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मॉनसून का तांडव: बिहार में बिजली का कहर, हिमाचल में बाढ़ का प्रकोप, उत्तर प्रदेश में डूबे मंदिर!

नई दिल्ली 18 जुलाई 2025: जुलाई का महीना और मॉनसून का तांडव! आसमान से बरसते पानी और बिजली की चमक ने भारत के कई हिस्सों को हिलाकर रख दिया है। बिहार में बिजली गिरने से लोग दहशत में हैं, तो हिमाचल में बाढ़ और भूस्खलन ने तबाही मचा दी। उत्तर प्रदेश में गंगा नदी उफान पर है, और वाराणसी के मंदिर पानी में डूब गए हैं। हरियाणा में भी बारिश ने कहर बरपाया है। आइए, इस मॉनसून की मार की पूरी कहानी जानते हैं, जो आपको दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर देगी!

बिहार में मॉनसून का तांडव ऐसा कि बिजली की चपेट में आने से 17 की मौत!

बिहार में पिछले 24 घंटों में आसमान से बिजली ऐसी गिरी कि 17 जिंदगियां छिन गईं। नालंदा में सबसे ज्यादा 5 लोगों की मौत हुई, वैशाली में 4, और बांका व पटना में 2-2 लोगों ने अपनी जान गंवाई। ये आंकड़े सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। खेतों में काम कर रहे किसान, घरों में बैठे लोग, कोई नहीं बचा इस प्राकृतिक आपदा की चपेट से।

मौसम विभाग का कहना है कि बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी और मॉनसून की सक्रियता ने बिहार में बिजली गिरने की घटनाओं को बढ़ा दिया है। पटना, गया, और जमुई जैसे 19 जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी है। पूर्णिया, कटिहार, और भागलपुर में हल्की बारिश के साथ बिजली गिरने का खतरा बना हुआ है। प्रशासन ने लोगों से पक्के मकानों में शरण लेने और खेतों में काम से बचने की अपील की है। लेकिन सवाल ये है, क्या ये चेतावनियां हर उस इंसान तक पहुंच पा रही हैं, जो इस खतरे की जद में है?

हिमाचल: बाढ़ और भूस्खलन का डरावना मंजर

हिमाचल प्रदेश में मॉनसून ने ऐसा कहर बरपाया है कि पहाड़ रो रहे हैं। 20 जून से शुरू हुए मॉनसून ने अब तक 110 लोगों की जान ले ली। मंडी में बादल फटने से 5 लोग मारे गए, 15 लापता हैं, और 132 को किसी तरह बचा लिया गया। कांगड़ा, कुल्लू, शिमला, और सिरमौर में भूस्खलन और बाढ़ ने जनजीवन को ठप कर दिया। पंडोह बांध से डेढ़ लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे ब्यास नदी का जलस्तर खतरे के निशान को छूने लगा। 200 से ज्यादा सड़कें बंद हैं, और 1200 करोड़ रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।

मौसम विभाग ने 21 से 23 जुलाई के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जबकि शुक्रवार को यलो अलर्ट लागू है। हिमाचल के लोग हर पल डर के साए में जी रहे हैं, क्योंकि पहाड़ों पर बारिश का मतलब है भूस्खलन का खतरा।

उत्तर प्रदेश: गंगा का रौद्र रूप, मंदिर पानी में डूबे

उत्तर प्रदेश में मॉनसून ने तबाही का नया चेहरा दिखाया है। चित्रकूट में मंदाकिनी नदी खतरे के निशान से 2 मीटर ऊपर बह रही है, जिससे आसपास के गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। महोबा में देर रात एक कच्चा मकान ढह गया, जिसमें एक मां और उसके बेटे की जान चली गई। पिता और दूसरा बेटा घायल हैं, लेकिन अब उनकी हालत स्थिर है।

पिछले 24 घंटों में बारिश से जुड़ी घटनाओं में 7 लोगों की मौत हो चुकी है। वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से सिर्फ 1.56 मीटर नीचे है, और घाट किनारे के 1000 मंदिर पानी में डूब चुके हैं। ये नजारा देखकर हर कोई हैरान है।

मौसम विभाग ने 26 जिलों में बहुत भारी बारिश और 49 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में प्रशासन ने राहत कैंप लगाए हैं, लेकिन हालात काबू में आते नहीं दिख रहे।

हरियाणा: 39% ज्यादा बारिश, मॉनसून का तांडव ऐसा कि हुई 24 की मौत!

हरियाणा में मॉनसून ने औसत से 39% ज्यादा बारिश की है, और इसके साथ लाया है तबाही। अंबाला, यमुनानगर, और कुरुक्षेत्र जैसे जिलों में सड़कें जलमग्न हैं, और खेतों में फसलें डूब चुकी हैं। बारिश से जुड़ी घटनाओं में अब तक 24 लोगों की जान जा चुकी है।

मौसम विभाग ने शुक्रवार के लिए 10 जिलों में तेज बारिश का यलो अलर्ट जारी किया है, लेकिन अच्छी खबर ये है कि अगले दो दिन मौसम साफ रह सकता है। फिर भी, निचले इलाकों में रहने वाले लोग डर के साए में हैं, क्योंकि बारिश का पानी उनके घरों तक पहुंच रहा है।

मौसम विभाग की चेतावनी: सावधान रहें!

मौसम विभाग ने बिहार, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, और हरियाणा में अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश और बिजली गिरने की चेतावनी दी है। बिहार में किसानों से खेतों में काम न करने की अपील की गई है। हिमाचल में भूस्खलन और बाढ़ के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने एसडीआरएफ को अलर्ट पर रखा है।

उत्तर प्रदेश में गंगा और मंदाकिनी जैसी नदियों के किनारे बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा गया है। हरियाणा में निचले इलाकों में पानी निकासी के लिए पंप लगाए जा रहे हैं। मौसम विभाग ने लोगों से नदी-नालों से दूर रहने और सरकारी अलर्ट पर ध्यान देने की सलाह दी है।

राहत कार्यों में जुटा प्रशासन

बिहार में बिजली गिरने से मरने वालों के परिवारों को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा हुई है। हिमाचल में मंडी और कांगड़ा में सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में चित्रकूट और वाराणसी में राहत कैंप लगाए गए हैं, जहां लोगों को भोजन और आश्रय दिया जा रहा है। हरियाणा में बाढ़ प्रभावित इलाकों से लोगों को सुरक्षित निकाला जा रहा है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये राहत कार्य इस तबाही के सामने काफी हैं?

मॉनसून की मार का अंत कब?

मॉनसून की इस मार ने लाखों लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है। खेतों में फसलें बर्बाद, सड़कें बंद, मकान ढहे, और जिंदगियां खत्म। ये सब देखकर मन में सवाल उठता है कि क्या प्रकृति का ये रौद्र रूप अब हर साल का मेहमान बन गया है?

मौसम विभाग की चेतावनियां और प्रशासन के राहत कार्य कितने कारगर होंगे, ये तो वक्त ही बताएगा। लेकिन फिलहाल, हर किसी की नजर आसमान पर टिकी है, जहां से बारिश की बूंदें और बिजली की चमक अब डर का सबब बन चुकी हैं।

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