ट्रम्प का बयान – “हमने भारत-रूस को चीन के हाथों खो दिया”, 50% टैरिफ को लेकर अमेरिका में कोर्ट की कार्रवाई जारी!
नई दिल्ली, 05 सितम्बर: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार (5 सितंबर, 2025) को एक बयान देकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, “ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। उम्मीद है उनका भविष्य अच्छा होगा।” यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ को लेकर अमेरिकी अदालतों में कानूनी लड़ाई चल रही है और भारत-अमेरिका संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं ।
ट्रम्प के बयान का संदर्भ: SCO शिखर सम्मेलन की तस्वीर ने बढ़ाई चिंता
ट्रम्प के इस बयान के पीछे चीन के तियानजिन शहर में हाल ही में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन की वह तस्वीर है, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ गर्मजोशी से बातचीत करते नजर आए। ट्रम्प ने अपने पोस्ट के साथ इसी तस्वीर को शेयर किया था । विशेषज्ञों का मानना है कि इन तीनों नेताओं की नजदीकी ने ट्रम्प को चिंतित कर दिया है, खासकर तब जब भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद से अमेरिका-भारत संबंधों में खटास आ गई है ।
50% टैरिफ का मामला: अमेरिकी कोर्ट में चल रही है लड़ाई
ट्रम्प के बयान की पृष्ठभूमि में भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ का मामला है। ट्रम्प प्रशासन ने 30 जुलाई, 2025 को भारत पर 25% टैरिफ लगाया था, जो 7 अगस्त से लागू हुआ। इसके बाद 6 अगस्त को रूसी तेल खरीदने के कारण भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगा दिया गया, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया। यह अतिरिक्त टैरिफ 27 अगस्त से लागू हुआ । ट्रम्प का कहना है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच रहा है, जिससे रूस को यूक्रेन युद्ध जारी रखने में मदद मिल रही है ।
हालांकि, अमेरिकी अपील कोर्ट ने ट्रम्प के इस टैरिफ को “गैरकानूनी” करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि 1977 के इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) के तहत ट्रम्प के पास इतने बड़े टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं है । इस फैसले के बाद ट्रम्प ने 4 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। उन्होंने दलील दी कि यह टैरिफ रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए जरूरी है और निचली अदालत का फैसला उनकी व्यापारिक वार्ताओं को नुकसान पहुंचा सकता है ।
भारत की प्रतिक्रिया: विदेश मंत्रालय ने दिया ‘नो कमेंट’
ट्रम्प के बयान पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है । यह भारत की सतर्क और संयमित कूटनीति को दर्शाता है। हालांकि, टैरिफ युद्ध के बीच भारत सरकार ने आर्थिक रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया है। भारत ने अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करने के लिए दक्षिण एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे नए बाजारों की तलाश शुरू की है । साथ ही, निर्यातकों को राहत देने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के निर्यात प्रोत्साहन मिशन की भी तैयारी की जा रही है ।
ट्रम्प का दावा: “भारत ने जीरो टैरिफ का ऑफर दिया”
ट्रम्प ने दावा किया है कि भारत ने अमेरिका को जीरो टैरिफ का ऑफर दिया है। उन्होंने कहा, “भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाला देश था, लेकिन अब उन्होंने मुझे जीरो टैरिफ का ऑफर दिया है।” ट्रम्प के मुताबिक, अगर अमेरिका ने भारत पर टैरिफ नहीं लगाए होते, तो भारत ऐसा ऑफर नहीं देता । हालांकि, भारत की ओर से इस दावे की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है। ट्रम्प ने यह भी साफ किया कि वे भारत पर लगाए गए टैरिफ को कम करने के बारे में नहीं सोच रहे हैं ।
आर्थिक प्रभाव: भारत के निर्यात को खतरा, लेकिन अर्थव्यवस्था मजबूत
अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ का सीधा असर भारत के निर्यात पर पड़ेगा। अनुमान है कि इससे भारत का 30-35 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है । सबसे ज्यादा असर रत्न-आभूषण, चमड़ा, टेक्सटाइल, झींगा, फर्नीचर और मशीनरी जैसे सेक्टरों पर पड़ेगा । हालांकि, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम उत्पादों को इससे छूट दी गई है ।
इसके बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था ने अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में 7.8% की मजबूत वृद्धि दर्ज की है, जो ट्रम्प की भारत की अर्थव्यवस्था को “कमजोर” बताने की धारणा के विपरीत है । भारत की आर्थिक वृद्धि मुख्य रूप से घरेलू खपत पर निर्भर है, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 68% हिस्सा है ।
अमेरिकी कंपनियों का भारत में बढ़ता निवेश
टैरिफ युद्ध के बीच एक रोचक तथ्य यह है कि अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश बढ़ा रही हैं। एप्पल ने भारत में 2.5 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना बनाई है और अगले कुछ वर्षों में 25% आईफोन का उत्पादन भारत में करने का लक्ष्य रखा है । 2024-25 में एप्पल की भारत में बिक्री 9 अरब डॉलर (लगभग 79,000 करोड़ रुपये) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है । इससे साफ है कि अमेरिकी व्यापारिक हितों पर ट्रम्प की टैरिफ नीति का असर विरोधाभासी है।
भू-राजनीतिक बदलाव का संकेत
ट्रम्प का बयान और 50% टैरिफ पर चल रहा कानूनी युद्ध दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बड़ा बदलाव हो रहा है। भारत, रूस और चीन के बीच बढ़ती नजदीकी अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन गई है। हालांकि, भारत ने संयम और कूटनीतिक चतुराई से काम लेते हुए अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। आर्थिक रूप से, भारत ने टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए रणनीतिक कदम उठाए हैं, जबकि अमेरिकी कंपनियों का भारत में निवेश जारी है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रम्प की टैरिफ नीति अमेरिका के हित में है या फिर यह भारत को अन्य महत्वपूर्ण साझेदारों के करीब लाने का कारण बनेगी।
नोट: यह खबर विभिन्न समाचार स्रोतों पर आधारित है। आगे की कार्रवाई की स्थिति बदल सकती है।