गाजा में 18 महीने का संघर्ष: 61,000+ मौतें, 80% आम नागरिक, इजरायली कार्रवाई में महिलाएँ-बच्चे सबसे बड़े शिकार

जून 20, 2025 – पिछले डेढ़ साल से गाजा में चल रही इजरायली सैन्य कार्रवाई में 61,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की जान जा चुकी है, जिनमें से 80% आम नागरिक हैं। यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय मीडिया और संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ों से सामने आई है। अल जज़ीरा न्यूज़ ने 17 अप्रैल 2025 को अपनी रिपोर्ट में बताया कि इनमें 17,000 से अधिक बच्चे और 6,000 महिलाएँ शामिल हैं .

गाजा के आम लोगों पर कहर: हर 10 में से 8 मौतें निर्दोष नागरिकों की

मशहूर मेडिकल जर्नल ‘लैंसेट’ ने जनवरी 2025 में अपनी रिपोर्ट में बताया कि अक्टूबर 2023 से जून 2024 के बीच 64,000 से अधिक फिलिस्तीनी सीधे हिंसा के शिकार हुए। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि यह संख्या अक्टूबर 2024 तक 70,000 पार कर सकती है . संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ों के अनुसार, इजरायली हमलों में 825 परिवार पूरी तरह खत्म हो गए, जहाँ कई पीढ़ियों के लोग एक साथ मारे गए। यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने पुष्टि की कि आवासीय इमारतों में मारे गए 70% पीड़ित महिलाएँ या बच्चे थे .

बच्चों की पूरी पीढ़ी खत्म होने के कगार पर

गाजा में 18 महीने का संघर्ष: 61,000+ मौतें, 80% आम नागरिक, इजरायली कार्रवाई में महिलाएँ-बच्चे सबसे बड़े शिकार

ऑक्सफैम और एक्शन ऑन आर्म्ड वायलेंस की अक्टूबर 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल ने पिछले 20 सालों में किसी भी संघर्ष से ज़्यादा बच्चे मारे हैं। सिर्फ 12 महीनों में 11,000 से अधिक बच्चों की मौत हुई, जो आधुनिक इतिहास में किसी भी संघर्ष में एक वर्ष में हुई सबसे अधिक बाल मौत है . यूनिसेफ़ के मुताबिक, 25,000 से ज़्यादा बच्चे अनाथ हो चुके हैं और 10,000 फिलिस्तीनियों के अंग काटने पड़े हैं। गाजा में दुनिया में प्रति व्यक्ति सबसे अधिक अंग-विच्छेदित बच्चे हैं, जो किसी भी वैश्विक संघर्ष से अधिक है .

अस्पतालों और स्कूलों पर हमला: शिक्षा-स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त

26 मई 2025 को इजरायली सेना ने गाजा शहर के फहमी अल-जारजावी स्कूल पर हमला किया, जहाँ 20 लोगों (ज़्यादातर बच्चे) की मौत हुई। इजरायल ने दावा किया कि यहाँ हमास के लड़ाके छिपे थे, लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इमारत में विस्थापित परिवार रह रहे थे . संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा के 88% स्कूल, 50% अस्पताल और 80% दुकानें इजरायली हमलों में बर्बाद हो चुकी हैं। यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूएनआरडब्ल्यूए के 179 कर्मचारी और 308 शरणार्थी इजरायली हमलों में मारे गए हैं, जबकि 224 एम्बुलेंस कर्मी और 180 पत्रकार भी हताहत हुए हैं .

भूख को हथियार बनाने के आरोप: कुपोषण से मर रहे बच्चे

जून 2025 में नेट्ज़ेरिम कॉरिडोर के पास भूखे फिलिस्तीनियों पर इजरायली गोलाबारी हुई, जिसमें 12 वर्षीय मोहम्मद खलील समेत 20+ लोग मारे गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि गाजा में 2,700 से अधिक बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार हैं और 75% आबादी अपने घरों से भागने को मजबूर है . यूएन विशेष रैपोर्टेयर ने इसे “अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का स्पष्ट उल्लंघन” बताते हुए कहा कि इजरायल ने खाद्य आपूर्ति रोककर भुखमरी को जानबूझकर हथियार बनाया है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: नरसंहार का मुकदमा और राजनीतिक चुप्पी

दक्षिण अफ्रीका ने जनवरी 2024 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस (ICJ) में इजरायल के खिलाफ़ नरसंहार का मुकदमा दायर किया, जिसमें गाजा में नागरिक हानि के पैटर्न को प्रमुख सबूत के रूप में पेश किया गया . भारत ने इस संघर्ष पर “गहरी चिंता” जताते हुए दोनों पक्षों से “तनाव कम करने” की अपील की है, लेकिन स्पष्ट निंदा से परहेज किया है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत का यह रुख इजरायल के साथ रक्षा साझेदारी और ईरान के साथ ऊर्जा समझौतों के कारण है .

क्यों बढ़ रही हैं मौतें? घेराबंदी ने बनाया ‘मौत का जाल’

विशेषज्ञों के अनुसार, इजरायल की घेराबंदी ने संकट को और बढ़ाया है:

  1. दवाओं की किल्लत: 95% अस्पतालों में बुनियादी दवाएँ खत्म
  2. खाद्य संकट: 68% खेती की ज़मीन बर्बाद होने से भुखमरी बढ़ी
  3. मलबे के नीचे दफ्न: 14,000 शव अब भी मलबे में दबे होने का अनुमान
  4. पानी की तबाही: 92% पीने का पानी दूषित, हैजा फैलने का खतरा

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि गाजा में मलबा साफ़ करने में 14 साल तक लग सकते हैं, जो इस इलाके के भविष्य पर गहरा सवाल खड़ा करता है।

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ऐतिहासिक तुलना: गाजा का संकट क्यों है सबसे भयावह?

  • 2014 के मुकाबले: ‘ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज’ में 2,104 फिलिस्तीनी मारे गए थे, जिनमें 69% नागरिक थे। वर्तमान संघर्ष में नागरिक मौत दर ~80% है .
  • वैश्विक मानक: गाजा में पहले 25 दिनों में 5,139 नागरिक मारे गए – यह संख्या मार्च 2017 में इराक में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अमेरिकी अभियान के दौरान पूरे एक महीने में मारे गए नागरिकों की संख्या से चार गुना अधिक .

क्या यह “नरसंहार” की परिभाषा पूरी करता है?

गाजा में नागरिक मौतों का यह सिलसिला केवल सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं है। इजरायल द्वारा लगाए गए घेराबंदी, भोजन-दवा की कमी और बुनियादी ढाँचे के विनाश ने एक सुनियोजित मानवीय तबाही को जन्म दिया है। जैसा कि एयरवार्स रिपोर्ट में कहा गया है, गाजा में नागरिक हानि का यह पैमाना “21वीं सदी के किसी भी अन्य वायु अभियान के साथ अतुलनीय” है। जब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संकट को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक गाजा का हर आम आदमी मौत के छाया में जीने को मजबूर रहेगा।

Avadhesh Yadav
Avadhesh Yadav
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