रूद्रपुर-देवरिया (उत्तर प्रदेश) 1 सितम्बर: कल्पना कीजिए, दो नदियों के बीच बसा एक गांव जहां लोग सालों से शुद्ध पानी की बूंद को तरस रहे हैं, और सरकारी योजना का बजट करोड़ों में होने के बावजूद नल से निकल रहा है सिर्फ दूषित कीचड़। देवरिया के विशुनपुर बगही में ये हकीकत अब ग्रामीणों के जीवन को नरक बना चुकी है, जहां जल जीवन मिशन का वादा कागजों तक सिमट गया है।
जल जीवन मिशन की ये घटना रुद्रपुर ब्लॉक के विशुनपुर बगही गांव से जुड़ी है, जहां 2798 की आबादी और 560 घरों में लोग हैंडपंप के पीले-दूषित पानी पर निर्भर हैं। गोर्रा और राप्ती नदियों के बीच बसे इस गांव में जलजनित बीमारियां फैल रही हैं, क्योंकि पानी इतना गंदा है कि कपड़े धोने पर भी उनका रंग पीला हो जाता है।
हमने ग्रामीणों से बात की, तो पता चला कि केंद्र सरकार की योजना के तहत 160.69 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे, और 29 दिसंबर 2023 को टंकी निर्माण शुरू हुआ था। ठेकेदार को 18 महीनों में सभी घरों में पानी सप्लाई शुरू करनी थी, लेकिन आज 1 सितंबर 2025 है और टंकी अभी तक नहीं बनी। पाइपलाइन भी आधे-अधूरे घरों में ही बिछी है, और पानी की एक बूंद नहीं पहुंची। ये देरी न सिर्फ बजट की बर्बादी है, बल्कि लोगों की सेहत पर हमला है।
गांव की हकीकत
विशुनपुर बगही में घूमते हुए हमने देखा कि हर घर की कहानी एक जैसी है – महिलाएं, बच्चे जल जनित बीमारियों से ग्रसित हैं, और बुजुर्गों को पेट दर्द की शिकायत यहां आम है। ग्रामीण नितेश कुमार यादव का कहना है कि, “हैंडपंप का पानी पीने से डायरिया और टाइफाइड जैसी बीमारियां घर-घर में हैं। कपड़े धोने पर रंग बदल जाता है, सोचिए पीने पर क्या हाल होता होगा।”
इसी तरह, काशीनाथ सिंह, हरिश्चंद्र सिंह, दीपू सिंह और गणेश सिंह ने आक्रोश जताया कि योजना शुरू होने के बाद उम्मीद जगी थी, लेकिन अब निराशा है। देवरिया ज़िलें के विशुनपुर बगही गांव में जल जीवन मिशन की यह समस्या भी जोगिया बुज़ुर्ग, पिड़रा की तरह ही है ज़िलें के ग्रामीणों क्षेत्रो में अक्सर देखा जाता है कि ठेकेदार काम आधा छोड़कर गायब हो जाते हैं, और प्रशासन की निगरानी कमजोर रहती है।
विशुनपुर बगही गांव की 2798 आबादी में ज्यादातर किसान हैं, जो बारिश में तो कीचड़ भरे पानी से जूझते हैं, और सूखे में पानी की किल्लत से। ये सिर्फ प्यास का मसला नहीं, बल्कि स्वास्थ्य संकट है, जहां जलजनित रोगों से सालाना हजारों प्रभावित हो रहे हैं। अनुसूचित जाति की एक महिला ने बताया कि उसके पति दूषित पानी पीने से पीलिया के शिकार हो गए और उनकी मौत हो गई।
योजना की शुरुआत और देरी के कारण
जल जीवन मिशन 2019 में शुरू हुई थी, जिसका लक्ष्य 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल से शुद्ध पानी पहुंचाना था। उत्तर प्रदेश में ये योजना काफी आगे बढ़ी है, जहां देवरिया जिले में 3.92 लाख घरों तक कनेक्शन का दावा है। लेकिन विशुनपुर बगही में 160.69 करोड़ के बजट के बावजूद टंकी निर्माण रुका पड़ा है। ठेकेदार को 18 महीने दिए गए थे, लेकिन 20 महीने बीत चुके हैं और काम अधर में है।
ग्रामीणों का आरोप है कि घटिया सामग्री और बजट के दुरुपयोग से देरी हो रही है। देवरिया जैसे जिलों में ऐसी कई शिकायतें हैं, जहां पूर्वांचल के वाराणसी के गुड़िया गांव में भी इंफ्रास्ट्रक्चर तो बन गया, लेकिन पानी नहीं पहुंचा। विशेषज्ञों का कहना है कि ठेकेदारों पर पेनल्टी और कम्युनिटी मॉनिटरिंग की कमी से ऐसी समस्याएं बढ़ रही हैं। योजना के तहत पाइपलाइन बिछाने का काम आधा-अधूरा है, और टंकी न बनने से पूरी स्कीम फेल हो रही है।
स्वास्थ्य पर असर और जलजनित बीमारियां
गंदे पानी से विशुनपुर बगही में डेंगू, हेपेटाइटिस और डायरिया जैसे रोग फैल रहे हैं। एक ग्रामीण जिसके बच्चे बीमार है ने कहा, “हमारे बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, क्योंकि पेट दर्द से तड़पते हैं।” देवरिया जिले में जल जीवन मिशन की देरी से ऐसे केस बढ़े हैं, जहां पिछले साल जलजनित बीमारियों में 20% इजाफा हुआ।
विशुनपुर बगही दो नदियों के बीच होने से गांव में ग्राउंडवाटर दूषित है, और हैंडपंप से निकलने वाला पानी आयरन और बैक्टीरिया से भरा है। महिलाएं बताती हैं कि कपड़े धोने पर पीला रंग चढ़ जाता है, जो सेहत के लिए खतरनाक है। अगर योजना समय पर पूरी होती, तो ये समस्या दूर हो जाती, लेकिन देरी से लोग अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं। उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन ने पानीजनित बीमारियों में 98% कमी का दावा किया है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में रियलिटी अलग है।
प्रशासन का पक्ष और आगे की राह
जल शक्ति विभाग के अधिकारियों से बात करने पर उन्होंने कहा कि विशुनपुर बगही में काम जल्द पूरा होगा, और बजट जारी हो चुका है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि ये वादे खोखले हैं। देवरिया डिस्ट्रिक्ट डैशबोर्ड पर योजना की प्रगति दिखाई जाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर कमी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योजना की समीक्षा में तेजी के निर्देश दिए हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर निगरानी की जरूरत है। ग्रामीणों की मांग है कि ठेकेदार पर कार्रवाई हो और काम तुरंत शुरू किया जाए।
अन्य गांवों की स्थिति और राष्ट्रीय परिदृश्य
देवरिया के रूद्रपुर ब्लॉक अंतर्गत पिडरा, जोगिया बुजुर्ग जैसे गांवों में भी टंकी बनी लेकिन पाइपलाइन नहीं बिछी। राष्ट्रीय स्तर पर जल जीवन मिशन ने 80% घरों तक पहुंच का दावा किया है, लेकिन देरी और फंडिंग की कमी से क्रेडिबिलिटी संकट है।