मथुरा, 19 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश के ऊर्जा और नगर विकास मंत्री एके शर्मा को शनिवार दोपहर मथुरा के पवित्र बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के दौरान तीखे विरोध का सामना करना पड़ा। बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर योजना के खिलाफ स्थानीय सेवायतों और गोस्वामी समाज ने अपनी नाराजगी जाहिर की, जबकि 15-20 महिलाओं ने काली पट्टियां बांधकर “हाय-हाय, वापस जाओ” जैसे नारे लगाए। इस घटना ने बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर चल रहे विवाद को और गहरा कर दिया है।
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के खिलाफ सेवायतों का गुस्सा
मंत्री एके शर्मा जैसे ही बांके बिहारी मंदिर पहुंचे, कॉरिडोर का विरोध कर रहे सेवायतों ने तुरंत मंदिर का पर्दा डाल दिया, जिससे उनके दर्शन में बाधा उत्पन्न हुई। परंपरागत रूप से मंदिर में आने वाले विशिष्ट अतिथियों को प्रसाद और पटका भेंट किया जाता है, लेकिन इस बार सेवायतों ने यह सम्मान देने से इनकार कर दिया। यह कदम बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के प्रति उनके गहरे असंतोष को दर्शाता है।
सेवायतों का कहना है कि प्रस्तावित कॉरिडोर मंदिर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को नुकसान पहुंचाएगा। उनकी चिंता है कि 285 भवनों को तोड़ने और 5 एकड़ जमीन अधिग्रहण की योजना से स्थानीय लोग और दुकानदार प्रभावित होंगे।
महिलाओं का विरोध और नारेबाजी
मंत्री के मंदिर आने की सूचना मिलते ही 15-20 महिलाएं काली पट्टियां बांधकर मंदिर परिसर में पहुंच गईं। उन्होंने एके शर्मा को घेर लिया और बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के खिलाफ नारेबाजी की। “कॉरिडोर हाय-हाय” और “वापस जाओ” जैसे नारों से माहौल तनावपूर्ण हो गया। हंगामा बढ़ता देख प्रशासन ने तुरंत मंत्री को मंदिर के गेट नंबर 4 से सुरक्षित बाहर निकाला।
महिलाओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके साथ बदसलूकी की और उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दबाने की कोशिश की। एक प्रदर्शनकारी महिला ने कहा, “हमारी आस्था और आजीविका दांव पर है। कॉरिडोर से हमारी गलियां, दुकानें और परंपराएं खत्म हो जाएंगी।”
जुगल गोस्वामी की गद्दी पर बातचीत
मंदिर दर्शन के बाद एके शर्मा VIP रोड पर जुगल गोस्वामी की गद्दी पर पहुंचे, जहां विरोध प्रदर्शनकारी महिलाएं भी पीछे-पीछे पहुंच गईं। काफी देर तक नारेबाजी के बाद, मंत्री ने चार महिलाओं को बातचीत के लिए अंदर बुलाया। इस दौरान महिलाओं ने बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर कीं, जिसमें विस्थापन, मुआवजे की पारदर्शिता, और मंदिर की परंपराओं पर प्रभाव शामिल थे।
मंत्री ने महिलाओं के सामने हाथ जोड़कर उनकी बात सुनी और आश्वासन दिया कि सरकार जनता के हितों को प्राथमिकता देगी। उन्होंने कहा, “बांके बिहारी का दर्शन करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। कॉरिडोर का निर्माण पुराने लोगों और दुकानदारों को ध्यान में रखकर किया जाएगा। सरकार सबकी सहमति से और सबको साथ लेकर ही निर्णय करेगी।”
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर की पृष्ठभूमि
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर की योजना 19 अगस्त 2022 को जन्माष्टमी के दौरान हुई एक दुखद घटना से शुरू हुई। उस दिन मंदिर परिसर में भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग घायल हुए। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक जांच कमेटी गठित की, जिसकी अध्यक्षता पूर्व पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह ने की। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में भीड़ प्रबंधन और स्थान की कमी को हादसे का कारण बताया और कॉरिडोर निर्माण की सिफारिश की।
हाईकोर्ट ने नवंबर 2023 में कॉरिडोर निर्माण की अनुमति दी, लेकिन मंदिर ट्रस्ट के फंड के उपयोग पर रोक लगा दी। इसके बाद यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। 15 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को मंदिर ट्रस्ट के फंड का उपयोग कर 5 एकड़ जमीन अधिग्रहण की अनुमति दी। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अधिग्रहीत जमीन बांके बिहारी के नाम पर पंजीकृत हो।
कॉरिडोर की योजना और प्रभाव
प्रस्तावित बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के लिए 285 भवनों (188 आवासीय और 97 दुकानें) को तोड़ा जाएगा। मंदिर ट्रस्ट के 360 करोड़ रुपये में से 250 करोड़ जमीन अधिग्रहण और मुआवजे के लिए उपयोग होंगे, जबकि बाकी 110 करोड़ के ब्याज से मंदिर का रखरखाव होगा। प्रभावित लोगों को सर्किल रेट से अधिक मुआवजा और वृंदावन में फ्लैट्स दिए जाएंगे। दुकानदारों के लिए कॉरिडोर में ही नई दुकानें बनाई जाएंगी।
कॉरिडोर बनने के बाद मंदिर की क्षमता 1,500 से बढ़कर 10,000 लोगों की हो जाएगी। 11,300 वर्ग मीटर के परिसर में 5,113 वर्ग मीटर खुला क्षेत्र और 3,500 वर्ग मीटर में वेटिंग रूम होगा। मंदिर तक पहुंचने के लिए चार मुख्य मार्ग होंगे: जुगलघाट, विद्यापीठ चौराहा, VIP रोड, और दुसायत मोहल्ला। ये मार्ग 20 से 50 फीट चौड़े होंगे, जिससे भीड़ प्रबंधन में सुधार होगा।
सरकार और स्थानीय समुदाय के बीच तनाव
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर सरकार और स्थानीय समुदाय के बीच तनाव बना हुआ है। जहां सरकार का दावा है कि कॉरिडोर से श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ेगी, वहीं गोस्वामी समाज और स्थानीय लोग इसे मंदिर की परंपराओं और वृंदावन की संकरी गलियों की पहचान के लिए खतरा मानते हैं। कुछ प्रदर्शनकारी इसे सनातन धर्म पर हमला बताते हैं, जबकि एके शर्मा ने कहा, “हमारी सरकार ने श्रीकृष्ण, श्रीराम, और विश्वनाथ जैसे धार्मिक स्थलों के लिए सेवा की है। हमारा इरादा किसी को पीड़ा देना नहीं है।”
आगे क्या?
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का सर्वे तेजी से चल रहा है, लेकिन स्थानीय विरोध कम होने का नाम नहीं ले रहा। कुछ लोग कोर्ट के फैसले को चुनौती देने की योजना बना रहे हैं। मुआवजे और पुनर्वास की प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस बीच, प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच संवाद की जरूरत महसूस की जा रही है ताकि मंदिर की धार्मिक महत्ता और स्थानीय हितों का संतुलन बनाया जा सके।