जब जेल के अंदर कैदी शराब के नशे में धुत्त हों, गांजे का धुआं उड़ा रहे हों, और जेल प्रशासन “तुलसी-पानी” का बहाना बना रहा हो — तो समझिए बिहार की शराबबंदी की नीति धराशायी हो चुकी है!
📹 पटना (न्यूज 24 विशेष) — नीतीश कुमार ने 2016 में बिहार को “शराब-मुक्त” घोषित कर जो सुर्खियां बटोरीं, आज उनकी उसी नीति का “सुपरा पोल” एक वायरल वीडियो ने खोलकर रख दिया है। मसौढ़ी उपकारा जेल के वार्ड-1 में कैदियों की शाहखर्ची शराब पार्टी का वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है, जिसमें कैदी बेखौफ शराब पीते और गांजा फूंकते नजर आ रहे हैं । यह नजारा किसी पब से कम नहीं — मोबाइल चल रहे हैं, कैदी हंस-बोल रहे हैं, और जेल प्रशासन गहरी नींद में!
🔥 क्या दिखा वायरल वीडियो में?
- 6 कैदी एक साथ बैठे शराब की बोतलें सिर कर रहे हैं।
- एक कैदी गांजे का कश लेता हुआ चिल्लाता है: “दारू चल रही है मसौढ़ी उपकारा में!”
- जेल के अंदर मोबाइल का खुला इस्तेमाल — वीडियो कैमरे से लेकर सोशल मीडिया अपलोड तक!
🚨 जेल प्रशासन की “मास्टरस्ट्रोक” जवाबी कार्रवाई!
घटना का वीडियो वायरल होते ही जेल अधिकारियों ने फटाफट जांच का ढोंग रचा। बेऊर जेल अधीक्षक नीरज कुमार झा ने रिपोर्ट मांगी , लेकिन जेलर उमाशंकर शर्मा का बयान सबको चौंकाने वाला था — “यह तो नाटक था! कैदियों ने पानी को शराब बताया और तुलसी के पत्तों को गांजा!” अगर ऐसा है, तो क्या नीतीश सरकार को “ऑस्कर” मिलना चाहिए सबसे बेहतरीन फंतासी फिल्म के लिए?
📉 शराबबंदी या “शराब-बंद” नीति?
नीतीश कुमार ने शराबबंदी को अपने “सुशासन” का तमगा बनाया, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि यह नीति पूरी तरह विफल रही:
- 72,443 लोग गिरफ्तार, 38 लाख लीटर शराब जब्त (2016-2021) ।
- पटना में सबसे ज्यादा छापे, लेकिन जेल में ही शराब पार्टी!
- जेलों की हालत: बक्सर जेल की क्षमता 1,141, मगर 2,300 कैदी ठूंसे — इनमें 80% शराबबंदी के आरोपी!
☠️ नशे में डूबता बिहार: गोपालगंज से पटना जेल तक
शराबबंदी के नाम पर मौतों का सिलसिला थमा नहीं:
- गोपालगंज जहरीली शराब त्रासदी (2016): 16 मौतें, 15 पुलिसकर्मी निलंबित ।
- पटना के डॉक्टरों की शराब पार्टी और अब जेल में नशे का मंजर — क्या यही है “ड्राई बिहार”?
🔄 नीतीश का U-टर्न: कानून में “छूट” का खेल
2018 में सरकार ने खुद ही शराबबंदी कानून को कुंद किया:
- पहली बार पकड़े जाने पर जुर्माना (₹50,000) या 3 महीने की जेल ।
- अब ग्राहकों को मुखबिर बनाने की सलाह — “सप्लायर का नाम बताओ, छूट जाओ!” ।
क्या यह नीति है या नशा बेचने वालों को बचाने की साजिश?
💣 सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
सीजेआई एनवी रमण ने कहा था — “शराबबंदी कानून बनाने में दूरदर्शिता की कमी है। इससे न्यायिक व्यवस्था चरमराई है।” वाकई, 4 लाख लोगों की गिरफ्तारी से अदालतें केसों के बोझ तले दब गईं!
🎯 निष्कर्ष: “सुशासन” या “नशा-शासन”?
जब जेलों में शराब पार्टी हो, डॉक्टर होटलों में नशा करें , और सरकार “तुलसी पत्ते” का बहाना करे — तो सवाल उठता है: क्या नीतीश कुमार के 18 साल के शासन ने बिहार को सुशासन दिया या सिर्फ “ढोंग-शासन” दिया? आज पटना जेल का वीडियो नीतीश के दावों की पोल नहीं, सुपरा पोल खोलकर रख देता है!
“जेल के भीतर कानून की आंखें बंद हैं, लेकिन कैदियों की पार्टियां जिंदाबाद हैं!” — एक कैदी का वायरल स्टेटस