शेयर मार्केट और युवा दोनो का आज के दौर में चोली दामन का साथ हो गया है। दरअसल रोजगार की कमी और इन्फ्लुएंसर्स के दावों ने आज युवाओं को शेयर मार्केट की चकाचौंध में उलझा दिया है।
इन्फ्लुएंसर्स ने शेयर मार्केट और युवा का करा दिया संगम।
भारत में आज शेयर मार्केट एक ऐसी चमकती दुनिया बन गया है, जो युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। सोशल मीडिया पर लग्जरी कारें, महंगे कपड़े और विदेशी छुट्टियों की तस्वीरें पोस्ट करने वाले “इन्फ्लुएंसर्स” ने इसे और आकर्षक बना दिया है। ये इन्फ्लुएंसर्स दावा करते हैं कि शेयर मार्केट से रातोंरात अमीर बना जा सकता है। लेकिन हकीकत क्या है? वह 7 अप्रैल 2025 को पता चल गया, जब एक दिवसीय हुई बड़ी गिरावट ने कई युवाओं की जमा-पूंजी और सपनों को चकनाचूर कर दिया।
3बाजार से निकलकर क्लिनिक पहुंच रहे युवा।

ऐसा देखने मे आ रहा है कि, बेरोजगारी से जूझते युवा लोन लेकर ट्रेडिंग में कूद रहे हैं, अपनी पूंजी खो रहे हैं, और अब कर्ज के बोझ तले दबकर डिप्रेशन और आत्महत्या जैसे खतरनाक रास्तों की ओर बढ़ रहे हैं।
एक बार जब शेयर मार्केट और युवा के बीच संगम हो जा रहा है तो उनकी दिनचर्या ही बदल जाती है। वह समाज से अलग होकर अपनी ही दुनिया मे रमने लगता है।
2शेयर बाज़ार का काला सच: चार्ट खुद बनते नही, बनाए जाते है।

रात-रात भर स्टॉक मार्केट के वीडियो और चार्ट देखने लगता है। जबकि सच तो ये है कि शेयर मार्केट में जानबूझ कर चार्ट बनाए जाते है दिखाए जाते है ताकि उन्हें देखकर रिटेल ट्रेडर पैसे लगाए। लिक्विडिटी आने पर शातिर खिलाड़ी पलभर में ही बाज़ार का रुख बदल देता है और बड़ी आसानी से पैसे झटक लेता है।
1एक बार लॉस होने के बाद शुरू होता है असली खेल!
लॉस होने के बाद असल खेल शुरू होता है। जिसके बाद लॉस को रिकवर करने के चक्कर मे युवा बार-बार ट्रेड लेता है। जिससे ब्रोकर और सरकार दोनो को जबरजस्त फायदा होता है। बाद में पता चलता है कि युवा बाज़ार से निकलकर क्लिनिक पहुंच गया है। ऐसे में आज का आर्टीकल, शेयर मार्केट और युवा के बीच हुए चोली दामन के साथ को उजागर करने को लेकर है और उन युवाओं के लिए एक चेतावनी और उम्मीद की किरण है, जो इस दलदल में फंस चुके हैं या इसमें कूदने की सोच रहे हैं।
शेयर मार्केट: सपनों का जाल
सोशल मीडिया पर एक इन्फ्लुएंसर की पोस्ट देखकर 24 साल के रोहन ने सोचा कि वह भी ट्रेडिंग से अपनी जिंदगी बदल सकता है। उसने नौकरी छोड़ दी, दोस्तों से लोन लिया और ट्रेडिंग शुरू कर दी। शुरुआत में कुछ मुनाफा हुआ, लेकिन एक दिन मार्केट क्रैश ने उसकी सारी पूंजी खत्म कर दी। अब रोहन कर्ज में डूबा है, रात-रात भर ट्रेडिंग चार्ट्स देखता है, नींद नहीं लेता, और डिप्रेशन से जूझ रहा है। रोहन की कहानी अकेली नहीं है। भारत में लाखों युवा इसी जाल में फंस रहे हैं। बेरोजगारी और समाज के दबाव ने उन्हें शेयर मार्केट को “जल्दी अमीर बनने” का शॉर्टकट समझने के लिए मजबूर कर दिया है।
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कर्ज और डिप्रेशन का दुष्चक्र
ट्रेडिंग में पैसा लगाने के लिए युवा बैंक से लोन ले रहे हैं, दोस्तों-रिश्तेदारों से उधार मांग रहे हैं। जब नुकसान होता है, तो EMI भरने का दबाव बढ़ता है। रातों की नींद गायब हो जाती है, और तनाव में कई युवा गलत कदम उठा लेते हैं। हाल ही में एक रिपोर्ट में सामने आया कि भारत में ट्रेडिंग से जुड़े नुकसान के कारण युवाओं में आत्महत्या की दर बढ़ रही है। यह एक सामाजिक संकट बन चुका है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
सही रास्ते की ओर पहला कदम
अगर आप इस दलदल में फंस चुके हैं या इसमें कूदने की सोच रहे हैं, तो रुकें और सोचें। शेयर मार्केट कोई जादुई छड़ी नहीं है। यह एक जटिल दुनिया है, जहां सफलता के लिए सालों की मेहनत, ज्ञान और अनुशासन चाहिए। यहाँ कुछ कदम हैं जो आपको सही राह पर ला सकते हैं:
1. ट्रेडिंग को करियर न बनाएं बिना तैयारी के: अगर आपको शेयर मार्केट में रुचि है, तो पहले इसे समझें। किताबें पढ़ें, कोर्स करें, और छोटे निवेश से शुरुआत करें। लोन लेकर ट्रेडिंग शुरू करना आत्मघाती कदम है।
2. इन्फ्लुएंसर्स की चमक से बचें: सोशल मीडिया पर दिखाई जाने वाली लग्जरी लाइफ अक्सर नकली होती है। ये लोग आपको कोर्स बेचकर या रेफरल लिंक से पैसा कमाते हैं, न कि ट्रेडिंग से।
3. कर्ज से बाहर निकलने की योजना बनाएं: अगर आप कर्ज में हैं, तो परिवार या दोस्तों से खुलकर बात करें। EMI कम करने के लिए बैंक से संपर्क करें और छोटी नौकरी शुरू करें। यह मुश्किल होगा, लेकिन आत्महत्या से बेहतर है।
4. मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें: डिप्रेशन से जूझ रहे हैं तो काउंसलर से मिलें। रातों की नींद पूरी करें, व्यायाम करें और दोस्तों से मिलें। ट्रेडिंग चार्ट्स से दूरी बनाएं।
5. स्किल्स पर ध्यान दें: बेरोजगारी से बचने के लिए ट्रेडिंग की बजाय स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान दें। डिजिटल मार्केटिंग, कोडिंग, या कोई क्रिएटिव स्किल सीखें, जो लंबे समय तक कमाई दे सके।
समाज की जिम्मेदारी
हम सबको मिलकर इन युवाओं को बचाना होगा। माता-पिता को बच्चों पर “जल्दी कमाने” का दबाव नहीं डालना चाहिए। स्कूल-कॉलेज में फाइनेंशियल एजुकेशन को बढ़ावा देना चाहिए ताकि युवा समझ सकें कि पैसा कमाना एक प्रक्रिया है, कोई जादू नहीं। सरकार को भी बेरोजगारी कम करने और मेंटल हेल्थ सपोर्ट बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
अंतिम बात!
शेयर मार्केट की चमक में अंधे होने की बजाय अपनी जिंदगी की असली कीमत समझें। आपकी जिंदगी एक ट्रेडिंग चार्ट से कहीं ज्यादा कीमती है। अगर आप फंस चुके हैं, तो हिम्मत रखें—हर अंधेरे के बाद उजाला होता है। और अगर आप इसमें कूदने की सोच रहे हैं, तो पहले अपने पैरों पर खड़े हों। यह आर्टिकल आपके लिए एक दोस्त की तरह है, जो आपको गले लगाकर कह रहा है— “तुम अकेले नहीं हो, रास्ता अभी भी बाकी है।”