देवरिया का दोआबा इलाका एक बार फिर नदियों के उतार-चढ़ाव से थर्रा उठा है। जहां राप्ती की बढ़ती लहरें डर पैदा कर रही हैं, वहीं गोर्रा की गिरावट ने थोड़ी राहत दी, लेकिन कटाव का संकट अब भी मंडरा रहा है।
देवरिया (उत्तर प्रदेश), 24 सितंबर: देवरिया जिले में नेपाल से निकलकर बहने वाली राप्ती नदी जलस्तर में बुधवार को मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि इसकी सहायक गोर्रा नदी में जल स्तर थोड़ा नीचे आया। पिडरा पुल के गेज पर गोर्रा का स्तर 69.95 मीटर रहा, जो कल से 10 सेंटीमीटर कम है। वहीं, भेड़ी के पास राप्ती का गेज 69.85 मीटर पर पहुंच गया, जो कल 69.80 मीटर था। दोनों नदियों का खतरे का निशान 70.5 मीटर है, और फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन ग्रामीणों में चिंता बनी हुई है।
नदियों का उतार-चढ़ाव: खतरा अभी टला नहीं
बुधवार को राप्ती नदी जलस्तर में यह मामूली वृद्धि नेपाल से लगातार हो रही बारिश का नतीजा मानी जा रही है। स्थानीय मौसम विभाग के अनुसार, ऊपरी इलाकों में वर्षा से नदी का बहाव बढ़ा है, लेकिन गोर्रा में गिरावट से थोड़ी सुकून की सांस ली जा सकती है। पिडरा और भेड़ी गेज पर नजर रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि अगर बारिश जारी रही तो राप्ती का स्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच सकता है। पिछले साल भी ऐसी ही स्थिति में दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आए थे, जहां तटबंधों की कमजोरी ने बड़ा नुकसान पहुंचाया।
तटबंधों पर लापरवाही: अधिकारियों का दौरा, लेकिन काम आधा-अधूरा
मंगलवार को बाढ़ और सिंचाई विभाग के अधिकारी तटबंधों का जायजा लेने पहुंचे। विभिन्न स्थलों पर मिट्टी गिराकर कटाव रोकने की कोशिश की गई, लेकिन ग्रामीण इसे आनन-फानन का काम बता रहे हैं। स्थानीय निवासी धर्मवीर यादव ने कहा कि तटबंधों पर ठोस निर्माण की बजाय हर साल पैचवर्क किया जाता है, जो जनता के टैक्स के पैसों का दुरुपयोग है। उन्होंने बताया कि कटान वाले जगहों पर पक्का काम होना चाहिए, वरना हर बरसात में यही हाल रहेगा। अधिकारियों का दौरा जरूर हुआ, लेकिन ग्रामीणों की शिकायत है कि यह सिर्फ खानापूर्ति था।
कटाव का कहर: किसानों की जमीन नदी में समाई
राप्ती नदी जलस्तर के उतार-चढ़ाव से पिडरा, रतनपुर, बहोरा दलपतपुर, नरायनपुर, ईश्वरपुरा, सोनबरसा, नकईल, बनकटा और शीतलमाझां जैसे दर्जनों गांव प्रभावित हो रहे हैं। पिडरा और रतनपुर में हाल ही में हुई कटान से कई किसानों की कृषि भूमि गोर्रा नदी में विलीन हो गई। खेतिहर किसान अब अपनी फसलों की चिंता में हैं, क्योंकि बाढ़ का पानी अगर बढ़ा तो पूरी उपज बर्बाद हो सकती है। स्थानीय सूत्रों से पता चला कि पिछले हफ्ते भी गोर्रा के तेज बहाव से कुछ एकड़ जमीन कट गई, जिससे परिवारों की आजीविका पर संकट आ गया है।
बाढ़ विभाग का दावा: कटाव रोकने के प्रयास जारी
बाढ़ विभाग के जूनियर इंजीनियर राधेश्याम प्रसाद ने बताया कि तटबंधों पर कटाव रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मिट्टी का काम अस्थायी है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए योजना बन रही है। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि हर साल यही वादे सुनते हैं, लेकिन अमल कम होता है। देवरिया में राप्ती और गोर्रा जैसी नदियों से बाढ़ का खतरा हमेशा रहता है, खासकर मानसून के अंत में जब नेपाल से पानी का बहाव बढ़ता है। हाल ही में कुशीनगर में भी घाघरा नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव से कटाव की खबरें आई हैं, जो पड़ोसी जिलों की स्थिति को दर्शाती हैं।