RBI Monetary Policy Meeting 2025: RBI मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग 7 फरवरी 2025 को हुई। जिसमें ब्याज दरों के साथ ही SDF को घटाने का निर्णय लिया गया। आज के इस आर्टिकल में हम यह जानेगे कि इसका शेयर बाजार पर क्या असर पड़ेगा, साथ ही आम आदमी पर क्या असर होगा?
जानिए, आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में अब तक क्या-क्या हुआ?
बजट के बाद सब की नजर 5 फरवरी 2025 से चल रही आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग पर थी। जिसमे भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने जानकारी दी कि 6 सदस्यों की समिति ने ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती के पक्ष में मतदान किया। इसके परिणामस्वरूप, रेपो रेट अब 6.25 प्रतिशत हो गया है। गवर्नर ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में भारत की आर्थिक वृद्धि के बारे में भी चर्चा की।
आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा का अनुमान है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में चल रही अनिश्चितताओं के बीच भारत की अर्थव्यवस्था 6.7% की वृद्धि दर्ज करेगी। केंद्रीय बैंक ने FY26 के लिए 6.75% की वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है।
वहीं, 2025 के आर्थिक सर्वेक्षण में FY25 के लिए 6.4% की थोड़ी कम वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जो आरबीआई के दिसंबर के पूर्वानुमान से 20 बेसिस पॉइंट्स कम है। सर्वेक्षण में यह भी सुझाव दिया गया है कि FY26 में वास्तविक जीडीपी 6.3% से 6.8% के बीच बढ़ सकती है।
SDF क्या है?
SDF का नाम Standing Deposit Facility यानी स्थायी जमा सुविधा है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकों को नई लिक्विडिटी देने के लिए 8 अप्रैल 2022 में एक एब्जॉर्प्शन टूल लाया था जिसे SDF नाम दिया गया।
स्टैंडिंग डिपाजिट फैसिलिटी (SDF) का क्या इस्तेमाल है?
वर्ष 2022 में RBI द्वारा लांच की गई SDF का इस्तेमाल मार्केट में ज़रूरत से ज्यादा नकदी को सोखने (Liquidity Absorption) के लिए किया जाता है।
SDF यानी Standing Deposit Facility घटाने से क्या होगा?
बैंकों के पास जब अतिरिक्त नकदी (Aditional liquidity) होती है, तो वे इसे RBI के पास जमा कर सकते हैं और इस पर ब्याज कमा सकते हैं। इस फैसले के बाद ब्याज दर कम हो जाएगी। जिस कारण बैंक अपनी अतिरिक्त नगदी को लोन दे सकते है या निवेश कर सकते है।
SDF दर (SDF Rate) को कम करने का आम आदमी पर क्या असर होगा?
7 फरवरी को आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में SDF को कम करने का निर्णय लिया गया। ऐसे में जब SDF की दर घटेगी तो RBI में जमा राशि पर कम ब्याज बैंकों को मिलेगा। इससे बैंक ज्यादा लोन देंगे।
इसे इस प्रकार भी समझे Higher Liquidity होने पर बैंक अपनी अतिरिक्त नकदी को RBI में रखने की बजाय मार्केट में ज्यादा लोन बांट सकेंगे। जिस कारण आम आदमी को लोन लेने पर ब्याज कम देना होगा और EMI भी घटेगी।
बाजार पर इस फैसले का क्या असर होगा?
SDF दर कम होती है, तो बैंक, शेयर बाजार और कॉर्पोरेट सेक्टर में अधिक निवेश कर सकते हैं। इससे शेयर बाजार पर पॉजिटिव असर हो सकता है।
यहां यह भी जान ले कि, यह Reverse Repo Rate का एक ऑप्शन है। लेकिन इसमें बैंकों को गवर्नमेंट सिक्योरिटी रखने की जरूरत नहीं होती है।
डिस्क्लेमर: आर्टिकल केवल एडुकेशन पर्पज के लिए है। कृपया वित्तीय सलाहकार की मदद ले।