5 वजहें क्यों ईरान-इज़राइल युद्ध का पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले सकता है

शनिवार, 14 जून, 2025 – यह दूसरा दिन है जब दुनिया की सांसें अटकी हुई हैं। मध्य पूर्व की धरती पर जो चिंगारी भड़की थी, वह अब एक बड़े युद्ध की आग में तब्दील हो चुकी है। यह अब सिर्फ एक सैन्य झड़प नहीं, बल्कि ईरान-इज़राइल युद्ध की ताज़ा खबर है जो हर पल एक नए और खतरनाक मोड़ पर पहुँच रही है।

इज़राइल के परमाणु ठिकानों पर हमले के जवाब में ईरान ने जो 150 से ज़्यादा मिसाइलें और ड्रोन दागे थे, उनमें से कई इज़राइल के ‘आयरन डोम’ को भेदने में सफल रहे, जिससे तेल अवीव और यरुशलम में कई धमाके हुए।

इस युद्ध ने वैश्विक बाजारों में सुनामी ला दी है, तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने आपातकालीन बैठक बुलाई है। दुनिया दो गुटों में बंटती दिख रही है और हर किसी के मन में बस एक ही सवाल है – क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की दस्तक है?

ईरान-इज़राइल युद्ध की ताज़ा खबर: कैसे एक ‘शैडो वॉर’ पूर्ण युद्ध में बदल गया?

दशकों से ईरान और इज़राइल एक ‘शैडो वॉर’ यानी छद्म युद्ध लड़ रहे थे। यह लड़ाई सीरिया की धरती पर, लेबनानी प्रॉक्सी हिजबुल्लाह के जरिए, या फिर साइबर हमलों और खुफिया ऑपरेशनों तक सीमित थी। लेकिन शुक्रवार को इज़राइल के ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ ने इस अलिखित नियम को तोड़ दिया। CNN और BBC की रिपोर्टों के अनुसार, इज़राइल ने सीधे ईरान के परमाणु कार्यक्रम की आत्मा पर हमला किया, जिसमें न सिर्फ नतान्ज़ जैसे भूमिगत ठिकाने शामिल थे, बल्कि ईरान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक और IRGC के कमांडर भी मारे गए।

यह इज़राइल की ओर से एक स्पष्ट संदेश था कि वह ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए किसी भी सीमा को लांघ सकता है। इसके जवाब में, ईरान ने ऑपरेशन ‘ट्रू प्रॉमिस 3’ लॉन्च किया, जिसके तहत उसने सीधे इज़राइली शहरों पर मिसाइलें दागीं। यह पहली बार है जब दोनों देशों ने अपनी धरती से एक-दूसरे पर सीधा और घोषित हमला किया है, जिसने इस ‘शैडो वॉर’ को एक पूर्ण और विनाशकारी युद्ध में बदल दिया है।

ईरान और इज़राइल युद्ध की ताज़ा खबर: वैश्विक प्रतिक्रिया और भारत पर इसका असर

इस युद्ध ने पूरी दुनिया को एक राजनयिक संकट में डाल दिया है।

  • अमेरिका और पश्चिमी देश: हिंदुस्तान टाइम्स और द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने इज़राइल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है, लेकिन साथ ही तनाव कम करने की अपील भी की है। ब्रिटेन और फ्रांस ने भी ईरान के जवाबी हमले की निंदा की है।
  • रूस और चीन: रूस और चीन ने इज़राइली हमले को “गैर-जिम्मेदाराना” और “उकसावे वाला” बताया है और UNSC में इज़राइल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की बात कही है।
  • अरब जगत: अल जज़ीरा के अनुसार, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश, जो ईरान को अपना प्रतिद्वंद्वी मानते हैं, इस स्थिति पर गहरी चिंता के साथ नज़र बनाए हुए हैं। उन्हें डर है कि यह लड़ाई उनके अपने दरवाजे तक पहुँच सकती है।
  • भारत का रुख और प्रभाव: भारत के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। लाखों भारतीय नागरिक खाड़ी देशों में काम करते हैं और उनकी सुरक्षा सरकार की पहली प्राथमिकता है। इसके अलावा, भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए इस क्षेत्र पर बहुत अधिक निर्भर है। युद्ध लंबा खिंचने पर तेल की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है, जिससे भारत में महंगाई बढ़ सकती है। भारत सरकार ने दोनों देशों से तत्काल युद्धविराम और कूटनीति के रास्ते पर लौटने की अपील की है।

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