उत्तर प्रदेश का देवरिया जिला एक बार फिर खून से सन गया। पगरा उर्फ परसिया गांव में एक पुराने जमीनी विवाद ने इतना भयानक मोड़ लिया कि एक भाई ने अपने बड़े भाई को मौत के घाट उतार दिया।
देवरिया हत्याकांड: पगरा गांव में खूनी रंजिश, भाई ने भाई की जान ले ली
देवरिया, उत्तर प्रदेश 27 जुलाई: देवरिया हत्याकांड ने ग्रामीण भारत में जमीनी रंजिश की गंभीरता को फिर से उजागर किया है। 70 साल के सुकई चौहान, जो अपने गांव में सादगी भरा जीवन जी रहे थे, शनिवार शाम अपने छोटे भाई दुधई चौहान और उनके परिवार की क्रूरता का शिकार हो गए। यह घटना न सिर्फ पगरा गांव, बल्कि पूरे जिले में डर और गुस्से का माहौल पैदा कर रही है। आइए, इस दिल दहलाने वाली घटना की पूरी कहानी को समझते हैं।
कैसे शुरू हुआ यह खूनी खेल?
पगरा गांव, जो देवरिया जिले के सदर कोतवाली क्षेत्र में बसा है, शनिवार शाम उस वक्त सुर्खियों में आ गया जब एक मामूली जमीनी विवाद ने खौफनाक रूप ले लिया। सुकई चौहान और उनके छोटे भाई दुधई चौहान के बीच सड़क किनारे की आठ कट्ठा जमीन को लेकर 2014 से तनातनी चल रही थी। यह विवाद इतना पुराना था कि गांव में इसे कोई नई बात नहीं मानता था। लेकिन, इस बार यह रंजिश खून की स्याही से लिखी गई।
ग्रामीणों के मुताबिक, दोनों भाइयों के बीच इस जमीन को लेकर आए दिन बहस होती थी। कभी गाली-गलौज, तो कभी हाथापाई तक बात पहुंच जाती थी। शनिवार की शाम को सुकई जब गांव के बाहर शौच के लिए गए, तो दुधई और उनके परिवार ने मौका देखकर उन पर हमला बोल दिया। लाठी-डंडों से सुकई पर ताबड़तोड़ प्रहार किए गए, जिससे वह खून से लथपथ होकर जमीन पर गिर पड़े।
परिजनों की चीखें और मेडिकल कॉलेज की हार
सुकई के लहूलुहान होने की खबर जैसे ही परिजनों को मिली, वे दौड़कर मौके पर पहुंचे। आनन-फानन में उन्हें देवरिया मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस खबर ने सुकई के परिवार को तोड़कर रख दिया। उनकी पत्नी और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल था। गांव में मातम पसर गया, और लोग इस क्रूरता पर आक्रोश जताने लगे।
एक स्थानीय निवासी रमेश यादव (बदला हुआ नाम) ने बताया, “सुकई जी बहुत शांत इंसान थे। वह किसी से उलझते नहीं थे। लेकिन जमीन का यह झगड़ा इतना बढ़ गया कि भाई ने भाई को मार डाला। यह देखकर दिल कांप गया।”
पुलिस की त्वरित कार्रवाई, चार हिरासत में
घटना की सूचना मिलते ही सदर कोतवाली पुलिस तुरंत हरकत में आ गई। कोतवाल डीके सिंह और क्षेत्राधिकारी संजय रेड्डी ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। पुलिस ने मुख्य आरोपी दुधई चौहान, उनकी दो बेटियों और एक महिला रिश्तेदार को हिरासत में ले लिया। अपर पुलिस अधीक्षक (उत्तरी) अरविंद कुमार वर्मा ने बताया कि सुकई की हत्या लाठी-डंडों से की गई है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है, और मामले की तफ्तीश तेजी से की जा रही है।
गांव में तनाव को देखते हुए पुलिस ने अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी है। पुलिस कैंपिंग कर रही है ताकि कोई और अप्रिय घटना न हो।
जमीनी विवाद: यूपी का पुराना नासूर
देवरिया में जमीनी विवाद कोई नई बात नहीं है। 2023 में फतेहपुर गांव में हुए एक हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर दिया था, जिसमें एक ही परिवार के छह लोगों की हत्या कर दी गई थी। उस घटना में भी जमीनी विवाद ही मुख्य वजह थी। पगरा गांव का यह ताजा हत्याकांड फिर से वही सवाल उठाता है: आखिर प्रशासन इन विवादों को क्यों नहीं सुलझा पाता?
स्थानीय लोग बताते हैं कि राजस्व विभाग की लचर व्यवस्था और पुलिस की उदासीनता की वजह से छोटे-मोटे विवाद खूनी खेल में बदल जाते हैं। एक ग्रामीण ने गुस्से में कहा, “अगर समय रहते जमीन की पैमाइश हो जाती या पुलिस ने सख्ती दिखाई होती, तो शायद सुकई जी आज जिंदा होते।”
गांव में डर का साया, लोग सहमे
पगरा गांव में इस हत्याकांड के बाद सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग डर के मारे अपने घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं। कई ग्रामीणों का कहना है कि सुकई और दुधई का विवाद पहले ही सुलझाया जा सकता था, अगर गांव के बड़े-बुजुर्गों या प्रशासन ने इसकी गंभीरता को समझा होता।
एक स्थानीय महिला, शांति देवी, ने बताया, “यह झगड़ा कई सालों से चल रहा था। हम लोग बीच-बचाव करने की कोशिश करते थे, लेकिन कोई सुनता ही नहीं था। अब एक इंसान की जान चली गई, और गांव का माहौल खराब हो गया।”
क्या है जमीनी विवादों का मूल कारण?
उत्तर प्रदेश में जमीनी विवादों की जड़ में कई कारण हैं। ग्रामीण इलाकों में जमीन न केवल आजीविका का स्रोत है, बल्कि सामाजिक रुतबे का प्रतीक भी है। यही वजह है कि छोटी-सी जमीन के लिए लोग खून-खराबे तक उतर आते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में हर साल हजारों जमीनी विवाद दर्ज होते हैं, जिनमें से कई हिंसक रूप ले लेते हैं। देवरिया जैसे जिलों में, जहां खेती-किसानी लोगों की रीढ़ है, जमीन को लेकर रंजिश आम बात है। लेकिन पगरा गांव की यह घटना एक बार फिर चेतावनी देती है कि अगर इन विवादों को समय रहते नहीं सुलझाया गया, तो ऐसी त्रासदियां बार-बार होंगी।
प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल
इस हत्याकांड ने पुलिस और राजस्व विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सुकई और दुधई का विवाद लंबे समय से चल रहा था, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। अगर समय रहते जमीन की पैमाइश कराई गई होती या दोनों पक्षों में सुलह कराई गई होती, तो यह हादसा शायद टल सकता था।
2023 के फतेहपुर हत्याकांड में भी प्रशासनिक लापरवाही सामने आई थी। उस समय सरकार ने 23 अधिकारियों को निलंबित किया था। इस बार भी ग्रामीणों को उम्मीद है कि सरकार सख्त कार्रवाई करेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगी।
क्या हो सकता है समाधान?
पगरा गांव की इस घटना ने एक बार फिर समाज और प्रशासन के सामने कई सवाल खड़े किए हैं। कुछ संभावित समाधान इस प्रकार हो सकते हैं:
- डिजिटल रिकॉर्ड और पैमाइश: जमीन के रिकॉर्ड को पूरी तरह डिजिटल करने और नियमित पैमाइश की व्यवस्था से विवाद कम हो सकते हैं।
- तेज और सख्त कार्रवाई: पुलिस को जमीनी विवादों में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि छोटे झगड़े बड़े हादसों में न बदलें।
- जागरूकता और मध्यस्थता: ग्राम पंचायतों और स्थानीय नेताओं को विवाद सुलझाने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
आखिरी बात: कब रुकेगा यह खून-खराबा?
देवरिया हत्याकांड ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जमीनी रंजिश कितनी खतरनाक हो सकती है। सुकई चौहान की मौत सिर्फ एक परिवार का नुकसान नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सबक है। अब वक्त है कि प्रशासन, समाज और हम सभी मिलकर ऐसे विवादों को जड़ से खत्म करने की दिशा में काम करें।
क्या आप मानते हैं कि जमीनी विवादों को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाने की जरूरत है? अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं। साथ ही, ऐसी खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे साथ बने रहें।