लखनऊ 27 जून 2025: उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। लखनऊ में एक नर्सिंग छात्रा का पीछा, देवरिया में दहेज उत्पीड़न और संदिग्ध हत्याओं का मामला, गोरखपुर और कानपुर में बढ़ते अपराधों ने सड़कों पर गुंडागर्दी और दम तोड़ती कानून व्यवस्था को उजागर किया है।
लखनऊ में सड़कों पर गुंडागर्दी: नर्सिंग छात्रा का 4 किमी तक पीछा
लखनऊ की सड़कों पर सड़कों पर गुंडागर्दी का एक और नमूना सामने आया, जहां सोमवार रात समतामूलक चौक से पॉलिटेक्निक चौराहे तक तीन गाड़ियों में सवार लोगों ने एक नर्सिंग छात्रा और उसके भाई का 4 किमी तक पीछा किया। आरोपियों ने गंदे इशारे किए, गालियां दीं और स्कूटी को घेरकर धमकी दी। पीड़िता ने कहा, “मैं डर के मारे कांप रही थी।” CCTV फुटेज में एक सफेद कार और अन्य वाहन स्कूटी का पीछा करते दिखे। पुलिस ने बताया कि एक कार प्रयागराज RTO में रजिस्टर्ड है और उसमें सवार युवक वकील हैं।
एडीसीपी पूर्वी पंकज सिंह ने पीड़िता के जवाबी रवैये का हवाला देकर मामले को कमजोर करने की कोशिश की, जो कानून-व्यवस्था की गंभीरता पर सवाल उठाता है। पीड़िता ने X पर लिखा, “लखनऊ की सड़कें लड़कियों के लिए सुरक्षित कब होंगी?” यह घटना महिलाओं की सुरक्षा के सरकारी दावों की हकीकत बयां करती है।
देवरिया में ससुराल की क्रूरता: दहेज उत्पीड़न और संदिग्ध हत्याएं
देवरिया के रुद्रपुर में एक नवविवाहिता ने ससुराल वालों पर दहेज उत्पीड़न, मारपीट, और संपत्ति हड़पने के गंभीर आरोप लगाए। पीड़िता ने बताया कि 23 नवंबर 2017 को उनकी शादी के बाद ससुर ने दहेज में दिए जेवर और सामान हड़प लिए और अवैध संबंध बनाने का दबाव डाला। 21 जून 2025 को ससुर, भसुर, देवर, और ननद ने मिलकर मारपीट की और उनकी साड़ी खींचकर लज्जा भंग की। पीड़िता ने 112 पर कॉल किया, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की और मेडिकल जांच तक नहीं कराई।
पीड़िता ने ससुर की संदिग्ध गतिविधियों का भी खुलासा किया। उनकी सास की मृत्यु 4 जनवरी 2022 को जलगांव (महाराष्ट्र) में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई, और ससुर की पहली पत्नी की मृत्यु भी 1998 में जलगांव में संदिग्ध थी। पीड़िता ने जलगांव में सास के मकान को हड़पने और पैतृक संपत्ति में हिस्सा न देने का भी आरोप लगाया। रुद्रपुर पुलिस की निष्क्रियता ने दम तोड़ती कानून व्यवस्था को उजागर किया है।
गोरखपुर: मुख्यमंत्री के गृह जनपद में महिलाओं की सुरक्षा खतरे में
गोरखपुर में सड़कों पर गुंडागर्दी का आलम है। 23 जून 2025 को एक नवविवाहिता से बीच बाजार मंगलसूत्र छीनने की घटना ने दहशत फैलाई। 2021 में एक युवती के साथ गैंगरेप की घटना ने कानून-व्यवस्था की पोल खोली थी। X पर एक यूजर ने लिखा, “मुख्यमंत्री के अपने शहर में महिलाओं की सुरक्षा नाम की चीज नहीं।” ये घटनाएं साबित करती हैं कि सरकारी दावे केवल कागजी हैं।
कानपुर: अपराधों का केंद्र
कानपुर में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हालात बदतर हैं। हाल ही में एक स्कूल शिक्षक द्वारा छात्रा के साथ बलात्कार की घटना ने शहर को हिलाकर रख दिया। 2019 में उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सुनवाई में कानपुर से 16 उत्पीड़न के मामले सामने आए। सड़कों पर छेड़छाड़ और लूट की घटनाएं आम हैं। X पर एक यूजर ने लिखा, “कानपुर में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ढह चुकी है।”
महिलाओं की सुरक्षा: खोखले दावे
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2022 में यूपी में महिलाओं के खिलाफ 65,743 मामले दर्ज हुए। मिशन शक्ति और एंटी-रोमियो स्क्वॉड जैसे अभियान कागजी साबित हो रहे हैं। लखनऊ, देवरिया, गोरखपुर, और कानपुर की घटनाएं सड़कों पर गुंडागर्दी और दम तोड़ती कानून व्यवस्था का सबूत हैं। X पर जनता का गुस्सा साफ है: “योगी जी, महिलाओं की सुरक्षा का दावा कब हकीकत बनेगा?”
समाधान की जरूरत
महिलाओं की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए:
- पुलिस में सुधार और महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती बढ़ानी होगी।
- CCTV और सार्वजनिक स्थानों पर रोशनी की व्यवस्था जरूरी है।
- अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई हो।
- सामाजिक जागरूकता और पितृसत्तात्मक मानसिकता में बदलाव लाना होगा।
इंसाफ का इंतजार
लखनऊ की नर्सिंग छात्रा, देवरिया की पीड़िता, और गोरखपुर-कानपुर की घटनाएं सड़कों पर गुंडागर्दी और दम तोड़ती कानून व्यवस्था की हकीकत बयां करती हैं। जनता की नजर पुलिस की कार्रवाई पर है। सवाल यह है कि क्या यूपी की बेटियां कभी बिना डर के जी सकेंगी? कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने का वक्त है, वरना ये घटनाएं यूपी के माथे पर कलंक बनती रहेंगी।
(स्रोत: पीड़ितों के बयान, CCTV फुटेज, X पर प्रतिक्रियाएं, NCRB डेटा)