⚖️ जौनपुर में दरोगा ने बुजुर्ग महिला को दी उसके नाती के एनकाउंटर की धमकी, वायरल हुआ वीडियो!

🔥 जौनपुर, उत्तर प्रदेश — एक बार फिर उत्तर प्रदेश पुलिस विवादों के केंद्र में है। सराय ख्वाजा थाना क्षेत्र के कोटवार बाजार गांव में एक पुलिस दरोगा द्वारा बुजुर्ग महिला के नाती को ‘एनकाउंटर’ की धमकी देने और उसके द्वारा पैर पकड़ने पर “चल हट!” जैसे अपमानजनक शब्द कहने का वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है। इस घटना ने यूपी पुलिस की जनता के प्रति संवेदनहीनता और धौंसपट्टी की मानसिकता को बेनकाब कर दिया है।

📹 वायरल वीडियो में क्या दिख रहा है?

  • दरोगा मनसा राम गुप्ता (नाम प्रचलित) एक गांव में जमीनी विवाद के मामले में मौजूद हैं।
  • एक बुजुर्ग महिला उनसे अपने नाती की सुरक्षा की गुहार लगाती है, जिस पर दरोगा आक्रामक होकर कहता है: “नाती मिला तो इनकाउंटर कर दूंगा!”
  • महिला भयभीत होकर दरोगा के पैर पकड़ लेती है, लेकिन वह वर्दी के गुमान में उसे दुत्कारते हुए झिड़क देता है: “चल हट!”
  • दरोगा का रवैया पुलिसिया दंभ और नागरिकों के प्रति अमानवीय रवैये का प्रतीक है।

⚡ अखिलेश यादव ने उठाए सवाल, भाजपा सरकार को घेरा

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस वीडियो को अपने ‘X’ (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर शेयर करते हुए भाजपा सरकार से चार सीधे सवाल किए:

“सरेआम एनकाउंटर की धमकी देनेवालों के लिए भाजपा सरकार अपनी नीति स्पष्ट करे:

  1. नौकरी से बर्खास्त करेगी या
  2. ’हिस्सा-बाँट’ करके मामला रफ़ा-दफ़ा करेगी या
  3. एनकाउंटर का डर बढ़ाने के लिए पुलिसवाले को पुरस्कृत करेगी या
  4. ज़ीरो टॉलरेंस में एक ज़ीरो और बढ़ाएगी।”**

यह ट्वीट पुलिस के खिलाफ कार्रवाई में योगी सरकार की “डबल स्टैंडर्ड” नीति पर सवाल खड़े करता है।

⚰️ जौनपुर: जमीन विवादों का खूनी अखाड़ा

इस घटना का संबंध जमीन विवाद से है, जो जौनपुर में हिंसा और मौतों का प्रमुख कारण बन चुका है:

  • अक्टूबर 2024: गौराबादशाहपुर थाना क्षेत्र में ताइक्वांडो खिलाड़ी अनुराग यादव का तलवार से सिर काटकर हत्या ।
  • मई 2024: बरसठी थाना क्षेत्र में एक ही परिवार के दो सगे भाइयों की हत्या, दो गंभीर रूप से घायल ।
  • जून 2025: चंदवक थाना क्षेत्र में जमीन विवाद में पिता की गोली से 12 साल के बेटे की मौत

👮‍♂️ यूपी पुलिस: विवादों का सिलसिला जारी

मनसा राम गुप्ता मामला पुलिस व्यवहार की बदतमीजी का नया अध्याय भर है:

  • देवरिया: एकौना थाना क्षेत्र में दरोगा और सिपाही भोजपुरी गानों पर निजी कार्यक्रम में ठुमके लगाते हुए वायरल हुए। विभागीय फजीहत के बाद लाइन हाजिर करना पड़ा।
  • लखनऊ: “मिस गोरखपुर” उपनाम से मशहूर चायवाली महिला मॉडल के साथ पुलिसिया बर्बरता का वीडियो वायरल हुआ।

⚖️ क्या है कानूनी प्रक्रिया?

जमीन विवाद में शिकायत के लिए यूपी सरकार के पास मौजूदा चैनल हैं:

  1. स्थानीय पुलिस थाना में एफआईआर।
  2. तहसीलदार या राजस्व अधिकारी को आवेदन।
  3. जनसुनवाई पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत ।
  4. सिविल कोर्ट में केस दर्ज कराना।

लेकिन सवाल यह है कि जब पुलिस ही धमकाने लगे, तो न्याय कहां मिले?

📢 जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया

इस घटना ने सोशल मीडिया पर आक्रोश भड़का दिया है:

  • “वर्दी देश की रक्षा के लिए होती है, बुजुर्गों को धमकाने के लिए नहीं!” — यूजर @RightActivist।
  • “यूपी पुलिस का असली चेहरा। एनकाउंटर का कल्चर अब बुजुर्ग महिलाओं तक पहुंच गया है।” — @LawyerForJustice।
  • मानवाधिकार आयोग से त्वरित कार्रवाई की मांग की जा रही है।

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🚨 चुनौती भाजपा सरकार के लिए!

यह घटना योगी सरकार के “ज़ीरो टॉलरेंस” के दावों की पोल खोलती है। सवाल यह है कि क्या सरकार:

  • दरोगा मनसा राम गुप्ता के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करेगी?
  • जमीन विवादों के निपटारे के लिए पारदर्शी तंत्र विकसित करेगी?
  • पुलिस को जनसेवक बनाने के लिए संवेदीकरण प्रशिक्षण शुरू करेगी?

जौनपुर का यह वीडियो सिर्फ एक घटना नहीं, यूपी पुलिस की कुंठित मानसिकता का दस्तावेज है। जब तक पुलिस को “खाकी वर्दी का लाइसेंस” बर्बरता और धौंस के लिए मिलता रहेगा, तब तक “एनकाउंटर राज” में बुजुर्गों के पैर पकड़ने के मार्मिक दृश्य दोहराए जाते रहेंगे। भाजपा सरकार को चुनौती है कि वह इस घटना पर केवल प्रचार नहीं, प्रक्रिया से जवाब दे!

पूरी घटना संक्षेप में: कोटवार गांव, जौनपुर में विशाल यादव और उनकी दादी कलावती एक जमीन विवाद में फंसे हैं, जहां दूसरा पक्ष अवैध निर्माण की कोशिश कर रहा है। इस विवाद के दौरान एक दरोगा ने विशाल को “एनकाउंटर” की धमकी दी, जिसका वीडियो वायरल होने के बाद लोगों में गुस्सा फैल गया। इसके परिणामस्वरूप, अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है और जांच चल रही है। डर के कारण विशाल का परिवार गांव छोड़कर भाग गया। उत्तर प्रदेश में पुलिस एनकाउंटर लंबे समय से विवादास्पद रहे हैं—कुछ लोग इन्हें त्वरित न्याय मानते हैं, तो कुछ मानवाधिकार उल्लंघन। यह मामला एक सिविल डिस्प्यूट में पुलिस की संभावित दखलंदाजी को बेनकाब करता है।

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