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नासा का पार्कर सोलर प्रोब: सूर्य की सबसे करीबी तस्वीरें खींचकर क्या खोलेगा रहस्य?

नासा का पार्कर सोलर प्रोब अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया अध्याय लिख रहा है। 24 दिसंबर 2024 को इस अंतरिक्ष यान ने सूर्य की सतह से मात्र 61 लाख किलोमीटर (3.8 मिलियन मील) की दूरी से अब तक की सबसे नजदीकी तस्वीरें खींचीं। यह पहली बार है जब कोई मानव-निर्मित यान सूर्य के इतने करीब पहुंचा और सौर हवा (Solar Wind) व कोरोना के रहस्यों को कैमरे में कैद किया। ये तस्वीरें न केवल वैज्ञानिकों के लिए सूर्य की गतिविधियों को समझने में मदद करेंगी, बल्कि पृथ्वी पर अंतरिक्ष मौसम (Space Weather) के प्रभावों की भविष्यवाणी को भी बेहतर बनाएंगी। आइए, इस ऐतिहासिक मिशन की खास बातें जानते हैं।

सूर्य के सबसे नजदीक पॉइंट पर खिंचा तश्वीरें, बनाया वीडियों

पार्कर सोलर प्रोब को नासा ने 12 अगस्त 2018 को लॉन्च किया था। इसका मिशन है सूर्य के बाहरी वातावरण, यानी कोरोना, और सौर हवा का अध्ययन करना। यह यान शुक्र के गुरुत्वाकर्षण की मदद से अपनी कक्षा को सूर्य के करीब लाता गया। 24 दिसंबर 2024 को अपने 17वें पेरीहेलियन (सूर्य के सबसे नजदीकी बिंदु) के दौरान, यह 3.8 मिलियन मील की दूरी पर पहुंचा। इस दौरान इसके WISPR (Wide-field Imager for Parker Solar Probe) कैमरे ने सूर्य के कोरोना से निकलने वाले एक शक्तिशाली कोरोनल मास इजेक्शन (CME) की तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड किए।

तस्वीरों में क्या दिखा?

इन तस्वीरों ने सौर वैज्ञानिकों को उत्साहित कर दिया है। पहली बार, सूर्य की सौर हवा में केल्विन-हेल्महोल्ट्ज अस्थिरता (Kelvin-Helmholtz Instabilities) का प्रत्यक्ष दृश्य प्रमाण मिला, जो प्लाज्मा की गतिशीलता को दर्शाता है। इसके अलावा, तस्वीरों में सूर्य की चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में ‘स्विचबैक’ (Zigzag Magnetic Fields) दिखे, जो तेज सौर हवा की उत्पत्ति को समझने में महत्वपूर्ण हैं। ये स्विचबैक 400 मील प्रति सेकंड की गति से अंतरिक्ष में यात्रा करने वाली सौर हवा से जुड़े हैं। ये निष्कर्ष सूर्य के व्यवहार को समझने में वैज्ञानिकों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।

अंतरिक्ष मौसम और पृथ्वी पर प्रभाव

सौर हवा सूर्य से निकलने वाली आवेशित कणों की धारा है, जो 1 मिलियन मील प्रति घंटे की गति से सौर मंडल में फैलती है। यह पृथ्वी के अंतरिक्ष मौसम को प्रभावित करती है, जिससे उपग्रह संचार, अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा, और यहाँ तक कि बिजली ग्रिड पर भी असर पड़ सकता है। पार्कर सोलर प्रोब के डेटा ने सौर हवा के दो प्रकार – अल्फवेनिक और गैर-अल्फवेनिक – की पुष्टि की है। अल्फवेनिक हवा में छोटे चुंबकीय उतार-चढ़ाव होते हैं, जबकि गैर-अल्फवेनिक हवा में बड़े और जटिल चुंबकीय परिवर्तन देखे गए हैं।

“पार्कर सोलर प्रोब, जिसका मकसद ‘सूरज को छूना’ है, 2021 में सूरज के ऊपरी वातावरण, कोरोना, से गुजरने वाला पहला अंतरिक्ष यान बना। हर चक्कर में यह सूरज के और करीब जाता है, जहां इसे तेज गर्मी और रेडिएशन का सामना करना पड़ता है। इससे हमें सूरज के बारे में नई और अनोखी जानकारी मिलती है। सूरज हमारी पहुंच के सबसे नजदीक का तारा है, जिसका हम इतने करीब से अध्ययन कर सकते हैं।” नासा

नासा का पार्कर सोलर प्रोब: एक जबरदस्त तकनीक का चमत्कार

नासा का पार्कर सोलर प्रोब: सूर्य की सबसे करीबी तस्वीरें खींचकर क्या खोलेगा रहस्य?

नासा का पार्कर सोलर प्रोब की तकनीक इसे सूर्य के चरम तापमान और विकिरण से बचाने के लिए डिज़ाइन की गई है। यह यान 1,800 डिग्री फारेनहाइट तक के तापमान को झेल सकता है और 430,000 मील प्रति घंटा (692,000 किमी/घंटा) की रफ्तार से यात्रा करता है, जो इसे अब तक का सबसे तेज़ मानव-निर्मित यान बनाता है। नासा ने पुष्टि की है कि दिसंबर 2024 की इस उड़ान के दौरान यान के सभी सिस्टम पूरी तरह कार्यशील रहे।

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नासा पार्कर सोलर प्रोब: भविष्य से उम्मीद

पार्कर सोलर प्रोब सूर्य की परिक्रमा जारी रखेगा और 15 सितंबर 2025 को अपनी अगली निकटतम उड़ान भरेगा। यह मिशन 2026 तक डेटा एकत्रित करेगा, जिससे सौर हवा और चुंबकीय क्षेत्रों के बारे में और जानकारी मिलेगी। नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मिशन अंतरिक्ष मौसम की भविष्यवाणियों को और सटीक बनाएगा, जिससे पृथ्वी पर प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष मिशनों की सुरक्षा बढ़ेगी।

सौर अनुसंधान में नई उपलब्धि

पार्कर सोलर प्रोब की यह उपलब्धि सौर विज्ञान को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है। सूर्य के रहस्यों को करीब से समझने का यह पहला अवसर है, जो अंतरिक्ष अनुसंधान में मानव की तकनीकी क्षमता को दर्शाता है। इस मिशन से मिले डेटा से वैज्ञानिकों को सूर्य की गतिविधियों और उनके पृथ्वी पर प्रभावों के बारे में गहरी जानकारी मिलेगी, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए आधार तैयार करेगी।

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