कानपुर (उत्तर प्रदेश), 20 सितंबर: कानपुर से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक बेटे ने अपने ही पिता की हत्या कर दी। फिल्म दृश्यम और क्राइम पेट्रोल के एपिसोड देखकर रची गई इस साजिश ने पुलिस को भी हैरान कर दिया।
कानपुर में बेटे ने पिता की हत्या की इस सनसनीखेज वारदात ने पूरे शहर को हिला दिया है। 62 वर्षीय कमलापति, जो रेलवे से रिटायर्ड गार्ड थे, को उनके बेटे रामजी ने दोस्त ऋषभ शुक्ला के साथ मिलकर गला दबाकर मार डाला। यह सब संपत्ति के लालच में हुआ, जहां दुकानों का किराया और पेंशन के पैसे को लेकर अक्सर झगड़े होते थे। पुलिस ने छह महीने की जांच के बाद इस मामले का पर्दाफाश किया, जब आरोपी बेटे ने अपना जुर्म कबूल लिया।
क्या था पूरा हत्याकांड?
कमलापति कानपुर के कल्याणपुर इलाके में पुराना शिवली रोड, चंदेल नगर में रहते थे। उनके परिवार में पत्नी मधु तिवारी, दो बेटे श्यामजी और रामजी, साथ ही एक बेटी है, जो पति के साथ ओडिशा में रहती है। श्यामजी एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं और चकेरी के सनिगवां में परिवार के साथ रहते हैं। वहीं, रामजी शराब का आदी था, जिस वजह से पिता उसे घर से अलग रखते थे। वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ नारामऊ में ससुराल में रहता था।
घटना मार्च महीने की है, जब कमलापति की पत्नी मधु वृंदावन गई हुई थीं। 17 मार्च को रामजी अपने दोस्त ऋषभ के साथ घर पहुंचा। पिता नशे की हालत में थे, तभी रामजी ने गला दबाकर उनकी जान ले ली। हत्या के बाद दोनों शव को कार में डालकर 75 किलोमीटर दूर औरैया के बेला इलाके में पटना नहर के किनारे ले गए। वहां शव के कपड़े उतार दिए और पहचान छिपाने के लिए चेहरे पर पेट्रोल से भीगा बोरा डालकर आग लगा दी। लेकिन आग की तेज रोशनी से डरकर वे भाग निकले, और चेहरा पूरी तरह नहीं जला।
पुलिस को कैसे गुमराह करने की कोशिश की?
रामजी ने इस हत्याकांड को अंजाम देने के लिए फिल्म दृश्यम और टीवी शो क्राइम पेट्रोल से आइडिया लिया। डीसीपी वेस्ट दिनेश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि आरोपी ने पुलिस को भटकाने के लिए पिता का मोबाइल दोस्त ऋषभ को देकर बिहार के जयनगर भेज दिया। निर्देश था कि वहां पहुंचकर मोबाइल ऑन करे और फिर ऑफ कर दे, ताकि आखिरी लोकेशन बिहार की आए। ऋषभ ने वैसा ही किया, लेकिन लालच में मोबाइल नेपाल में बेचने की सोचकर वापस कानपुर लौट आया और रामजी को दे दिया।
पुलिस जांच में यह मोबाइल रामजी के घर से बरामद हुआ, जो बड़ा क्लू साबित हुआ। डीसीपी ने कहा कि रामजी हत्या के बाद परिवार समेत पिता के घर में रहने लगा था, लेकिन गुमशुदगी की रिपोर्ट नहीं कराई। आसपास के लोगों ने बताया कि आखिरी बार रामजी को ही पिता के साथ देखा गया था। सख्त पूछताछ में रामजी टूट गया और सब कबूल लिया।
संपत्ति विवाद बना हत्या की वजह
कमलापति के पास शिवली रोड पर करोड़ों की आठ दुकानें थीं, जिनसे हर महीने 25 से 30 हजार रुपये किराया आता था। साथ ही, उन्हें 60 हजार रुपये पेंशन मिलती थी। रामजी बेरोजगार था और इन पैसों पर नजर रखता था। पिता उसे पैसे नहीं देते थे, जिससे अक्सर विवाद होता। डीसीपी ने बताया कि कई बार समझाने की कोशिश के बाद रामजी ने पिता को रास्ते से हटाने का फैसला लिया।
हत्या के बाद 18 मार्च को औरैया पुलिस को लावारिस शव मिला, लेकिन पहचान नहीं हुई। करीब डेढ़ महीने बाद 29 मई को मधु वृंदावन से लौटीं, तो पति न मिलने पर खोजबीन की। 12 जून को कल्याणपुर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस ने औरैया की लाश की फोटो दिखाई, तो परिवार ने पहचान ली। इसके बाद जांच तेज हुई और छह महीने में केस सॉल्व हो गया।
गिरफ्तारी और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने रामजी और उसके दोस्त ऋषभ शुक्ला को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। डीसीपी वेस्ट ने कहा कि इस मामले ने दिखाया कि फिल्में और शो से मिले आइडिया कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं। कानपुर पुलिस अब ऐसे मामलों पर और सतर्कता बरत रही है।