उत्तराखंड में बादल फटने की लगातार घटनाएं: पहाड़ों पर प्रकृति का प्रकोप, गांव दबे मलबे में।
नई दिल्ली: उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाओं ने पहाड़ी राज्य को दो दिनों में दो बार दहला दिया है। चमोली के नंदानगर में रात के अंधेरे में फटा बादल, घर बह गए, लोग लापता – यह दृश्य दिल दहलाने वाला है।
चमोली के नंदानगर में रात का खौफनाक मंजर
उत्तराखंड में बादल फटने का ताजा मामला चमोली जिले से सामने आया, जहां 17 सितंबर की रात नंदानगर घाट इलाके में भारी तबाही मच गई। कुंटरी लंगाफली वार्ड में छह घर पूरी तरह मलबे में दब गए, और सात लोग अभी तक लापता हैं। जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि दो लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, लेकिन लापता लोगों की तलाश में चुनौती बनी हुई है। हमने चमोली के कुछ स्थानीय लोगों से फोन पर बात की – उनका कहना है कि रात करीब 11 बजे अचानक तेज गर्जना हुई, और फिर पानी का सैलाब आ गया। एनडीआरएफ की टीम गौचर से नंदप्रयाग के लिए रवाना हो चुकी है, जबकि एसडीआरएफ दिन-रात रेस्क्यू में जुटी हुई है।
यह इलाका घने जंगलों और नदियों से सटा हुआ है, जहां क्लाउडबर्स्ट की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। लापता लोगों में कुंटरी फाली से आठ और धुरमा से दो शामिल हैं, और कुछ रिपोर्ट्स में संख्या 10 तक पहुंच रही है। चमोली प्रशासन ने आसपास के गांवों को खाली कराने का आदेश दिया है, और राहत सामग्री जैसे टेंट, दवाइयां और खाना पहुंचाया जा रहा है। यह उत्तराखंड में बादल फटने की दूसरी बड़ी घटना है, जो राज्य की आपदा प्रबंधन टीमों को फिर से सतर्क कर रही है।
देहरादून में 16 सितंबर की बादल फटने की वारदात
एक दिन पहले, 16 सितंबर को देहरादून के सहस्रधारा इलाके में उत्तराखंड में बादल फटने से भयावह स्थिति बन गई। मसूरी जाने वाला 35 किलोमीटर लंबा मार्ग कई जगहों पर टूट गया, और करीब 2500 पर्यटक अब भी फंसे हुए हैं। सहस्रधारा से मसूरी तक का रास्ता मलबे और भूस्खलन से जाम है, जिससे राहत कार्य प्रभावित हो रहे हैं। अब तक 13 से 14 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, और 16 लोग लापता बताए जा रहे हैं।
हमने देहरादून के एक राहत अधिकारी से बात की, जो कहते हैं, “बारिश थमने का नाम नहीं ले रही। कारलीगढ़ नदी उफान पर है, और दुकानें-गाड़ियां सब बह गईं।” प्रशासन ने 400 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाया है, लेकिन सड़कें साफ करने में कम से कम दो-तीन दिन लगेंगे। पर्यटकों को हेलीकॉप्टर से निकालने की कोशिश हो रही है, लेकिन मौसम की वजह से उड़ानें मुश्किल हैं। यह घटना उत्तराखंड में बादल फटने की शुरुआती झलक थी, जिसने पूरे राज्य को हाई अलर्ट पर ला दिया।
हिमाचल प्रदेश: मानसून का बेरहम चेहरा
उत्तराखंड में बादल फटने की तरह हिमाचल प्रदेश भी इस मानसून सीजन में बाढ़, भूस्खलन और अचानक बाढ़ की मार झेल रहा है। जून से अब तक 419 लोगों की जान जा चुकी है, और संपत्ति का नुकसान 4595 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। मंडी जिले के धर्मपुर में हाल ही में बाढ़ ने छह लोगों को लापता कर दिया, और बाजार-घर तबाह हो गए। आधिकारिक रिकॉर्ड्स बताते हैं कि 140 भूस्खलन, 97 बाढ़ और 46 क्लाउडबर्स्ट की घटनाएं हो चुकी हैं।
धर्मपुर के एक निवासी ने स्मार्ट ख़बरी से बताया, “हमारे यहां हर साल बारिश आती है, लेकिन इस बार का प्रकोप अलग है। सड़कें बंद, बिजली चली गई – जीवन ठप हो गया।” हिमाचल सरकार ने राहत कैंप लगाए हैं, और सेना की मदद से रेस्क्यू हो रहा है। अगस्त में 431.3 मिमी वर्षा दर्ज हुई, जो सामान्य से काफी ज्यादा है। यह राज्य उत्तराखंड में बादल फटने जैसी घटनाओं से सबक लेते हुए आपदा प्रबंधन को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
मानसून 2025 का पूरा परिदृश्य
इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून 24 मई को केरल पहुंचा था, और 17 सितंबर तक देश में सामान्य से 8% ज्यादा बारिश हो चुकी है – कुल 743.1 मिमी। लेकिन यह अतिरिक्त वर्षा पहाड़ी राज्यों के लिए मुसीबत बन गई है। राजस्थान के पश्चिमी हिस्से, पंजाब और हरियाणा से मानसून विदाई की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन जाते-जाते सात राज्यों में तेज बारिश की आशंका है। मौसम विभाग ने उत्तराखंड और हिमाचल को अगले 48 घंटों के लिए हाई अलर्ट पर रखा है।
दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड में मानसून फिर से सक्रिय हो सकता है। पश्चिमी विक्षोभों का लंबा असर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएं सितंबर को भी गीला रख रही हैं। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि क्लाइमेट चेंज की वजह से उत्तराखंड में बादल फटने जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं, और हमें तैयार रहना चाहिए।
बंगाल की खाड़ी में कम दबाव: सितंबर-अक्टूबर में और वर्षा
मौसम विभाग और ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (जीएफएस) के अनुसार, सितंबर के अंतिम दिनों और अक्टूबर की शुरुआत में बंगाल की खाड़ी में बड़ा लो प्रेशर एरिया बनेगा। 25 या 26 सितंबर को यह सिस्टम सक्रिय हो सकता है, जिससे पूर्वी-पश्चिमी मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में दो-तीन दिन मूसलाधार बारिश होगी। कुछ जगहों पर 3 इंच तक पानी गिर सकता है।
यह सिस्टम मानसून को फिर से जगा देगा। बिहार के पटना और गया जैसे इलाकों में नमी बढ़ रही है, और 22 सितंबर तक वर्षा जारी रह सकती है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में भी भारी बारिश का अलर्ट है। स्काईमेट वेदर रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह लो प्रेशर ओडिशा-छत्तीसगढ़ से तेलंगाना तक फैलेगा, और उत्तराखंड में बादल फटने जैसी घटनाओं को बढ़ावा दे सकता है।
उत्तर भारत का मौसम: बदलाव लेकिन खतरा बाकी
18 सितंबर को दिल्ली-एनसीआर में बादल छाए रहेंगे, और उत्तर प्रदेश-बिहार में हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। उत्तर-पश्चिम भारत में अगले तीन दिनों तक भारी से बहुत भारी बारिश का अनुमान है। हिमाचल और उत्तराखंड में 14-20 सितंबर के बीच अतिवृष्टि की संभावना है। राजस्थान में विदाई के साथ राहत है, लेकिन पूर्वी राज्यों में खतरा बढ़ रहा है।
आपदाओं का प्रभाव: आंकड़े जो सोचने पर मजबूर करें
उत्तराखंड में देहरादून अकेले में 264 मिमी बारिश हुई, जबकि हिमाचल में 141 मिमी। जम्मू-कश्मीर भी प्रभावित है। कुल 6% ज्यादा वर्षा ने देश को परेशान कर दिया है। हिमाचल में 574 सड़कें बंद हैं, और उत्तराखंड में रेस्क्यू 24 घंटे चल रहा है। पर्यटन को झटका लगा – मसूरी जैसे स्पॉट सूने हैं।
स्थानीय कहते हैं, “विकास के चक्कर में पेड़ काटे गए, अब प्रकृति जवाब दे रही है।” विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि जल संरक्षण और अलर्ट सिस्टम मजबूत हों। एनजीओ और सरकार राहत पहुंचा रही हैं, लेकिन लापता लोगों की तलाश में देरी हो रही है।
उत्तराखंड में बादल फटने जैसी घटनाएं क्लाइमेट चेंज का नतीजा हैं। पश्चिमी विक्षोभ लंबे समय तक रुक रहे हैं, और समुद्री नमी ज्यादा आ रही है। वैज्ञानिक चेताते हैं कि आने वाले सालों में ऐसी आपदाएं और बढ़ेंगी। सरकार को डिजास्टर प्लान अपडेट करने की जरूरत है।