उत्तर प्रदेश, पूर्वांचल 14 मार्च, 2025: यूपी में बाल विवाह गैंग का दैनिक भास्कर ने बड़ा खुलासा किया है। लेकिन बता दे यह सोनभद्र, मिर्जापुर तक ही सीमित नही है। बल्कि मुख्यमंत्री के अपने शहर गोरखपुर में पिछले 2 दशक से यह धन्धा फल फूल रहा है।
पूर्वांचल के गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, सोनभद्र, मिर्जापुर से हर वर्ष शादी के नाम पर लड़कियों को हरियाणा, पंजाब, राजस्थान भेजा जा रहा है।
होली के दिन 14 मार्च को दैनिक भास्कर अपने न्यूज़ पोर्टल पर इन खबर को प्रकाशित कर बताया कि, उनकी टीम ने 20 दिन तक की गहन जांच में पाया कि नाबालिग लड़कियों की शादी हरियाणा, राजस्थान और पाकिस्तान बॉर्डर तक कराई जा रही है।
सोनभद्र से हरियाणा तक: बाल विवाह का काला धंधा।
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, मिर्जापुर और आसपास के जिलों में बाल विवाह का धंधा करने वाले दलालों की बदमाशी सामने आई है। दैनिक भास्कर की टीम ने 20 दिन तक चली गहन जांच में पाया कि ये दलाल नाबालिग लड़कियों की शादी हरियाणा, राजस्थान और पाकिस्तान बॉर्डर तक करा रहे हैं। इन शादियों के बदले डेढ़ से पांच लाख रुपए तक की रकम वसूली जाती है।
दलालों की हरकतें: ‘ये प्रेम का सौदा है’
दलालों ने दैनिक भास्कर की टीम से बातचीत में खुलासा किया कि वे लड़कियों की शादी कराने के लिए डेढ़ से दो लाख रुपए तक वसूलते हैं। उनका कहना था, “हम बेच तो नहीं रहे हैं न, ये शादी हो रही है। ये प्रेम का सौदा है।” ये दलाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा, राजस्थान और पाकिस्तान बॉर्डर तक के अधेड़ों की शादी करा रहे हैं।
दैनिक भास्कर की जांच: 20 दिन की मेहनत
दैनिक भास्कर की टीम ने 20 दिन तक इस मामले की गहन जांच की। टीम ने राजस्थानी होने का नाटक करते हुए दलालों से संपर्क किया। दलालों ने टीम को नाबालिग लड़कियों के फोटो दिखाए और शादी के लिए डेढ़ से पांच लाख रुपए तक की मांग की। लड़की की खूबसूरती के हिसाब से रकम बढ़ती जाती है।
सोनभद्र का चोपन इलाका: दलालों का अड्डा
दैनिक भास्कर की टीम सोनभद्र के चोपन इलाके के टैक्सी स्टैंड पहुंची। यहां टीम की मुलाकात जुगैल के टेंपो स्टैंड संचालक निराला गुरु से हुई। निराला ने टीम को विजय कुमार नाम के एक व्यक्ति से मिलवाया, जो थाने में होमगार्ड है और खाली समय में टेंपो चलाता है। विजय ने टीम को अगले दिन दलालों से मिलवाने का वादा किया।
अगले दिन, विजय टीम को जुगैल क्षेत्र में दलालों से मिलवाने ले गया। यहां टीम की मुलाकात गुड्डू नाम के दलाल से हुई। गुड्डू ने टीम को शांति देवी के घर ले जाया, जहां एक और दलाल मिला। इस दलाल ने बुद्धिराम की 22 साल की लड़की के बारे में बताया और चोपन में मिलवाने की बात कही।
दलालों का नेटवर्क: राजस्थान से पाकिस्तान बॉर्डर तक
दैनिक भास्कर की टीम ने पाया कि ये दलाल राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और पाकिस्तान बॉर्डर तक शादियां करवाते हैं। एक दलाल ने बताया, “हमने हिसारगढ़, गंगागढ़ और पाकिस्तान बॉर्डर तक शादियां करवाई हैं।”
दलालों की हिम्मत: ‘हमारी बहुत लंबी पकड़ है’
दलाल गुड्डू ने टीम से कहा, “देखिए, हमारी बहुत लंबी पकड़ है। झांसी, महोबा, मरबाना, चरखारी ये सब हमारे ही पास हैं।” उसने यह भी बताया कि उसकी ससुराल हरियाणा में है और उसने वहां भी कई शादियां करवाई हैं।
महिला दलालों का रोल: ‘1 लाख 20 हजार में काम हो जाएगा’
दैनिक भास्कर की टीम ने सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज में महिला दलाल आरती और मुन्नी से भी मुलाकात की। इन महिला दलालों ने टीम को लड़कियों के फोटो दिखाए और शादी के लिए 1 लाख 20 हजार रुपए की मांग की। आरती ने कहा, “हम आपके घर जाकर शादी करवाते तो 2 लाख लेते। आप मेरे घर आए हैं, तभी तो 1 लाख 20 हजार बताए हैं।”
समाज की चुप्पी: कब होगा बदलाव?
यह स्थिति न केवल कानून की विफलता को दर्शाती है, बल्कि समाज की चुप्पी को भी उजागर करती है। बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए सरकार, प्रशासन और समाज को मिलकर काम करने की जरूरत है।
दैनिक भास्कर की इस जांच ने बाल विवाह के काले धंधे को उजागर किया है। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठाएं और समाज में जागरूकता फैलाएं।
जानें बाल विवाह क्या है?
भारत मे बाल विवाह यानी 18 वर्ष से कम उम्र में लड़की की शादी और 21 वर्ष से कम उम्र में लड़के की शादी कराना अपराध की श्रेणी में आता है।
अगर किसी लड़की या लड़के की शादी क्रमशः 18 व 21 वर्ष से पहले होती है तो इसे बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन माना जाता है। बाल विवाह का बड़ा कारण आर्थिक गरीबी है।
यूपी के पूर्वांचल ज़ोन में और बिहार में आज भी बाल विवाह आम बात है। यहां रोजगार न होने के कारण लोग पलायन करने को मजबूर है। अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के चक्कर मे चंद रुपयों में बच्चियों को उससे अधिक उम्र या दूसरे शब्दों में कहे तो अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ शादी कर दी जाती है।
सरकार को चाहिए कि इस पूरे मामलों को गंभीरता से लेते हुए इस सामाजिक कुप्रथा को खत्म करने के लिए एक अभियान चलाए। इसके साथ ही पिछड़े क्षेत्रो में आर्थिक रूप से कमजोर लोगो को रोजगार मुहैया कराए, ताकि इस पर अंकुश लग सके।
क्रेडिट: यह खबर दैनिक भास्कर की जांच पर आधारित है। मूल खबर पढ़ने के लिए [यहां क्लिक करें]