देवरिया जिले के रुद्रपुर थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक स्थानीय पत्रकार को फर्जी पैरामेडिकल संस्थान के नाम पर लाखों रुपए की चपत लगाई गई। आरोपी ने विश्वास जीतकर पैसे ऐंठ लिए, लेकिन न एडमिशन दिया और न ही रकम लौटाई, जिससे पीड़ित को कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
देवरिया पत्रकार ठगी केस में पीड़ित अश्वनी कुमार द्विवेदी ने रुद्रपुर पुलिस को दी गई तहरीर में बताया कि वे एक समाचार पत्र के तहसील संवाददाता हैं और दुग्धेश्वर नाथ वार्ड, रुद्रपुर के निवासी हैं। उन्होंने वर्ष 2021 में आयुष कुमार तिवारी से मुलाकात की, जो खुद को अटल पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट, हजरतगंज, लखनऊ का मालिक बताता था। तिवारी ने पैरामेडिकल फ्रेंचाइजी और डी फार्मा, एएनएम, जीएनएम कोर्स में एडमिशन दिलाने का झांसा दिया।
आरोपी ने कैसे बुना जाल?
पीड़ित के मुताबिक, वे आरोपी के हजरतगंज स्थित ऑफिस भी गए, जहां सबकुछ वैध लग रहा था। विश्वास में आकर द्विवेदी ने अपने सेंट्रल बैंक रुद्रपुर खाते से कुल 5 लाख 19 हजार रुपए आरोपी के संस्थान के अकाउंट में RTGS और UPI के जरिए ट्रांसफर कर दिए। लेकिन पैसे लेने के बाद तिवारी ने कोई एडमिशन नहीं कराया। पीड़ित को खुद सहारनपुर और मथुरा के कॉलेजों में अतिरिक्त फीस देकर एडमिशन लेना पड़ा। इतना ही नहीं, 2021-22 में अभ्यर्थी परितोष विश्वास से डी फार्मा के नाम पर 2 लाख रुपए लिए गए, लेकिन अब तक मार्कशीट, सर्टिफिकेट या ग्रीन कार्ड कुछ भी नहीं मिला। बाद में पता चला कि आरोपी ने एडमिशन ही नहीं कराया था।
चेक बाउंस और वादों का सिलसिला
जब पीड़ित ने पैसे मांगे, तो आयुष तिवारी ने अपना खाता नंबर 1000522XXXXX से 1 लाख 80 हजार रुपए का चेक नंबर 231909 दिया। लेकिन बैंक ने इसे गलत हस्ताक्षर और अपर्याप्त बैलेंस बताकर लौटा दिया। द्विवेदी ने इसकी जानकारी आरोपी को व्हाट्सएप पर मोबाइल नंबर 79852XXXXX के जरिए दी, तो तिवारी ने दूसरा चेक या RTGS से पेमेंट का वादा किया। लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। पीड़ित के पास व्हाट्सएप चैट्स के रूप में सबूत मौजूद हैं, जो इस धोखाधड़ी की पूरी कहानी बयां करते हैं।
देवरिया पत्रकार ठगी केस में पुलिस एक्शन
रुद्रपुर पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत कार्रवाई की। पीड़ित की तहरीर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 406 (विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत आरोपी आयुष कुमार तिवारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया। आरोपी का पता पिपरी सुल्तानपुर, अमेठी बताया गया है, जबकि वर्तमान ठिकाना गुड लक अपार्टमेंट, नजरबाग, लखनऊ है। पुलिस अब जांच में जुट गई है और आरोपी की तलाश कर रही है।
फर्जी संस्थानों का बढ़ता खतरा
ऐसे मामलों में अक्सर देखा जाता है कि आरोपी पैरामेडिकल या एजुकेशनल फ्रेंचाइजी के नाम पर लोगों को ठगते हैं। देवरिया जैसे ग्रामीण इलाकों में लोग आसानी से ऐसे झांसों में फंस जाते हैं, क्योंकि वे बेहतर शिक्षा या बिजनेस के अवसर तलाशते हैं। पीड़ित जैसे पत्रकार, जो खुद सूचना के क्षेत्र में काम करते हैं, भी इस जाल में फंस सकते हैं, जो इस समस्या की गहराई दिखाता है।
इस घटना ने इलाके में हलचल मचा दी है और पुलिस की त्वरित कार्रवाई से पीड़ित को न्याय की उम्मीद बंधी है। आगे की जांच से और भी खुलासे हो सकते हैं, इसलिए अपडेट्स के लिए जुड़े रहें।