बुधवार, 9 अप्रैल 2025: कल की तेजी के बाद आज भारतीय शेयर बाजार में तेज गिरावट देखने को मिली। सोमवार की हुई हुई बड़ी गिरावट के बाद मंगलवार को बाजार संभलता हुआ दिखाई दिया लेकिन आज फिर भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। इससे फिलहाल यही लग रहा है कि इंडियन स्टॉक मार्केट की मौजूदा स्थिति वेट एन्ड वॉच की है।
बता दे, बीएसई इंडेक्स लगभग 400 अंक टूटकर 73,847.15 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 136.70 अंक गिरकर 22,399.15 पर आ गया।
इस गिरावट के चलते निवेशकों को करीब ढाई लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। आईटी, मेटल, फार्मा और PSU बैंक सेक्टर के शेयरों में जोरदार बिकवाली देखी गई। ग्लोबल ट्रेड वार, अमेरिकी टैरिफ नीतियों और कमजोर मार्केट सेंटीमेंट को इस गिरावट का प्रमुख कारण माना जा रहा है। इस आर्टिकल में हम प्रमुख इंडेक्स और चुनिंदा स्टॉक्स के प्रदर्शन का विश्लेषण करेंगे।
भारतीय शेयर बाजार में तेज गिरावट के बीच प्रमुख इंडेक्स का क्या है हाल?
आज के कारोबारी सत्र में सभी प्रमुख इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए। निफ्टी बैंक, निफ्टी आईटी और बीएसई स्मॉलकैप में भी भारी गिरावट दर्ज की गई। नीचे दी गई टेबल में आज के प्रदर्शन को दर्शाया गया है:
इंडेक्स | आज का स्तर | गिरावट (अंक) |
---|---|---|
निफ्टी 50 | 22,399.15 | -136.70 |
बीएसई सेंसेक्स | 73,847.15 | -379.93 |
निफ्टी बैंक | 50,240.15 | -270.85 |
निफ्टी आईटी | 32,517.35 | -727.05 |
बीएसई स्मॉलकैप | 44,446.07 | -486.35 |
प्रमुख स्टॉक्स का हाल
बाजार की इस गिरावट में कई बड़े स्टॉक्स भी प्रभावित हुए। HDFC बैंक, L&T और मुथूट फाइनेंस जैसे स्टॉक्स में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई, जबकि ICICI बैंक और BSE लिमिटेड में मामूली बढ़त दर्ज की गई। नीचे इन स्टॉक्स का प्रदर्शन दिया गया है:
स्टॉक | आज का मूल्य (₹) | बदलाव (₹) | टिप्पणी |
---|---|---|---|
HDFC Bank | 1,765.00 | -4.15 | बैंकिंग सेक्टर में कमजोरी |
BSE Limited | 5,548.35 | +10.15 | मामूली बढ़त |
ICICI Bank | 1,300.80 | +0.90 | स्थिर प्रदर्शन |
Larsen & Toubro (L&T) | 3,054.15 | -106.95 | तेज गिरावट |
Muthoot Finance | 2,139.95 | -152.70 | भारी बिकवाली |
गिरावट के कारण
आज की गिरावट के पीछे कई कारण जिम्मेदार रहे। पहला, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत सहित कई देशों पर लगाए गए 26% टैरिफ ने निवेशकों में अनिश्चितता पैदा की। दूसरा, RBI द्वारा ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती के बावजूद बाजार सेंटीमेंट पर सकारात्मक असर नहीं पड़ा। तीसरा, IT और फार्मा सेक्टर की कंपनियों पर अमेरिकी बाजार पर निर्भरता के कारण बिकवाली बढ़ी। इसके अलावा, मेटल और PSU बैंक सेक्टर में भी कमजोर प्रदर्शन देखा गया।
निवेशकों के लिए रणनीति
ऐसे अस्थिर समय में निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए। HDFC बैंक और ICICI बैंक जैसे मजबूत फंडामेंटल वाले स्टॉक्स में शॉर्ट-टर्म रिकवरी की संभावना है, लेकिन L&T और मुथूट फाइनेंस जैसे स्टॉक्स में अभी जोखिम बना हुआ है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 2-5 ट्रेडिंग सेशंस में निफ्टी 22,000 के स्तर को टेस्ट कर सकता है। अगर यह स्तर टूटता है, तो और गिरावट संभव है। इसलिए, स्टॉप लॉस का सख्ती से पालन करें और बाजार की दिशा पर नजर रखें।
मुश्किल दौर से गुजर रहा बाजार
9 अप्रैल 2025 का दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए मुश्किल भरा रहा। सेंसेक्स और निफ्टी में तेज गिरावट ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है। अगले कुछ दिनों में वैश्विक संकेतों और घरेलू नीतियों पर बाजार की नजर रहेगी। निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करनी चाहिए और जोखिम प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए।
चीन ने भारत को दिया ऑफर
8 अप्रैल 2025 को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि, “भारत और चीन, दोनों विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ होने के नाते, अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित हैं। हमें एकजुट होकर इसका जवाब देना चाहिए, क्योंकि ट्रेड वार से कोई विजेता नहीं होता।”
भारत का क्या है रुख
चीन के बयान के बाद भारत ने इस पर सतर्क प्रतिक्रिया दी है। मिली जानकारी के अनुसार विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “हम सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, लेकिन हमारा प्राथमिक लक्ष्य राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना है।” भारत इस मुद्दे पर चीन के साथ सीधे गठबंधन से हिचक रहा है, क्योंकि वह QUAD (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ) में अपनी स्थिति और चीन के साथ सीमा विवाद को संतुलित करना चाहता है।
चीन से दोस्ती क्या भारत के लिए होगी फायदेमंद
अमेरिका-चीन ट्रेड वार से भारत को कुछ क्षेत्रों में लाभ हो सकता है। उदाहरण के लिए, दवा, इलेक्ट्रॉनिक्स, और कपड़ा उद्योग में निर्यात बढ़ सकता है, क्योंकि अमेरिका चीनी सामानों का विकल्प ढूंढ रहा है। भारत की “मेक इन इंडिया” पहल को बढ़ावा मिल सकता है।
वही बात अगर नुकसान कि करे तो, चीन से कच्चे माल (जैसे API दवाओं के लिए) का आयात महंगा हो सकता है। इसके साथ ही वैश्विक मंदी का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है।
फिलहाल ट्रेड वार को लेकर भारत और चीन के बीच अभी तक कोई ठोस साझेदारी नहीं बनी है। चीन ने सहयोग की पेशकश की है, लेकिन भारत अपनी स्वतंत्र नीति और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दे रहा है। अगले कुछ हफ्तों में WTO या G20 जैसे मंचों पर दोनों देशों की बातचीत से स्थिति और स्पष्ट होगी।
डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश जोखिमों के अधीन है। यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे निवेश सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। मार्केट की अस्थिरता के कारण परिणाम भिन्न हो सकते हैं, और हम किसी भी लाभ या हानि की गारंटी नहीं देते।