पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानी चैनलों और सोशल मीडिया पर लगे बैन हटे
नई दिल्ली, 3 जुलाई 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तानी चैनलों, यूट्यूब चैनलों और मशहूर हस्तियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर कड़े डिजिटल प्रतिबंध लगाए थे। यह कार्रवाई भारत की साइबर सुरक्षा एजेंसियों द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य भ्रामक सूचनाओं को रोकना और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना था। लेकिन अब, लगभग ढाई महीने बाद, 2 जुलाई 2025 को इन प्रतिबंधों को हटा लिया गया है, जिसने देश में एक नई बहस को जन्म दिया है।
पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 लोग, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे, मारे गए थे। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। भारत सरकार ने इस हमले को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जोड़ा और त्वरित जवाबी कार्रवाई के तहत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। 6-7 मई 2025 को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की खबर थी। इस ऑपरेशन में राफेल जेट्स, ब्रह्मोस मिसाइलें और S-400 वायु रक्षा प्रणाली का इस्तेमाल किया गया।
इसके साथ ही, भारत ने डिजिटल मोर्चे पर भी कड़ा रुख अपनाया। सरकार ने 16 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों, जैसे Dawn News, Samaa TV, ARY News, Geo News, और कई अन्य को बैन कर दिया। इसके अलावा, मावरा होकेन, सबा कमर, हानिया आमिर, युमना जैदी, अहद रजा मीर, दानिश तैमूर और पूर्व क्रिकेटर शाहिद आफरीदी जैसे मशहूर पाकिस्तानी हस्तियों के इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी भारत में ब्लॉक कर दिया गया।
प्रतिबंध हटाने का फैसला: क्यों और कैसे?
2 जुलाई 2025 को, इन प्रतिबंधित चैनलों और सोशल मीडिया अकाउंट्स को भारत में फिर से उपलब्ध कराया गया। Hum TV, ARY Digital, और Har Pal Geo जैसे मनोरंजन चैनल भी अब भारतीय यूजर्स के लिए स्ट्रीम हो रहे हैं। हालांकि, सरकार ने इस फैसले की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, जिसके चलते कई सवाल उठ रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने स्थिति की समीक्षा के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि डिजिटल प्रतिबंधों की अब आवश्यकता नहीं है। कुछ विशेषज्ञ इसे सूचना की स्वतंत्रता की दिशा में एक कदम मान रहे हैं, जबकि अन्य का कहना है कि यह फैसला डिजिटल नैरेटिव वॉरफेयर के खतरे को नजरअंदाज कर सकता है।
सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं
प्रतिबंध हटने की खबर ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं जन्म दी हैं। कुछ यूजर्स ने इसे सरकार का ‘मास्टर स्ट्रोक’ बताया, जबकि अन्य ने इस कदम की आलोचना की। एक एक्स यूजर ने लिखा, “पहलगाम हमले के जख्म अभी भरे नहीं हैं, और सरकार ने पाकिस्तानी चैनलों पर बैन हटा लिया। यह पीड़ितों के परिवारों के साथ मजाक है।” दूसरी ओर, कुछ लोगों का मानना है कि यह कदम दोनों देशों के बीच तनाव कम करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास हो सकता है।
क्या हैं इसके पीछे के कारण?
हालांकि सरकार ने प्रतिबंध हटाने के कारणों का खुलासा नहीं किया है, लेकिन पीएम मोदी का यह कदम क्षेत्रीय स्थिरता और कूटनीतिक संतुलन को बनाए रखने की कोशिश हो सकता है। 12 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हुई बातचीत में दोनों पक्षों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य तैनाती कम करने पर सहमति जताई थी। इसके अलावा, अमेरिकी मध्यस्थता के बाद दोनों देशों ने तटस्थ स्थल पर बातचीत शुरू करने की सहमति दी थी।
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि प्रतिबंध हटाना भारत की उस रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसमें वह वैश्विक मंच पर अपनी छवि को उदार और जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में पेश करना चाहता है। हालांकि, सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए प्रोपेगेंडा का खतरा अभी भी बना हुआ है।
जनता के बीच बहस
इस फैसले ने देश में एक नई बहस छेड़ दी है। कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की जीत मान रहे हैं, जबकि अन्य का कहना है कि पहलगाम हमले के जिम्मेदार आतंकियों को अभी तक पकड़ा नहीं गया है, ऐसे में यह कदम जल्दबाजी में उठाया गया है। एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, “जब तक आतंकियों को सजा नहीं मिलती, तब तक पाकिस्तानी कंटेंट पर बैन जारी रहना चाहिए था।”
आगे क्या?
यह फैसला भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकता है, लेकिन यह भी सवाल उठाता है कि क्या भारत डिजिटल सुरक्षा के मोर्चे पर कोई जोखिम ले रहा है। सरकार की ओर से आधिकारिक बयान का इंतजार है, जो इस कदम के पीछे की मंशा को और स्पष्ट कर सकता है।
फिलहाल, यह स्पष्ट है कि पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को एक बार फिर उजागर किया है। इस घटनाक्रम पर नजर रखना जरूरी होगा, क्योंकि यह दोनों देशों के बीच भविष्य की कूटनीति और डिजिटल नीतियों को प्रभावित कर सकता है।