ADR रिपोर्ट में खुलासा, चुनावी खर्च में भाजपा की भारी बढ़त।कुल व्यय का 44.56% अकेले खर्च किया। स्टार प्रचारकों पर जमकर हुआ खर्च। भाजपा ने 2024 के लोकसभा व विधानसभा चुनावों में 1,494 करोड़ रुपये खर्च किए जबकि कांग्रेस ने मात्र 620 करोड़ खर्च किये फिर भी खर्च के मामले में दूसरे स्थान पर रही।
प्रमुख तथ्य
- भाजपा का खर्च: 1,494 करोड़ रुपये (कुल व्यय का 44.56%)
- कांग्रेस का खर्च: 620 करोड़ रुपये (कुल का 18.5%)
- कुल चुनावी खर्च: 3,352.81 करोड़ रुपये (32 दलों द्वारा)
- सबसे बड़ा मद: प्रचार-प्रसार पर 2,008 करोड़ (53%)
- यात्रा व्यय: 795 करोड़ में से 765 करोड़ सिर्फ स्टार प्रचारकों पर
राष्ट्रीय दलों का दबदबा
2024 के लोकसभा और चार राज्यों (आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम) के विधानसभा चुनावों के दौरान राष्ट्रीय दलों ने कुल खर्च का 65.75% (2,204 करोड़) खर्च किया। फंडिंग में भी उन्हें कुल धन का 93.08% (6,930.25 करोड़) मिला, जबकि क्षेत्रीय दलों को महज 6.92% (515.32 करोड़) ।
खर्चों का ब्रेकडाउन: कहां गया पैसा?
- प्रचार-प्रसार: 2,008 करोड़ (53% से अधिक)
- यात्रा व्यय: 795 करोड़ (इसमें से 96.22% स्टार प्रचारकों पर)
- उम्मीदवारों को भुगतान: 402 करोड़
- डिजिटल प्रचार: 132 करोड़
- आपराधिक रिकॉर्ड प्रकाशन: 28 करोड़
💡 चौंकाने वाला तथ्य: यात्रा बजट का 96.22% सिर्फ हाई-प्रोफाइल नेताओं पर खर्च हुआ, जबकि स्थानीय कार्यकर्ताओं को महज 30 करोड़ मिले ।
पारदर्शिता संबंधी गंभीर चिंताएं
- रिपोर्ट जमा करने में देरी: आम आदमी पार्टी (AAP) ने 168 दिन की देरी की, भाजपा 139-154 दिन लेट। केवल कांग्रेस ने समय पर रिपोर्ट जमा की ।
- गायब रिपोर्ट्स: NCP, CPI, JMM, शिवसेना (UBT) सहित 21 दलों के खर्च का ब्योरा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं ।
- शून्य खर्च का दावा: PDP और केरल कांग्रेस (M) जैसे दलों ने चुनाव लड़ने के बावजूद शून्य खर्च दिखाया ।
गैर-मान्यता प्राप्त दलों का अंधेरा
कुल 690 गैर-मान्यता प्राप्त दलों ने चुनाव लड़ा, लेकिन उनके खर्च का कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। ADR ने चुनाव आयोग से पार्टियों के खर्च पर नजर रखने के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त करने की मांग की है ।
क्या चुनावी व्यवस्था संकट में?
एडीआर की यह रिपोर्ट चुनावी प्रक्रिया में भारी वित्तीय असंतुलन और पारदर्शिता के अभाव को उजागर करती है। राष्ट्रीय दलों जिनमे मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी के पास धन का जबरदस्त जखीरा है, जबकि अन्य के पास बेहद कम। वही क्षेत्रीय दल संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं।
स्टार प्रचारकों पर अतिशय खर्च और रिपोर्टिंग में लापरवाही लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत हैं। चुनाव आयोग को न केवल नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना चाहिए, बल्कि खर्चों की वास्तविक ट्रैकिंग के लिए तंत्र भी विकसित करना चाहिए। लेकिन ऐसा होता नही दिखाई दे रहा है।
गौरतलब है कि भारत में चुनावी खर्च पर नजर रखने वाली संस्था ADR लगातार वित्तीय अनियमितताओं को उजागर कर रही है। 2024 के आंकड़े बताते हैं कि सुधारों के बावजूद, चुनावी प्रक्रिया अब भी पैसे के बल पर चलती है।
✍️ रिपोर्ट: स्मार्टखबरी रिसर्च डेस्क
📅 तारीख: 21 जून, 2025
स्रोत: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट और चुनाव आयोग के आंकड़ों पर आधारित।