देवरिया मासूम हत्या: अंधविश्वास ने छीनी 9 साल के आरुष की जिंदगी
देवरिया (उत्तर प्रदेश) 03 अगस्त: देवरिया में एक दिल दहलाने वाली सच्चाई सामने आई है। 9 साल के मासूम आरुष गौड़ की नृशंस हत्या ने न सिर्फ उसके परिवार, बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है।
देवरिया मासूम हत्या का यह मामला इतना भयावह है कि इसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। एक पुलिस कॉन्स्टेबल, जिसे समाज की रक्षा का जिम्मा सौंपा गया था, वही इस जघन्य अपराध का मास्टरमाइंड निकला। आइए, इस दिल दहलाने वाली घटना की पूरी कहानी को समझते हैं, जो अंधविश्वास और मानवता को शर्मसार करने वाली क्रूरता का खौफनाक चेहरा सामने लाती है।
क्या है देवरिया मासूम हत्या का पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के भलुअनी थाना क्षेत्र के पटखौली गांव में 16 अप्रैल 2025 की शाम एक मासूम बच्चे की जिंदगी हमेशा के लिए छिन गई। 9 साल का आरुष गौड़ उस दिन शाम 6:15 बजे अपने घर से खेलने के लिए निकला था। मासूम का मोबाइल बंद हो गया और वह लापता हो गया। उसकी मां सरिता ने जब बेटे को ढूंढने की कोशिश की, तो कोई सुराग नहीं मिला। इसके बाद आरुष के चाचा सोमनाथ ने भलुअनी थाने में अपहरण का मामला दर्ज कराया।
तीन महीने तक पुलिस और परिवार ने आरुष की तलाश में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन, सच्चाई तब सामने आई, जब पुलिस ने एक के बाद एक सुराग खोजे और इस हत्याकांड का पर्दाफाश किया। चौंकाने वाली बात यह थी कि इस अपराध में शामिल कोई और नहीं, बल्कि आरुष के सगे रिश्तेदार थे।
कॉन्स्टेबल इंद्रजीत: रक्षक बना भक्षक
मुख्य आरोपी इंद्रजीत गौड़, जो उत्तर प्रदेश पुलिस में गोंडा जिले में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात है, इस हत्याकांड का सरगना निकला। इंद्रजीत की शादी दिसंबर 2024 में आरुष की बुआ शम्भा से हुई थी। शादी के बाद इंद्रजीत की तबीयत बिगड़ने लगी। परिवार वालों ने इसे अंधविश्वास से जोड़कर देखा और उसे झाड़-फूंक के लिए उसके मामा जयप्रकाश के पास ले गए।
जयप्रकाश, जो एक तांत्रिक के रूप में जाना जाता है, ने इंद्रजीत को बताया कि उसकी बीमारी का इलाज सिर्फ नरबलि से संभव है। इस बात ने इंद्रजीत के मन में ऐसा जहर बोया कि उसने अपने ही भांजे, 9 साल के आरुष को बलि का शिकार बनाने की साजिश रची।
साजिश और अपराध की क्रूर कहानी
इंद्रजीत ने अपने साढ़ू रमाशंकर गौड़ को इस साजिश में शामिल किया। रमाशंकर, जो आरुष की बड़ी बुआ का पति है, अपनी ससुराल में अक्सर आता-जाता था। उसने मासूम आरुष को बहला-फुसलाकर बाइक पर बिठाया और उसे इंद्रजीत के दोस्त भीम गौड़ के हवाले कर दिया।
19 अप्रैल की रात को पिपरा चन्द्रभान के एक बगीचे में तांत्रिक जयप्रकाश ने पूजा-पाठ का ढोंग रचा। इसके बाद इंद्रजीत, जयप्रकाश और भीम ने मिलकर मासूम आरुष का चाकू से गला रेत दिया। हत्या के बाद शव को उसी बगीचे में दफना दिया गया। लेकिन, पुलिस को गुमराह करने के लिए अगले दिन, 20 अप्रैल को, इंद्रजीत और भीम ने शव को बोरे में भरा और पिकअप वाहन से ले जाकर बरहज के गौराघाट में सरयू नदी में फेंक दिया।
पुलिस की जांच और खुलासा
तीन महीने तक चली जांच में पुलिस ने कई सुराग जुटाए। शुरुआत में मामला अंधेरे में था, लेकिन जब पुलिस ने इंद्रजीत और रमाशंकर की कॉल डिटेल्स खंगाली, तो उनकी बातचीत में संदिग्ध गतिविधियां सामने आईं। दोनों की ससुराल में आवाजाही बढ़ गई थी, जो पुलिस को शक के दायरे में लाया। इसके बाद पुलिस ने तांत्रिक जयप्रकाश को हिरासत में लिया, जिसने पूछताछ में पूरी साजिश का खुलासा कर दिया।
पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल किया गया चाकू, पिकअप वाहन, बाइक और फावड़ा बरामद किया। पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर ने बताया कि इस सनसनीखेज मामले का खुलासा भलुअनी थाना पुलिस की मेहनत और तकनीकी जांच के दम पर हुआ।
परिवार का दर्द: मां का रो-रोकर बुरा हाल
आरुष की मां सरिता पिछले तीन महीनों से अपने बेटे की तलाश में दिन-रात रो रही थीं। उनके पास 5 साल की बेटी और 7 महीने का बेटा भी है। आरुष ने अभी पहली कक्षा पास की थी और दूसरी कक्षा में दाखिला लिया था। उसकी कॉपी-किताबें आज भी घर में वैसे ही रखी हैं। सरिता का कहना है, “मेरा बेटा इतना मासूम था, उसे खेलना बहुत पसंद था। कौन सोच सकता था कि हमारे अपने ही उसकी जिंदगी छीन लेंगे?”
आरुष के दादा परशुराम ने बताया कि उनका परिवार हंसी-खुशी जी रहा था। लेकिन, इस घटना ने उनके पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया। “हमने अपनी बेटी की शादी धूमधाम से की थी। हमें क्या पता था कि हमारा दामाद ही हमारे बेटे का कातिल बन जाएगा?” परशुराम की बातों में दर्द और गुस्सा साफ झलक रहा था।
तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक, टोना-टोटका नाम पर लोग आज भी मासूमों की जान लेने से नहीं हिचकते। उत्तर प्रदेश में यह कोई पहला मामला नहीं है। पिछले कुछ सालों में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जहां अंधविश्वास ने मासूमों की जिंदगी छीन ली।