Tuhin Kanta Pandey New SEBI Chief: सरकार ने वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे को सेबी का 11वां प्रमुख नियुक्त किया, इन्वेस्टर के साथ ही बाज़ार की उनपर नजर है । माधबी पुरी बुच की जगह लिए तुहिन कांत पांडे के कैरियर और जीवन के बारे में पढ़े!
सेबी को मिला नया नेतृत्व: Tuhin Kanta Pandey बने 11वें चेयरमैन
भारत सरकार ने वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे को Securities and Exchange Board of India (SEBI) का 11वां चेयरमैन नियुक्त किया है। वह माधबी पुरी बुच की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 28 फरवरी 2025 को समाप्त हो रहा है।
सरकारी आदेश के अनुसार, Appointments Committee of the Cabinet (ACC) ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी है। पांडे की यह नियुक्ति 3 वर्षों के लिए होगी, जिससे भारतीय शेयर बाजार में सुधार और स्थिरता की उम्मीद की जा रही है।
कौन हैं तुहिन कांत पांडे?
1987 बैच के IAS अधिकारी तुहिन कांत पांडे (Tuhin Kanta Pandey) ओडिशा कैडर से आते हैं। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से अर्थशास्त्र में मास्टर्स (MA) और यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम, UK से MBA किया है।
वह भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े कई बड़े फैसलों का हिस्सा रहे हैं। इससे पहले, उन्होंने वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग में सचिव के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने 2025-26 के केंद्रीय बजट को तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाई।
इन्वेस्टर्स की नजर: मार्केट में बड़ा बदलाव?
पांडे ऐसे समय में सेबी का कार्यभार संभाल रहे हैं जब भारतीय शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, जनवरी 2025 से अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने ₹1 लाख करोड़ से अधिक की निकासी की है।
उनके कार्यकाल में सेबी के सामने कई बड़ी चुनौतियां होंगी:
- विदेशी इन्वेस्टर्स को आकर्षित करना
- शेयर बाजार में पारदर्शिता और रेगुलेशन को मजबूत बनाना
- निजीकरण और विनिवेश की नीतियों को आगे बढ़ाना
- नए इनकम टैक्स बिल के कार्यान्वयन में योगदान देना
माधबी पुरी बुच का कार्यकाल और विवाद
माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) भारत की पहली महिला सेबी चेयरपर्सन थीं, जिन्होंने 2 मार्च 2022 को कार्यभार संभाला था। उनके कार्यकाल के दौरान हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर विवाद हुआ, जिसमें आरोप लगाया गया कि सेबी ने अदानी ग्रुप के खिलाफ जांच में निष्पक्षता नहीं बरती।
माधवी का कार्यकाल काफी विवादित रहा, उन पर कई बार मार्केट को मेनुपुलेट करने का आरोप भी लगा। हालांकि, फिर भी उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया।
कांग्रेस पार्टी ने उन पर आरोप लगाए थे कि “वह एक ऐसी कंपनी से किराए की आय” ले रही थीं, जिसकी जांच सेबी कर रही थी। हालांकि, उन्होंने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।
तुहिन कांत पांडे की 5 बड़ी उपलब्धियां
1️⃣ Air India Privatisation:
- 2021 में टाटा ग्रुप ने ₹18,000 करोड़ में एयर इंडिया का अधिग्रहण किया।
- पांडे इस रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया के प्रमुख रणनीतिकार रहे।
2️⃣ IDBI Bank का निजीकरण:
- वर्तमान में निजीकरण प्रक्रिया जारी है, जिसमें Tuhin Kanta Pandey ने अहम भूमिका निभाई है।
3️⃣ सरकारी कंपनियों का विनिवेश:
- DIPAM (Department of Investment and Public Asset Management) में कार्यरत रहते हुए उन्होंने CPSE (Central Public Sector Enterprises) नीति लागू की।
- सरकारी कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी को कम करने की रणनीति तैयार की।
4️⃣ कर सुधार (Tax Reforms):
- 2025-26 के केंद्रीय बजट में मध्यम वर्ग को टैक्स में बड़ी राहत देने में योगदान दिया।
- 1961 के आयकर अधिनियम को नए कानून से बदलने की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभाई।
5️⃣ इकॉनमिक पॉलिसी में योगदान:
- योजना आयोग (अब नीति आयोग) में संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया।
- कैबिनेट सचिवालय और वाणिज्य मंत्रालय में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालीं।
तुहिन कांत पांडे (Tuhin Kanta Pandey) की नियुक्ति भारतीय शेयर बाजार के लिए बड़ा कदम है। उनके पास बाजार नियमन, निजीकरण और कर सुधारों में गहराई से समझ है, जिससे इन्वेस्टर्स को स्थिरता और ग्रोथ की उम्मीद है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी अगुवाई में सेबी कैसे इन्वेस्टर्स का भरोसा जीतती है और बाजार में नए सुधार लाती है।