नई दिल्ली- 06 अप्रैल 2025: सोमवार को शेयर मार्केट में भारी गिरावट देखने को मिली। पलभर में ही निवेशकों की पूंजी 19 लाख करोड़ रुपये कम हो गई। भारतीय शेयर बाजार में लगे इस झटके से छोटे रिटेल ट्रेडर सहम गए।
मालूम हो, वैश्विक बाजारों में मंदी, बढ़ते व्यापारिक तनाव और अमेरिका में मंदी की आशंकाओं के बीच सेंसेक्स और निफ्टी ने कारोबार की शुरुआत बड़े नुकसान के साथ की। इस गिरावट के कारण बीएसई में सूचीबद्ध सभी कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण एक ही झटके में ₹19.4 लाख करोड़ कम हो गया और यह अब ₹383.95 लाख करोड़ पर आ गया है। निवेशकों के लिए यह दिन चिंता का सबब बन गया, क्योंकि बाजार में अनिश्चितता का माहौल छा गया है।
क्या है शेयर मार्केट में भारी गिरावट की वजह?
विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक व्यापार युद्ध और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुस्ती की आशंका इस गिरावट के प्रमुख कारण हैं। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापारिक नीतियों में बदलाव और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव ने बाजार को प्रभावित किया है। इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा लगातार बिकवाली ने भी भारतीय बाजार पर दबाव बढ़ाया है। सेंसेक्स में 2,000 अंकों से अधिक की गिरावट दर्ज की गई, जबकि निफ्टी भी 600 अंकों से ज्यादा लुढ़क गया।
निवेशकों पर असर
इस भारी गिरावट का सबसे बड़ा असर छोटे और मझोले निवेशकों पर पड़ा है। बाजार पूंजीकरण में ₹19.4 लाख करोड़ की कमी का मतलब है कि निवेशकों की संपत्ति में भारी नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हालात में घबराहट में शेयर बेचने से बचना चाहिए। लंबी अवधि के निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे बाजार के स्थिर होने का इंतजार करें।
आगे क्या हो सकता है?
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, अगले कुछ दिनों में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति की बैठक पर सबकी नजर रहेगी। यदि ब्याज दरों में कटौती या कोई सकारात्मक कदम उठाया जाता है, तो बाजार में कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि, वैश्विक संकेतों पर भी निर्भरता बनी रहेगी। निवेशकों को सतर्क रहते हुए उन कंपनियों पर ध्यान देना चाहिए जो मजबूत बुनियादी आधार रखती हैं।
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निवेशकों के लिए सुझाव
- पैनिक सेलिंग से बचें: बाजार में अस्थिरता के दौरान शेयर बेचने से नुकसान बढ़ सकता है।
- डायवर्सिफिकेशन: अपने पोर्टफोलियो को विविध क्षेत्रों में फैलाएं ताकि जोखिम कम हो।
- लंबी अवधि पर फोकस: छोटी अवधि की गिरावट से घबराने के बजाय लंबे समय के लिए निवेश की रणनीति बनाएं।
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भारतीय शेयर बाजार के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है, लेकिन इतिहास गवाह है कि बाजार हमेशा संकट से उबरता है। निवेशकों को धैर्य और सूझबूझ के साथ फैसले लेने की जरूरत है।