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⛈️ हिमाचल पर टूटा आसमानी कहर: 44 मौतें, 390 सड़कें बंद, टनल में फंसे सैकड़ों यात्री

मानसून ने अपना उग्र रूप दिख दिया है। हिमांचल प्रदेश में इस आसमानी कहर से 44 लोगों की मौत हो गई है। बिहार में 5 लोगों की मौत हो गई जबकि राजस्थान में बिजली गिरने से 4 लोगों की मौत हो गई।

नई दिल्ली (शिमला/मंडी) 30 जून 2025: हिमाचल प्रदेश में भीषण मानसूनी बारिश और भूस्खलन ने जनजीवन को तबाह कर दिया है। सोमवार सुबह मंडी-कुल्लू नेशनल हाईवे पर थलौट की भुभु जोत टनल के पास हुए भारी भूस्खलन के कारण टनल के अंदर कई वाहन 5 घंटे तक फंसे रहे, जबकि प्रदेश भर में अब तक 390 सड़कें यातायात के लिए बंद हो चुकी हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, 20-30 जून के बीच 44 लोगों की मौत हुई है और 82 घायल हुए हैं ।

🚨हिमाचल प्रदेश में आसमानी कहर से आपातकालीन स्थिति बनी।

  1. जानमाल की क्षति:
  • 44 मौतें (24 घंटे में 3 नई), जिनमें सड़क हादसे (21), बाढ़ (8), और बिजली गिरने (2) शामिल ।
  • 83 मवेशी मारे गए, 35 घर और 26 गौशालाएं पूरी तरह ध्वस्त ।
  • आर्थिक नुकसान: ₹75 करोड़ से अधिक, जिसमें जल शक्ति विभाग (₹38.56 करोड़) और लोक निर्माण विभाग (₹34.72 करोड़) को सबसे ज्यादा नुकसान ।
  1. यातायात व्यवधान:
  • 390 सड़कें बंद, जिनमें मंडी (44) और सिरमौर (57) सबसे अधिक प्रभावित ।
  • थलौट टनल घटना: भूस्खलन से टनल मुहाना अवरुद्ध, वाहनों को निकालने में 5 घंटे लगे। चंडीगढ़-मनाली फोरलेन पर अब भी खतरा बरकरार ।
  • प्रतिक्रिया: 110 विभागीय और 132 किराए की जेसीबी मशीनें तैनात। लक्ष्य अगले 72 घंटे में सभी सड़कें खोलना ।
  1. उच्च जोखिम वाले क्षेत्र:
  • 22 भूस्खलन संभावित स्थल चिन्हित, जिनमें कांगड़ा का संधोल क्षेत्र “बहुत अधिक खतरे” की श्रेणी में। मंडी के पराशर और तत्तापानी जैसे पर्यटन स्थल भी शामिल ।
  • अलर्ट स्तर: कांगड़ा, मंडी, सोलन और सिरमौर में रेड अलर्ट; शिमला में ऑरेंज अलर्ट ।
  1. बुनियादी ढांचे का संकट:
  • 612 ट्रांसफॉर्मर बंद, विशेषकर मंडी में 340, जिससे बिजली और पेयजल आपूर्ति ठप ।
  • सराज क्षेत्र (मंडी): 98 ट्रांसफॉर्मर क्षतिग्रस्त, स्थानीय लोगों को पेयजल और नेटवर्क सेवाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है ।
हिमाचल पर टूटा आसमानी कहर: 44 मौतें, 390 सड़कें बंद, टनल में फंसे सैकड़ों यात्री

⚡ अन्य राज्यों में मानसूनी तबाही

  • बिहार: भोजपुर, बक्सर और नालंदा में बिजली गिरने से 5 लोगों की मौत
  • गया (बिहार): लगुराही वॉटरफॉल में अचानक बाढ़ आने से 6 लड़कियां बह गईं, स्थानीय लोगों ने बचाया ।
  • ओडिशा: बालासोर और मयूरभंज में बाढ़ से 1,138 लोगों को सुरक्षित निकाला गया। सुवर्णरेखा नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर पर ।
  • राजस्थान: बिजली गिरने और डूबने की घटनाओं में 4 मौतें
बिजली गिरने से 5 लोगों की मौत

मौसम की जानकारी देवरिया, गोरखपुर: सोमवार शाम से देवरिया, गोरखपुर समेत पुर्वांचल के कई जिलों में तेज बारिश हो रही है। इस आसमानी कहर से देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर जिलों के तेज बारिश से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।

🔭 मौसम पूर्वानुमान और चेतावनी

मौसम विभाग ने 31 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में आज बारिश की भविष्यवाणी की है:

  • रेड अलर्ट: उत्तराखंड और झारखंड ।
  • ऑरेंज अलर्ट: मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित 12 राज्य ।
  • यलो अलर्ट: 17 राज्यों में ।
    हिमाचल के लिए 6 जुलाई तक भारी बारिश का अनुमान है, जिससे भूस्खलन का खतरा बना हुआ है ।
 क्यों बढ़ रहा आसमानी कहर का जोखिम?

🚑 प्रशासन की कार्रवाई और सावधानियां

  • स्कूल बंद: हिमाचल के चार जिलों (कांगड़ा, मंडी, सोलन, सिरमौर) में सोमवार को स्कूल बंद रखे गए ।
  • आपातकालीन तैयारियां: ₹20 करोड़ मूल्य के वैली ब्रिज (अस्थायी पुल) स्टॉक किए गए हैं, ताकि बहने वाले पुलों का तुरंत विकल्प उपलब्ध हो सके ।
  • यात्रा चेतावनी: मंडी पुलिस ने लोगों से “अनावश्यक यात्रा टालने” की अपील की है, खासकर चंडीगढ़-मनाली फोरलेन पर ।

यह भी पढ़े: मानसून ने बढ़ाई रफ्तार

💧 क्यों बढ़ रहा आसमानी कहर का जोखिम?

  • समय से पहले मानसून: इस वर्ष मानसून 20 जून को हिमाचल पहुंचा, जो सामान्य से पहले है। इसके कारण जून के अंतिम 10 दिनों में ही भारी तबाही हुई ।
  • बादल फटने की घटनाएं: कुल्लू, कांगड़ा और शिमला के रामपुर में बादल फटने से फ्लैश फ्लड ने नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ाया ।
  • पहाड़ी ढाल अस्थिरता: लगातार बारिश से मिट्टी संतृप्त होने के कारण भूस्खलन का खतरा बढ़ा है, विशेषकर मंडी और कांगड़ा के ढलानों पर ।

🌧️ आसमानी कहर से सतर्क रहें।

हिमाचल प्रदेश में मानसूनी आसमानी कहर थमने का नाम नहीं ले रहा। अगले 48-72 घंटे में सड़कों को बहाल करने का लक्ष्य है, लेकिन भारी बारिश जारी रहने से राहत कार्य प्रभावित हो सकते हैं। प्रशासन ने लोगों से नदियों के किनारे, भूस्खलन संभावित क्षेत्रों और टूटे पुलों से दूर रहने की अपील की है। इस आपदा ने एक बार फिर पहाड़ी राज्यों में जलवायु अनुकूल बुनियादी ढांचे की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है।

स्रोत: राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, IMD बुलेटिन और स्थानीय प्रशासनिक रिपोर्ट्स

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