच्चियों का शोषण किया जा रहा था।
वही इस मुद्दे पर एक अन्य यूजर महेंद्र सिंह जो पूर्व में एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल में पत्रकार होने का दावा करते हुए लिखते है कि, “देश में भाजपा सरकार बनने के बाद मैं पहला पत्रकार था, जिसे सवाल पूछने की वजह के चलते नौकरी से निकाल दिया गया।” उनका कहना है कि, “मैंने उस टाइम नोटबंदी पर हरियाणा के मुख्यमंत्री से कुछ सवाल पूछ लिए, इसलिए नौकरी चली गई। इस यूजर ने भी श्याम के वीडियो देखने की अपील की तथा हिम्मत की सराहना की।”
देश के जाने माने पत्रकार अजित अंजुम लिखते है कि, “सत्ता के संरक्षण में सतगुरु का फैलता साम्राज्य है दूसरी तरफ युवा पत्रकार श्याम मीरा सिंह (Shyam Meera Singh) के कुछ खुलासे हैं।” उन्होंने लोगो से श्याम के वीडियो देखने की अपील की।
Conclusion
- श्याम मीरा सिंह की रिपोर्ट ने सद्गुरु और ईशा फाउंडेशन की छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर ये आरोप सच साबित होते हैं, तो यह भारतीय आध्यात्मिक संस्थानों की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी एक बड़ा सवालिया निशान लगाएगा।
- क्या सरकार और प्रशासन इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई करेंगे, या यह मामला भी अन्य विवादों की तरह दबा दिया जाएगा?
- आप इस विषय पर क्या सोचते हैं? क्या सरकार को इस मामले में जांच करनी चाहिए? अपने विचार कमेंट सेक्शन में साझा करें।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल विभिन्न सोशल मिडिया से लिया गया है, इस आरोप पर कितनी सच्चाई है यह जांच का विषय है यहां उन सोशल मिडिया के एक्सटर्नल लिंक एंकर के रूप में दर्ज है। अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करे…