मुंबई 14 मार्च 2025; मंदी 2025 की शुरुआत क्या हो चुकी है? विदेशी संस्थागत निवेशकों का क्या भारत के बाजार से मोह भंग हो गया है? हालिया चुनाव में मिली शानदार जीत से अमेरिकी राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रम्प आजकल ट्रैफिक और मंदी को लेकर रोज अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चर्चा का विषय बने हुए है।
यह वह दौर है जब अक्टुबर 2024 से ही विदेशी संस्थागत निवेशकों का भारत से पलायन बदस्तूर जारी है। इसके साथ ही भारतीय रुपया, डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। स्माल कैप के साथ-साथ मिडकैप और लार्ज कैप स्टॉक की हालत भी पतली हो गई है।
आईटी कंपनियों में पिछले दिनों हुई तेज गिरावट से रिटेल निवेशक सहमे गए। इसके अलावा बैंकिंग सेक्टर के दिग्गज भी बियर की तरफ मुड़ चुके है। इन सब के बाद अब भारत मे मंदी जिसे अंग्रेजी में #Recession कहते है। गूगल और एक्स पर टॉप पर ट्रेंड कर रहा है।
ऐसे में इस Recession को इग्नोर करने के बजाय इसकी तह तक जाकर यह समझने की कोशिश करेंगे कि क्या सचमुच भारत मे मंदी के डर से सहमे फॉरेन इन्वेस्टर पलायन कर रहे है? तो चलिए शुरुआत करते है।
मंदी 2025 की आहट: क्या भारतीय अर्थव्यवस्था संकट में है?
अक्सर जब शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आता है, महंगाई बढ़ती है या कंपनियां छंटनी करने लगती हैं, तो यह सवाल जोर पकड़ने लगता है—’मंदी आ रही है क्या?’
वैश्विक बाजार में पिछले कुछ दिनों में मंदी की सुगबुगाहट बढ़ी है। अमेरिका में ऊंची महंगाई और फेडरल रिजर्व नीति (Federal Reserve Policy) द्वारा ब्याज दरों में कटौती में देरी से बाजार में अनिश्चितता बढ़ रही है। इससे आईटी कंपनियों की ग्रोथ पर असर पड़ रहा है और भारतीय कंपनियां भी इससे अछूती नहीं हैं।
जेपी मॉर्गन के प्रमुख अर्थशास्त्री ने 2025 में अमेरिकी मंदी (Recession in USA) की संभावना 40% तक आंकी है। गोल्डमैन सैक्स और मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों ने भी अमेरिकी GDP ग्रोथ में गिरावट (GDP Slowdown) को घटाकर क्रमशः 1.7% और 1.5% कर दिया है।
इसी बीच, भारतीय बाजार भी कमजोर होता दिख रहा है। निफ्टी 50 (NIFTY 50) इंडेक्स अब तक अपने हाई से 15% नीचे आ चुका है। IT सेक्टर भरभरा गया है, और TCS, Infosys जैसी कंपनियों के शेयर भारी गिरावट झेल रहे हैं। TCS लगभग 28% नीचे आ चुका है। HDFC Bank भी दबाव में है। Reliance Industries कुछ हद तक ठीक प्रदर्शन कर रही है, क्योंकि क्रूड ऑयल की कीमतें (Crude Oil Prices) वैश्विक बाजार में तेजी से गिर रही हैं।
देश के पांचवें सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक इंडसइंड बैंक (IndusInd Bank Share Price) में 27 फीसदी से अधिक की गिरावट के बाद इसकी भी हालत पतली दिखाई दे रही है। इसके लिए बैंक ने डेरिवेटिव ट्रेडिंग को जिम्मेदार ठहराया है।
क्यों सहमे निवेशक?
- इंडसइंड बैंक में 600 करोड़ रुपये और पंजाब नेशनल बैंक घोटाला में 270.57 करोड़ रुपये जैसे वित्तीय धोखाधड़ी निवेशकों के आत्मविश्वास को कमजोर कर रहे हैं।
- बैंकों में बढ़ते NPA (Non-Performing Assets) भी संकेत देते हैं कि बैंकिंग प्रणाली पर दबाव बढ़ रहा है।
मंदी (Recession) क्या होती है?
अर्थशास्त्रियों के अनुसार, जब किसी देश की GDP लगातार दो तिमाही तक सिकुड़ती है, तो उसे मंदी कहा जाता है। मंदी के दौरान बेरोजगारी दर में वृद्धि (Unemployment Rate Surge) होती है, बाजार में निवेश घट जाता है, और उपभोक्ता खर्च कम हो जाता है।
मंदी के चार चरण:
- विस्तार (Expansion): जब आर्थिक गतिविधि बढ़ती है, नौकरियां बढ़ती हैं और लोग अधिक खर्च करते हैं।
- परिपक्वता (Maturity): जब अर्थव्यवस्था चरम पर होती है, मुनाफे बढ़ते हैं, बाजार स्थिर रहते हैं।
- वृद्धावस्था (Aging): जब आर्थिक विकास धीमा पड़ने लगता है, महंगाई बढ़ती है और वित्तीय बाजार अस्थिर हो जाते हैं।
- मंदी (Recession): जब व्यापार और निवेश घटने लगते हैं, बेरोजगारी बढ़ती है और बाजार गिरावट की ओर बढ़ते हैं।
2008 की वैश्विक मंदी से तुलना
2008 की वैश्विक वित्तीय मंदी (Global Financial Crisis 2008) मुख्य रूप से अमेरिकी हाउसिंग मार्केट क्रैश और लीमैन ब्रदर्स के दिवालिया होने के कारण आई थी। उस समय:
- भारतीय बाजारों में भी भारी गिरावट आई थी।
- SENSEX 60% गिरा था।
- अमेरिका और यूरोप के बैंकिंग सेक्टर संकट (Banking Sector Crisis) में आ गए थे।
- कई बड़ी कंपनियों को सरकारी बेलआउट लेना पड़ा था।
आज की स्थिति अलग है, लेकिन कुछ संकेत 2008 की मंदी से मिलते-जुलते हैं। SIP में गिरावट (SIP Decline) दिख रही है, और इन्वेस्टर बाजार अस्थिरता (Market Volatility) के कारण डरे हुए हैं।
मंदी में सबसे अच्छा निवेश कहां करें?
अगर मंदी आती है, तो सही निवेश रणनीति अपनाकर नुकसान से बचा जा सकता है।
1. गोल्ड और चांदी में निवेश (Gold and Silver Investment)
- मंदी के समय सोना (Gold Investment) सुरक्षित निवेश माना जाता है।
- इस दौरान चांदी (Silver Investment) में भी कीमते बढ़ती है।
Gold Price Today’s; होली के दिन शेयर मार्केट बन्द रहा लेकिन MCX में कारोबार शाम को शुरू हुआ तो सोने की कीमतों ने एक और नई ऊंचाई को छू लिया।
दरअसल अप्रैल एक्सपायरी के वायदा कारोबार में यह ₹87,781 प्रति 10 ग्राम पर खुला और आगे मजबूत होकर ₹88,280 के नए हाई पर पहुंच गया, जो अपने पिछले क्लोजिंग से 0.57% से अधिक है।
2. हाई क्वालिटी डिफेंसिव स्टॉक्स
- FMCG सेक्टर की कंपनियां (ITC, Hindustan Unilever) मंदी में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं।
- फार्मा सेक्टर (Sun Pharma, Dr. Reddy’s) भी मंदी में स्थिर रहता है।
3. सरकारी बांड और फिक्स्ड डिपॉजिट
- ब्याज दरें घटने पर सरकारी बांड और FD बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।
4. Cryptocurrency में निवेश (Crypto Investment in Recession)
- क्रिप्टो बाजार में बड़ी अस्थिरता होती है, लेकिन Bitcoin और Ethereum दीर्घकालिक निवेश के लिए देखे जा सकते हैं।
गूगल ट्रेंड्स के अनुसार मंदी से जुड़े हाई-सर्च कीवर्ड्स
- मंदी कब आएगी? (When will recession come?)
- मंदी के संकेत क्या हैं? (What are the signs of recession?)
- भारत में मंदी का असर (Recession impact in India)
- शेयर बाजार मंदी (Stock market crash 2025)
- मंदी में पैसे कैसे बचाएं? (How to save money in recession?)
- मंदी में कौन से स्टॉक्स खरीदें? (Best stocks to buy in recession)
निष्कर्ष
मंदी कोई नई घटना नहीं है, लेकिन 2025 की मंदी की आशंका के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं—ब्याज दरों में बदलाव (Interest Rate Changes), बेरोजगारी दर में वृद्धि, और वैश्विक आर्थिक संकट (Global Economy Slowdown)।
जानकारों का कहना है कि इस समय समझदारी से निवेश करें, खर्चों को नियंत्रित करें और सही रणनीति अपनाएं। मंदी के दौरान लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट पर ध्यान देना सबसे अच्छा तरीका हो सकता है।
कोरोना काल के बाद भारतीय की अर्थव्यवस्था अब धीरे-धीरे पटरी पर आ गई थी। ऐसे में कहा जा रहा था कि भारत जल्द ही 5 ट्रिलियन इकनॉमी को पार कर जाएगा, लेकिन हालिया गिरावट ने निवेशकों के माथे पर पसीना ला दिया है।
Disclaimer:
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्य के लिए लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी निवेश सलाह नहीं है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।