“मैंने कहा भाई साहब रहम करो, मेरा गुनाह क्या है? लेकिन उन्होंने मेरी एक न सुनी… वे हंस रहे थे जब मुझे चप्पल चाटनी पड़ रही थी।”
– पीड़ित 16 वर्षीय किशोर का हृदय विदारक बयान
कानपुर में नाबालिग के साथ चप्पल चटवाने, पेशाब पिलाने का क्या है पूरा मामला..
कानपुर नगर (उत्तर प्रदेश) 30 जून: कानपुर नगर के साउथ कोने में स्थित गुजैनी में एक ऐसी घटना घटी जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया। यहां 16 साल के एक मासूम को कार में जबरिया बैठा कर रंगबाजो ने चप्पल चटवाया। बेखौफ रंगबाज यही नही रुके उन्होंने मासूम को पेशाब पिलाया। ऐसी घटना सुनकर इंसान का कलेजा कांप जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाएं अब आम हो गई है।
पिछले दिनों कानपुर से सटे इटावा में एक गैर ब्राह्मण जब कथा कह रहा था तो ब्राह्मणों ने उसकी चोंटी कांटी, इतना ही नही उसके ऊपर महिला के पेशाब के छींटे मारे। यह पाप पूरी रात चलता रहा लेकिन पुलिस को कानों-कान ख़बर तक नही लगी, जबकि यूपी सरकार का ऐसा दावा है कि हर गांव में चौकीदार की नियुक्ति हुई है। तो क्या चौकीदार सो गया था या उसने पुलिस को खबर दी लेकिन पुलिस बेचारी नींद में खलल न हो इसलिए ख़बर को दबा दी।
गुजैनी में चप्पल चटवाने, पेशाब पिलाने की घटना जिसने इंसानियत को शर्मसार किया।
कानपुर के गुजैनी थाना क्षेत्र में 25 जून को घटी वह भयावह घटना, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया, आज 30 जून को भी न्याय की प्रतीक्षा कर रही है। पांच दबंगों द्वारा 16 वर्षीय कॉस्मेटिक दुकानदार के अपहरण, यातना और अपमान के बावजूद, पुलिस की दो “विशेष टीमें” एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई हैं ।
🔍 घटना की पुनर्निर्माण: एक-एक पल की पीड़ा
- छल का फोन: 25 जून की शाम, दुकान पर काम करते हुए पीड़ित को दीपक पाल का फोन आया – “मुझे घरवालों ने निकाल दिया है, राम गोपाल चौराहे पर अकेला बैठा हूँ”। सहृदय किशोर तुरंत दुकान बंद कर ₹6,000 की दैनिक कमाई साथ लेकर चला गया ।
- कार में अगवा: चौराहे पर दीपक, शांतनु, डीके और दो अन्य सहयोगियों ने उसे कार में खींचा। तिकोना पार्क ले जाने के बाद एक अज्ञात कमरे में कैद किया ।
- यातना का चक्र:
- बेरहम पिटाई
- दीपक द्वारा जबरन पेशाब पिलाया जाना
- डीके द्वारा चप्पल पर थूक कर जबरन चटवाना
- शांतनु द्वारा 54-सेकंड का वीडियो बनाना
- जेब से ₹6,000 की लूट
- वीडियो का विषैला प्रसार: 29 जून को वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। पीड़ित के रहम की गुहार और आरोपियों की दरिंदगी ने समाज को झकझोर दिया ।
⚖️ पुलिस की प्रतिक्रिया: दावे और हकीकत का अंतर
- 29 जून: वीडियो वायरल होने के बाद रात में FIR दर्ज। आरोपियों के खिलाफ IPC की गंभीर धाराएँ लागू ।
- दो टीमों का गठन: डीसीपी दीपेंद्र नाथ चौधरी ने गिरफ्तारी के लिए विशेष टीमें बनाने की घोषणा की ।
- 30 जून स्थिति:
- एक भी आरोपी गिरफ्तार नहीं
- पीड़ित का मेडिकल परीक्षण कराया गया
- बयान दर्ज किए गए
- घटना का कारण अभी भी “अज्ञात”
❓ गंभीत सवाल जो समाज पूछ रहा है:
- पुलिस की विफलता: 120 घंटे बाद भी गिरफ्तारी क्यों नहीं? क्या दबंगों को सुरक्षित ठिकाने मिले हुए हैं?
- यातना का मकसद: पीड़ित के अनुसार, उसकी आरोपियों से कोई पुरानी दुश्मनी नहीं थी। फिर यह नृशंसता क्यों?
- वीडियो का स्रोत: किसने वायरल किया? क्या आरोपियों ने ही पीड़ित को डराने का यह तरीका अपनाया?
📢 पीड़ित परिवार और समाज की आवाज:
“हम मुख्यमंत्री और पुलिस प्रमुख से सीधे हस्तक्षेप की मांग करते हैं। यदि ऐसे अपराधियों को तुरंत सजा नहीं मिली, तो कोई भी नाबालिग सुरक्षित नहीं है।”
– पीड़ित के परिजनों का आक्रोश
कानपुर का यह मामला सिर्फ एक घटना नहीं, यह परीक्षा है उस व्यवस्था की जो नाबालिगों को सुरक्षा का आश्वासन देती है। जब तक दीपक, शांतनु, डीके और उनके साथी जेल नहीं पहुँचते, तब तक कानपुर की सड़कों पर इंसानियत कैद रहेगी। न्याय की घड़ी का टिक-टॉक जारी है… ⏳