पाकिस्तान में आतंकवाद के समर्थन का ताजा सबूत नहीं बल्कि सबूतों का खजाना है। लेकिन फिर भी बेलगाम पाकिस्तान बचकानी हरकते करता चला आ रहा है। ताजा हालात में पाकिस्तान की इन हरकत को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोई यूरोपियन कंट्री पीछे के डोर से इसे हवा दे रही है।

07 मई को “X” पर एक देश के राष्ट्रपति पहले तो पीओके में भारत द्वारा किये गए हमले को शर्मनाक बताते है, बाद में शाम को एक इमेज शेयर करते है जिसमे दोनों देशो के झंडे और दो लड़ाकू टैंक दिखाई देता है इसी इमेज को शेयर कर अंग्रेजी में प्रश्न करने के लहजे से लिखते है कि, “कौन जीतेगा युद्ध?” इसके बाद 08 मई की तारीख की शुरुआत जैसे ही होती है तभी समय लगभग रात के 01:30 बजे पाकिस्तान, भारत के कई शहरों को टारगेट कर हमला कर देता है, लेकिन भारत ने पाकिस्तान की इस मंशा को पूरा नहीं होने देता।

भारत लगातार यह कोशिश करता है कि हालात सुधर जाएंगे लेकिन 08 मई की देर शाम को पाकिस्तान एक बार फिर भारत के कई शहरों को टारगेट कर ड्रोन से हमला कर देता है। ऐसे में ताजा हालात में कई ऐसे देश भी है जो यह स्वीकार करने से कतराते है कि पाकिस्तान में आतंकवाद के समर्थन का ताजा सबूत नही है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से पाकिस्तान में आतंकवाद के समर्थन का ताजा ही नही वरन पुख्ता सबूत दे रहे है।

जानिए, पाकिस्तान में आतंकवाद के समर्थन का ताजा सबूत ही नही बल्कि प्रमाणित भी

Pakistan should tell who these people are

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का इतिहास पुराना है, लेकिन हाल की घटनाओं ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर दोनों देशों को आमने-सामने ला खड़ा किया है। अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए, ने भारत को कड़ा रुख अपनाने के लिए मजबूर किया। इस हमले के बाद भारत ने 28 पेज का एक डोजियर तैयार किया, जिसमें पाकिस्तान में आतंकवाद के समर्थन का ताजा सबूत पेश किया गया है। आइए, इस डोजियर के विवरण, भारत की जवाबी कार्रवाई, और इसके भू-राजनीतिक प्रभावों को गहराई से समझते हैं।

पहलगाम हमला: आतंकवाद का नया चेहरा

Indian Army Aircraft

अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत को झकझोर दिया। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने ली, जिनके तार लंबे समय से पाकिस्तान से जुड़े होने के आरोप लगते रहे हैं। भारत सरकार ने इस हमले को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का स्पष्ट उदाहरण बताया। X पर @PIBHindi ने इस हमले के बाद सरकार के बयान को साझा करते हुए लिखा:

“पहलगाम हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों का हाथ। भारत इसका कड़ा जवाब देगा।”

इस हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें भारतीय नौसेना ने अरब सागर में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। यह सैन्य कार्रवाई न केवल पाकिस्तान के लिए चेतावनी थी, बल्कि वैश्विक समुदाय को यह संदेश भी देती थी कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ चुप नहीं रहेगा।

28 पेज का डोजियर: पाकिस्तान के खिलाफ सबूतों का खजाना

Indian Navy's readiness

भारत ने संयुक्त राष्ट्र (UN) और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक 28 पेज का डोजियर प्रस्तुत किया, जिसमें पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन के ताजा सबूत शामिल हैं। इस डोजियर के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:

1. आतंकी संगठनों को वित्तीय और हथियार सहायता:

डोजियर में दावा किया गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को हथियार, प्रशिक्षण, और धन मुहैया कराया। इसमें पहलगाम हमले में इस्तेमाल हथियारों के स्रोत का भी उल्लेख है, जो कथित तौर पर पाकिस्तान से आए थे।

2. आतंकी शिविरों का संचालन:

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पंजाब प्रांत में आतंकी प्रशिक्षण शिविरों की मौजूदगी के सबूत। सैटेलाइट इमेजरी और खुफिया जानकारी के आधार पर इन शिविरों में सैकड़ों आतंकियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

3. कूटनीतिक मंचों पर दुष्प्रचार:

डोजियर में यह भी आरोप है कि पाकिस्तान ने UN और अन्य मंचों पर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने की कोशिश की, ताकि आतंकवाद के मुद्दे से ध्यान हटाया जा सके।

4. हाफिज सईद और मसूद अजहर की गतिविधियां

इन आतंकी सरगनाओं को पाकिस्तान में खुली छूट मिलने के सबूत। X पर @TV9Bharatvarsh ने हाल ही में एक पोस्ट में लिखा:

“हाफिज सईद आज भी पाकिस्तान में खुलेआम रैलियां कर रहा है। क्या यह आतंकवाद के समर्थन का सबूत नहीं?”

भारत की जवाबी कार्रवाई: कूटनीति और सैन्य ताकत का संगम

india's military strength

पहलगाम हमले और डोजियर के बाद भारत ने दोहरी रणनीति अपनाई: कूटनीतिक दबाव और सैन्य तैयारियां।

1. कूटनीतिक मोर्चा

Global leaders know everything. UN session
  • संयुक्त राष्ट्र में प्रस्तुति: भारत ने डोजियर को UN में पेश कर पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर बेनकाब करने की कोशिश की। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन की कीमत चुकानी होगी।”
  • सिंधु जल संधि पर सवाल: भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) की समीक्षा शुरू की, जिसे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। X पर @BJP4Rajasthan ने लिखा:

“सिंधु जल संधि रद्द हो, आतंकवाद का जवाब पानी से भी देना होगा।”

अंतरराष्ट्रीय समर्थन: भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, और फ्रांस जैसे देशों से समर्थन मांगा। अमेरिकी विदेश विभाग ने हाल ही में पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ और कदम उठाने की सलाह दी।m

2. सैन्य मोर्चा

  • ऑपरेशन सिंदूर: भारतीय नौसेना ने अरब सागर में युद्धाभ्यास किया, जिसमें विमानवाहक पोत INS विक्रांत ने अहम भूमिका निभाई। यह पाकिस्तान के लिए स्पष्ट चेतावनी थी।
  • सीमा पर चौकसी: जम्मू-कश्मीर और पंजाब में सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ाई गई।
  • सर्जिकल स्ट्राइक की संभावना: विशेषज्ञों का मानना है कि भारत PoK में आतंकी शिविरों पर सीमित सैन्य कार्रवाई कर सकता है, जैसा कि 2016 में हुआ था।

वैश्विक प्रतिक्रिया: क्या कहता है विश्व समुदाय?

पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन पर वैश्विक प्रतिक्रिया मिश्रित रही है:

  • अमेरिका: US State Department ने पाकिस्तान से आतंकी संगठनों पर कार्रवाई की मांग की, लेकिन साथ ही दोनों देशों से संयम बरतने को कहा।
  • चीन: पाकिस्तान का करीबी सहयोगी होने के नाते, चीन ने भारत के आरोपों को “आधारहीन” बताया।
  • रूस: रूस ने दोनों देशों से बातचीत के जरिए तनाव कम करने की अपील की, लेकिन भारत के आतंकवाद विरोधी रुख का समर्थन किया।

भविष्य की राह: भारत के सामने चुनौतियां और अवसर

पाकिस्तान में आतंकवाद के समर्थन के ताजा सबूतों ने भारत के सामने कई सवाल खड़े किए हैं:

1. क्या भारत सैन्य कार्रवाई को और बढ़ाएगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सीमित सैन्य कार्रवाई (जैसे सर्जिकल स्ट्राइक) पर विचार कर सकता है, लेकिन पूर्ण युद्ध से बचने की कोशिश करेगा।

2. कूटनीतिक जीत की संभावना

यदि भारत UN और अन्य मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने में सफल होता है, तो यह एक बड़ी कूटनीतिक जीत होगी।

3. परमाणु युद्ध का जोखिम

दोनों देशों के पास परमाणु हथियार होने के कारण, किसी भी सैन्य टकराव में वैश्विक चिंता बढ़ सकती है। IPPNW की 2013 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत-पाकिस्तान युद्ध से वैश्विक स्तर पर “परमाणु अकाल” जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।

भारत का दृढ़ संकल्प

पाकिस्तान में आतंकवाद के समर्थन का ताजा सबूत भारत के लिए एक मौका है कि वह वैश्विक मंच पर अपनी बात मजबूती से रखे। पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ नरम रुख नहीं अपनाएगा। डोजियर के जरिए भारत ने पाकिस्तान को बेनकाब करने की कोशिश की है, और अब गेंद वैश्विक समुदाय के पाले में है।

आप क्या सोचते हैं?
क्या भारत को सैन्य कार्रवाई पर जोर देना चाहिए या कूटनीति से इस मुद्दे को हल करना चाहिए? अपनी राय कमेंट में साझा करें।
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