श्रीनगर/नई दिल्ली, 23 अप्रैल: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक, आर्थिक और सुरक्षात्मक कड़े फैसले लिए हैं।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में पांच प्रमुख निर्णयों की घोषणा की गई, जिनमें 1960 की सिंधु जल समझौते को स्थगित करना, अटारी चेक पोस्ट बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं रोकना, और दोनों देशों के उच्चायोगों में रक्षा सलाहकारों की संख्या घटाना शामिल है।

पहलगाम आतंकी हमले में क्या हुआ था?

बैसरन घाटी में पर्यटकों की भीड़ के बीच हुए इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई, जिनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र समेत सात राज्यों के पर्यटक, एक नेपाली और एक UAE नागरिक शामिल थे।

इस भीषण आतंकी हमले में 20 से अधिक लोग घायल हो गए जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। आतंकी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने हमले की जिम्मेदारी ली, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का प्रॉक्सी माना जाता है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, हमले का मास्टरमाइंड पाकिस्तान में बैठा लश्कर का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद है।

आतंकी हमले के बाद CCS की ऐतिहासिक बैठक: लिए 5 बड़े फैसले

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने बड़ा कदम उठाते हुए 5 अहम फैसलों पर मोहर लगा दी है। मिली जानकारी के अनुसार ढाई घंटे तक चली CCS की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और NSA अजीत डोभाल समेत वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने घोषित किए गए प्रमुख निर्णय:

1. सिंधु जल समझौते पर रोक:
कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 1960 में हुए इस समझौते के तहत पश्चिमी नदियों (सिंधु, चिनाब, झेलम) का 20% पानी रोकने का अहम निर्णय लिया है। अब इसका पूरा उपयोग करने का फैसला लिया गया। इससे पाकिस्तान में खेती और बिजली उत्पादन पर गंभीर संकट आएगा, क्योंकि उसकी 80% कृषि इन नदियों पर निर्भर है।

2. अटारी चेक पोस्ट बंद:
पाकिस्तानी नागरिकों की आवाजाही और छोटे व्यापार (सेंधा नमक, मुल्तानी मिट्टी आदि) पर रोक। भारत आए पाकिस्तानियों को वापसी के लिए 1 मई तक का समय दिया गया।

3. वीजा सेवाएं निलंबित:
SAARC वीजा छूट योजना सहित सभी वीजा प्रावधान रद्द। इससे आतंकियों का “रिश्तेदारी” या “धार्मिक यात्रा” के बहाने भारत आना बंद होगा।

4. उच्चायोगों में रक्षा सलाहकार हटाए गए:
भारत और पाकिस्तान ने एक-दूसरे के दूतावासों से मिलिट्री एडवाइजर्स वापस बुला लिए। दिल्ली स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन के कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 कर दी गई।

5. कूटनीतिक संबंधों में कमी:
दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक संपर्क लगभग समाप्त हो गए हैं।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और चिंताएं

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तुरंत नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (NSC) की आपात बैठक बुलाई। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत को “सर्जिकल स्ट्राइक न करने” की चेतावनी दी, लेकिन उनके दावों को भारत ने खारिज कर दिया।

दीर्घकालिक प्रभाव: क्या होगा असर?

  • जल संकट: पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में पीने के पानी और सिंचाई की किल्लत होगी।
  • आर्थिक मंदी: बिजली उत्पादन घटने और छोटे व्यापार बंद होने से पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को झटका।
  • कूटनीतिक अलगाव: दूतावासों की कार्यक्षमता कम होने से द्विपक्षीय संवाद और सीमित होगा।

सिंधू जल समझौते का इतिहास

1960 में पं. नेहरू और अयूब खान के बीच हुए इस समझौते को अब तक दोनों देशों ने मान्यता दी थी। 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद पाकिस्तान ने समझौते को चुनौती दी थी, लेकिन भारत ने अब पहली बार इसे स्थगित किया है।

संबंधित खबरे:

आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नही

पहलगाम हमले के बाद भारत का यह सख्त रुख स्पष्ट संदेश देता है कि आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं होगा। ये कदम न केवल पाकिस्तान को आर्थिक रूप से प्रभावित करेंगे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि को भी नुकसान पहुंचाएंगे। अब निगरानी इस बात पर है कि क्या ये प्रतिबंध पाकिस्तान को आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए मजबूर कर पाएंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here