यूपी पंचायत चुनाव 2026: ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन पूरा, अब आरक्षण प्रक्रिया पर जोर, सितंबर-अक्टूबर से शुरू होगी मंथन की प्रक्रिया
लखनऊ, 11 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश में 2026 में होने वाले त्रिस्तरीय यूपी पंचायत चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, और अब अगला कदम विभिन्न पदों के लिए आरक्षण निर्धारण का है। हालांकि, आरक्षण की आधिकारिक प्रक्रिया सितंबर या अक्टूबर 2025 से शुरू होने की संभावना है, लेकिन पंचायती राज विभाग के अधिकारियों ने इस दिशा में मंथन शुरू कर दिया है। यह प्रक्रिया न केवल यूपी पंचायत चुनाव की दिशा तय करेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में सत्ता के समीकरण को भी प्रभावित करेगी।
यूपी पंचायत चुनाव 2026: ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन
उत्तर प्रदेश में यूपी पंचायत चुनाव की तैयारियों के तहत ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन हाल ही में पूरा हुआ है। इस प्रक्रिया के बाद राज्य में ग्राम पंचायतों की संख्या घटकर 57,695 हो गई है। पुनर्गठन में जनसंख्या और भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए ग्राम पंचायतों और वार्डों का पुनर्निर्धारण किया गया है। इसके लिए आम नागरिकों से आपत्तियां और सुझाव मांगे गए थे, ताकि प्रक्रिया में पारदर्शिता और जनसहभागिता सुनिश्चित हो। यह कदम न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह यह भी सुनिश्चित करता है कि यूपी पंचायत चुनाव में सभी वर्गों का उचित प्रतिनिधित्व हो।
आरक्षण प्रक्रिया: सितंबर-अक्टूबर से शुरूआत
यूपी पंचायत चुनाव में आरक्षण की प्रक्रिया अब अगले चरण में प्रवेश कर रही है। ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, और जिला पंचायत सदस्य जैसे प्रमुख पदों के लिए आरक्षण का निर्धारण किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, आरक्षण प्रक्रिया को शुरू करने से पहले पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन होना बाकी है, जिसमें कुछ समय लग सकता है। आयोग के गठन के बाद आरक्षण निर्धारण में कम से कम तीन महीने का समय लगने की संभावना है। इस कारण, सितंबर या अक्टूबर 2025 तक ही इस प्रक्रिया के शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।
पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने हाल ही में घोषणा की थी कि यूपी पंचायत चुनाव में आरक्षण 2011 की जनगणना के आधार पर तय किया जाएगा। इसमें अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), और महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी। विशेष रूप से, प्रत्येक वर्ग में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। यह चक्रीय प्रणाली के आधार पर होगा, जिसमें हर चुनाव में आरक्षण का चक्र बदला जाता है ताकि सभी वर्गों को समान अवसर मिले।
वार्डों का पुनर्निर्धारण
आरक्षण से पहले वार्डों के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया शुरू होगी। इस प्रक्रिया में ग्राम पंचायतों और क्षेत्र पंचायतों में जनसंख्या और भौगोलिक स्थिति के आधार पर वार्ड बनाए जाएंगे। इसके लिए जल्द ही आम नागरिकों से आपत्तियां और सुझाव मांगे जाएंगे। सरकार का जोर इस बात पर है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और समावेशी हो, ताकि किसी भी वर्ग या क्षेत्र के साथ अन्याय न हो। यह कदम यूपी पंचायत चुनाव को और अधिक निष्पक्ष और समावेशी बनाने में मदद करेगा।
2015 का आधार वर्ष और कोर्ट का फैसला
पिछले यूपी पंचायत चुनाव (2021) में आरक्षण के लिए 2015 को आधार वर्ष माना गया था, जैसा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश दिया था। हालांकि, 2026 के चुनावों के लिए आधार वर्ष को लेकर अभी अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है। पंचायती राज विभाग जुलाई 2025 के अंत तक इस संबंध में कैबिनेट में प्रस्ताव भेजने की तैयारी में है। सूत्रों का कहना है कि 2011 की जनगणना को आधार बनाए जाने की संभावना है, लेकिन अंतिम मुहर कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही लगेगी।
राजनीतिक दलों की रणनीति और सेमीफाइनल की तरह पंचायत चुनाव
यूपी पंचायत चुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले एक सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक दल इस चुनाव को ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी ताकत और प्रभाव को परखने के अवसर के रूप में ले रहे हैं। कई दल पहले से ही अपनी तैयारियां शुरू कर चुके हैं। उदाहरण के लिए, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के नेता ओम प्रकाश राजभर ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी पंचायत चुनाव में अकेले उतरेगी और सभी पदों पर उम्मीदवार खड़े करेगी। वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) भी जिला पंचायत चुनाव में अकेले उतरने की योजना बना रही है।
पंचायत चुनाव के परिणामों के आधार पर राजनीतिक दल क्षेत्रवार और जातिवार रणनीतियां बनाएंगे, जो 2027 के विधानसभा चुनाव में उनकी रणनीति को प्रभावित करेंगे। इस कारण, यूपी पंचायत चुनाव न केवल ग्रामीण सत्ता का निर्धारण करेंगे, बल्कि राज्य की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित करेंगे।
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मतदाता सूची का पुनरीक्षण और अन्य तैयारियां
यूपी पंचायत चुनाव की तैयारियों के तहत मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य भी जून 2025 से शुरू होगा। इस प्रक्रिया में मृतकों और अन्य अपात्र मतदाताओं के नाम हटाए जाएंगे, जबकि नए मतदाताओं के नाम जोड़े जाएंगे। यह कार्य दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके साथ ही, राज्य निर्वाचन आयोग ने 67 जिलों में मतपेटिकाओं की आपूर्ति के लिए ई-टेंडर जारी किए हैं, जो चार महीने के भीतर डिलीवर किए जाएंगे।
ग्रामीण भारत की सत्ता का अहम पड़ाव
यूपी पंचायत चुनाव 2026 ग्रामीण भारत की सत्ता का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन के बाद अब आरक्षण की प्रक्रिया पर सभी की नजरें टिकी हैं। सितंबर-अक्टूबर से शुरू होने वाली इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और समावेशिता सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है। जैसे-जैसे तैयारियां तेज होंगी, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्याशियों और मतदाताओं के बीच उत्साह बढ़ेगा। यह चुनाव न केवल स्थानीय नेतृत्व को आकार देगा, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए भी एक महत्वपूर्ण आधार तैयार करेगा।
अधिक जानकारी के लिए, यूपी पंचायत चुनाव से संबंधित नवीनतम अपडेट्स के लिए उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर नजर रखें।