लखनऊ, 15 मई: यूपी में योगी सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। इस फ़ैसले के तहत पूरे यूपी में 5000 कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती संविदा पर होंगी। बता दे प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार जाने के बाद कंप्यूटर एजुकेशन के लिए लगाए गए स्कूलों के कंप्यूटर कक्ष में ताले लग चुके है, लेकिन सरकार के इस फैसले के बाद उम्मीद की जा रही है कि वर्षो से बंद पड़े कंप्यूटर कक्ष अब फिर से खुलने जा रहे है।
आइये जानते है एजुकेशन के क्षेत्र में योगी सरकार का यह फैसला कैसे यूपी में क्रांति ला सकता है? साथ ही 5000 कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया कब से शुरू होगी? इसके लिए क्या योग्यता रखी जायेगी? पूरी जानकारी इस लेख में उपलब्ध है तो देर न करे अभी पढ़े, “योगी सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले” के बारे पूरी डिटेल्स।
डिजिटल युग में यूपी के छात्रों को तैयार करने की मुहिम
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों में 5000 कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव तैयार किया है। यह निर्णय न केवल बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा, बल्कि यूपी बोर्ड के छात्रों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। शिक्षा विभाग द्वारा शासन को भेजे गए इस प्रस्ताव के मंजूर होते ही भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जिससे कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा का लाभ मिल सकेगा ।
यूपी में कंप्यूटर शिक्षा की वर्तमान स्थिति
आज जब पूरी दुनिया डिजिटलाइजेशन की ओर तेजी से बढ़ रही है, उत्तर प्रदेश के स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा की स्थिति अत्यंत दयनीय है। यूपी बोर्ड के कक्षा 9 से 12 तक के लगभग सवा करोड़ छात्र-छात्राएं कंप्यूटर शिक्षा में सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के छात्रों से काफी पिछड़े हुए हैं। जहां अन्य बोर्ड्स के छात्र साइबर सुरक्षा, पायथन प्रोग्रामिंग, एसक्यूएल, नेटवर्किंग जैसी आधुनिक तकनीकों की पढ़ाई कर रहे हैं, वहीं यूपी बोर्ड के छात्र आज भी वही पुराने पाठ्यक्रम पढ़ने को मजबूर हैं जो 20 साल पहले उनके बड़े भाई-बहन पढ़ते थे ।
राज्य के अधिकांश स्कूलों में कंप्यूटर लैब पर सालों से ताले लगे हुए हैं। आईसीटी योजना के तहत दस साल पहले स्कूलों को दिए गए कंप्यूटर अब या तो खराब हो चुके हैं या फिर उनका रखरखाव न होने के कारण बेकार पड़े हैं। हालात इतने खराब है कि कई स्कूलों में तो कंप्यूटर शिक्षकों के वेतन का भुगतान छात्रों से फीस लेकर किया जा रहा है।
योगी सरकार का बड़ा कदम: 5000 कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती
इसी समस्या के समाधान के लिए योगी सरकार ने 5000 कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती का निर्णय लिया है। यह भर्ती संविदा के आधार पर की जाएगी और पहले चरण में 5000 शिक्षकों को नियुक्त किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेज दिया है और मंजूरी मिलते ही भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाएगी ।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को कंप्यूटर विज्ञान विषय की पढ़ाई सुनिश्चित करना है। विभाग ने प्रतिष्ठित संस्थानों से आईटी विषय में बीटेक कर चुके पूर्व छात्रों को विशेष अवसर देने की भी संस्तुति की है, जिससे योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक ही छात्रों को शिक्षा दे सकें ।
5000 कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया और पात्रता: कौन कर सकता है आवेदन?
हालांकि अभी तक आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती के लिए निम्नलिखित योग्यताएं निर्धारित की जा सकती हैं:
- शैक्षणिक योग्यता: आवेदक के पास कंप्यूटर साइंस/सूचना प्रौद्योगिकी में बी.टेक/बी.ई या संबंधित क्षेत्र में स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।
- प्राथमिकता: प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों से शिक्षा प्राप्त उम्मीदवारों को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी।
- आयु सीमा: आवेदक की आयु 21 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए, जिसमें आरक्षित श्रेणियों को नियमानुसार छूट मिलेगी।
- अनुभव: शिक्षण अनुभव रखने वाले उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक दिए जा सकते हैं।
भर्ती प्रक्रिया में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार शामिल होने की संभावना है। परीक्षा में कंप्यूटर विज्ञान के मूल सिद्धांतों, प्रोग्रामिंग भाषाओं, शिक्षण कौशल और सामान्य ज्ञान से संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं ।
योजना का व्यापक प्रभाव: शिक्षा से लेकर रोजगार तक
ऊत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस ऐतिहासिक कदम के बाद इस योजना का प्रभाव केवल शिक्षा तक ही सीमित नहीं होगा, बल्कि इसके कई व्यापक सामाजिक और आर्थिक लाभ होंगे। इसके साथ ही डायरेक्ट रूप से 5000 लोगो को तुरंत रोजगार मिलेगा।
- रोजगार सृजन: 5000 युवाओं को सीधे रोजगार मिलेगा, जो प्रदेश सरकार के 6 महीने में 3 लाख लोगों को नौकरी देने के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है ।
- छात्रों का कौशल विकास: छात्रों को आधुनिक तकनीकी शिक्षा मिलेगी, जो उन्हें रोजगार बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाएगी।
- डिजिटल साक्षरता: प्रदेश में डिजिटल साक्षरता बढ़ेगी, जो सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन को सफल बनाने में मदद करेगी।
- बुनियादी ढांचे का विकास: स्कूलों में कंप्यूटर लैब्स का नवीनीकरण होगा और तकनीकी संसाधनों की उपलब्धता बढ़ेगी।
- ग्रामीण-शहरी अंतर कम होगा: ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को भी शहरी छात्रों के समान तकनीकी शिक्षा मिल सकेगी ।
पाठ्यक्रम में बदलाव की आवश्यकता: पुराने कोर्स से आगे बढ़ने का समय
वर्तमान में यूपी बोर्ड का कंप्यूटर पाठ्यक्रम अत्यंत पुराना और अप्रासंगिक हो चुका है। कक्षा 9 और 10 के छात्रों को कंप्यूटर का परिचय, प्रकार, संख्या प्रणाली और लाइनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे बेसिक विषय पढ़ाए जाते हैं, जबकि कक्षा 11 और 12 में कंप्यूटर फंडामेंटल, संख्या प्रणाली, नेटवर्किंग और सी++ लैंग्वेज की पढ़ाई होती है ।
इसके विपरीत, सीबीएसई बोर्ड के छात्र साइबर सुरक्षा, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, नेटवर्किंग, ऑफिस टूल्स, एसक्यूएल, एचटीएमएल और पायथन जैसी आधुनिक तकनीकों की पढ़ाई कर रहे हैं। यूपी बोर्ड ने हाल ही में कक्षा 11 के पाठ्यक्रम में पायथन लैंग्वेज को शामिल किया है, लेकिन अधिकांश शिक्षकों को इसकी जानकारी तक नहीं है ।
5000 नए कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति के साथ ही यूपी बोर्ड को अपने पाठ्यक्रम में बड़े पैमाने पर बदलाव करने की आवश्यकता होगी, ताकि छात्रों को वर्तमान तकनीकी युग के अनुरूप शिक्षा दी जा सके।
राज्य सरकार की अन्य शिक्षा संबंधी स्किम
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किये गए कार्यों पर अब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नजर पड़ गई है। भले ही केजरीवाल की पार्टी दिल्ली विधानसभा का चुनाव हार गई। लेकिन यह एक बड़ी सच्चाई है कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में एजुकेशन के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया था। उससे सबक लेते हुए देश के सबसे चर्चित मुख्यमंत्रियों में से एक योगी आदित्यनाथ भी यूपी के एजुकेशन सिस्टम में एक नई अलख जगाने जा रहे है।
योगी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चलाने का फैसला ले चुकी है। 69,000 शिक्षकों की भर्ती का मामला हाल ही में हाईकोर्ट के निर्णय के बाद फिर से गति पकड़ रहा है। सीएम योगी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार नई मेरिट लिस्ट तैयार की जाए और किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नही होने दिया जायेगा।
इसके अलावा, सरकार ने ‘मुख्यमंत्री सुपोषण योजना’ की शुरुआत की है, जिसके तहत प्रदेश के सभी 75 जिलों में 3 से 6 साल तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों पर पौष्टिक नाश्ता दिया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य बच्चों को कुपोषण से मुक्त करना और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करना है।
चुनौतियाँ और समाधान: सफल क्रियान्वयन की राह क्या है इतनी आसान
हालांकि यह योजना अत्यंत सराहनीय है, लेकिन इसके सफल क्रियान्वयन में कई चुनौतियाँ भी हैं:
- संविदा शिक्षकों की स्थिरता: संविदा पर नियुक्त शिक्षकों को लंबे समय तक बनाए रखना एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि निजी क्षेत्र में बेहतर वेतन और सुविधाएं उपलब्ध होती हैं।
- बुनियादी ढांचे की कमी: कई स्कूलों में कंप्यूटर लैब और उपकरणों की कमी है, जिसे दूर करने के लिए अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता होगी।
- पाठ्यक्रम अद्यतन: पुराने पाठ्यक्रम को आधुनिक तकनीकों के अनुरूप अपडेट करने की आवश्यकता होगी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में तैनाती: ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में कंप्यूटर शिक्षकों की तैनाती सुनिश्चित करना एक चुनौती हो सकती है।
इन चुनौतियों के समाधान के लिए सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- शिक्षकों को आकर्षक वेतन और करियर में उन्नति के अवसर प्रदान करना
- स्कूलों में कंप्यूटर लैब्स की स्थापना और रखरखाव के लिए विशेष बजट आवंटित करना
- नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षकों के कौशल को अद्यतन रखना
ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात शिक्षकों के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएं लागू करना
डिजिटल युग की ओर ले जाने का योगी सरकार का एक निर्णायक कदम
योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा 5000 कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती का निर्णय निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है। यह योजना न केवल हजारों युवाओं को रोजगार प्रदान करेगी, बल्कि प्रदेश के लाखों छात्रों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाकर उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगी।
हालांकि, इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि सरकार कितनी प्रभावी ढंग से इसके क्रियान्वयन पर नजर रखती है और आने वाली चुनौतियों का समाधान कितनी तेजी से करती है। यदि सभी हितधारक मिलकर काम करें तो निश्चित रूप से यह योजना उत्तर प्रदेश को शिक्षा और तकनीक के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है।
आने वाले वर्षों में जब यूपी बोर्ड के छात्र सीबीएसई और आईसीएसई के छात्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रतिस्पर्धा करेंगे, तो योगी सरकार का यह फैसला एक मिसाल के तौर पर याद किया जाएगा। डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने की दिशा में यह निश्चित रूप से एक निर्णायक कदम साबित होगा।
अब जब योगी आदित्यनाथ ने यह ऐतिहासिक फैसला ले लिया है और इसे ईमानदारी से लागू कर दिया तो यूपी को दो बड़े लाभ होना तय है। मालूम हो, ‘शिक्षा, स्वास्थ और रोजगार के मामले में यूपी सबसे पिछड़े राज्यों में से एक है। जिसका नतीजा यह है कि यूपी में अपराध चरम पर है। धर्मवाद, जातिवाद ने समाज को जकड़ लिया है।’
इस योजना के लागू होने के बाद यूपी में शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव होना तय है इसके साथ ही रोजगार भी मिलना तय है। अब सरकार को चाहिए कि अपने इस फैसले पर कायम रहे और इस फैसले को असली जामा पहनाते हुए “5000 कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती का नोटिफिकेशन जारी करें, ताकि यूपी बोर्ड के बच्चे भी सीबीएसई और और आईसीएसई बोर्ड के छात्रोंप्रतिस्पर्धा कर सके।