मुंबई, 02 मार्च – अडानी विवाद आज एक बार फिर चर्चा में आ गया है। दरअसल भारतीय शेयर बाजार में भारी वित्तीय घोटाले और नियामकीय अनियमितताओं के आरोपों के चलते मुंबई की एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को पूर्व SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और पांच अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है।
विशेष ACB कोर्ट के न्यायाधीश शशिकांत एकनाथराव बांगर ने कहा कि, “प्रथम दृष्टया नियामकीय चूक और मिलीभगत के पर्याप्त प्रमाण हैं, जिसके लिए निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है।” अदालत ने जांच की निगरानी करने और 30 दिनों के भीतर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।
अडानी विवाद में माधबी पुरी बुच सहित कौन-कौन हैं आरोपी?
अदालत के आदेश के अनुसार, पूर्व SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच के अलावा जिन अधिकारियों पर FIR दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं, वे हैं:
- सुंदररमन राममूर्ति – BSE के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO
- प्रमोद अग्रवाल – BSE के तत्कालीन चेयरमैन और पब्लिक इंटरेस्ट डायरेक्टर
- अश्विनी भाटिया – SEBI के पूर्णकालिक सदस्य
- अनंत नारायण जी – SEBI के पूर्णकालिक सदस्य
- कमलेश चंद्र वर्श्नेय – SEBI के पूर्णकालिक सदस्य
क्या हैं आरोप?
- शिकायतकर्ता, जो एक मीडिया रिपोर्टर हैं, ने आरोप लगाया कि SEBI अधिकारियों ने अपनी कानूनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं किया, जिससे बाजार में हेरफेर और कॉर्पोरेट धोखाधड़ी को बढ़ावा मिला।
- एक कंपनी की धोखाधड़ी से जुड़ी लिस्टिंग को लेकर SEBI और अन्य नियामकीय अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप हैं।
- यह लिस्टिंग SEBI अधिनियम, 1992 और उसके नियमों का उल्लंघन करके की गई थी।
- पुलिस और संबंधित नियामकीय एजेंसियों को बार-बार सूचित करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे न्यायिक हस्तक्षेप आवश्यक हो गया।
अदालत ने ACB वर्ली, मुंबई को निर्देश दिया है कि वे IPC, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, SEBI अधिनियम और अन्य लागू कानूनों के तहत FIR दर्ज करें।
Hindenburg रिपोर्ट और राजनीतिक दबाव
पूर्व SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच पहली महिला अध्यक्ष थीं और उनके कार्यकाल के दौरान तेजी से सेटलमेंट, FPI पारदर्शिता और म्यूचुअल फंड निवेश बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण सुधार किए गए। लेकिन इसी बीच उनका कार्यकाल विवादों में घिरा रहा।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट यह कहती है कि, माधवी बुच ने अपने सात साल के कार्यकाल के दौरान एक कंसल्टेंसी फर्म से रेवेन्यू कमाना जारी रखा, जो संभावित रूप से नियामक अधिकारियों के लिए नियमों का उल्लंघन था। रॉयटर्स ने सार्वजनिक दस्तावेजों के रिव्यू के बाद ये रिपोर्ट जारी की थी।
1. हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आरोप:
- अगस्त 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया कि माधबी पुरी बुच का अडानी ग्रुप की कथित गड़बड़ियों की जांच में हितों का टकराव (Conflict of Interest) था।
- रिपोर्ट में दावा किया गया कि बुच और उनके पति धवल बुच ने विदेशी इकाइयों में निवेश किया था, जिनका संबंध विनोद अडानी (गौतम अडानी के बड़े भाई) से था।
- इन आरोपों के बाद माधबी पुरी बुच पर इस्तीफे का दबाव भी पड़ा था।
- बुच दंपति ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये निवेश उनके SEBI जॉइन करने से पहले किए गए थे और उन्होंने सभी आवश्यक खुलासे किए थे।
2. SEBI में “Toxic Work Culture” का विवाद:
- SEBI के कर्मचारी भी उनके कठोर प्रबंधन और विषाक्त कार्य संस्कृति (Toxic Work Culture) को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।
- इन विवादों के बीच, शेयर बाजार में बढ़ती अनियमितताओं और कॉर्पोरेट गवर्नेंस की कमजोरियों पर भी सवाल उठाए गए।
SEBI ने आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी किया
SEBI ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। प्रेस नोट के अनुसार, अदालत में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें SEBI के पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच, तीन वर्तमान पूर्णकालिक सदस्य और BSE के दो अधिकारियों पर 1994 में एक कंपनी की लिस्टिंग को लेकर अनियमितताओं के आरोप लगे थे। अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया और SEBI को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर प्रदान नहीं किया गया।
SEBI ने यह भी स्पष्ट किया कि इस याचिकाकर्ता के पहले भी कई मुकदमे अदालत द्वारा निरस्त किए जा चुके हैं और यह व्यक्ति एक आदतन वादकर्ता (habitual litigant) है। SEBI ने कहा कि वह इस आदेश के खिलाफ उचित कानूनी कदम उठाएगा और नियामकीय अनुपालन सुनिश्चित करेगा।
बाजार पर असर और निवेशकों की चिंता
इस घोटाले से जुड़े आरोपों के कारण निवेशकों में भारी चिंता फैल गई है। शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार ने 30 सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारी गिरावट देखी:
- सेंसेक्स – 1414 अंक गिरकर 73,198.10 पर बंद हुआ।
- निफ्टी – 420.35 अंक गिरकर 22,124.70 पर आ गया।
- बाजार में 6 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए।
निवेशकों का पोर्टफोलियो बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिसमें दिग्गज निवेशकों के भी भारी नुकसान की खबरें आईं:
निवेशक का नाम | पोर्टफोलियो गिरावट (%) |
---|---|
आशीष धवन | -34% |
आशीष कचोलिया | -32% |
विजय किशनलाल केडिया | -31% |
पोरिंजु वी वेलियाथ | -30% |
सुनील सिंघानिया | -26% |
मुकुल अग्रवाल | -17% |
अब आगे क्या?
- न्यायिक जांच: अदालत ने इस मामले की निगरानी की जिम्मेदारी ली है और 30 दिनों में ACB से स्थिति रिपोर्ट मांगी है।
- शेयर बाजार में अस्थिरता: इस मामले के कारण बाजार में आगे भी अस्थिरता बनी रह सकती है, जिससे छोटे निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है।
- सरकार की जवाबदेही: सरकार और नियामकीय संस्थानों पर इस मामले को गंभीरता से लेने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ेगा।
- SEBI की छवि पर असर: यदि जांच में अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो यह SEBI की साख और भारतीय शेयर बाजार की विश्वसनीयता पर गहरा असर डाल सकता है।
इंडियन स्टॉक मार्केट को हिला देने वाले इस स्कैम ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह मामला सिर्फ एक नियामकीय लापरवाही है या फिर इसमें गहरी साजिश छिपी है? क्या इस घोटाले में और बड़े नाम सामने आएंगे?
अब निगाहें ACB की जांच और अदालत की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। आगे का समय भारतीय शेयर बाजार के लिए बेहद अहम रहने वाला है।