लद्दाख की ठंडी वादियां एक बार फिर गर्मा गईं। जहां शांति की उम्मीद थी, वहां गोलियां चलीं और खून बहा, जो पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर देता है।
लद्दाख, 26 सितंबर: लद्दाख के लेह में 24 सितंबर को चला शांतिपूर्ण आंदोलन अचानक हिंसक हो गया, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई और 45 से ज्यादा घायल हुए। यह लद्दाख आंदोलन हिंसा की पहली बड़ी घटना है, जहां प्रदर्शनकारियों ने BJP दफ्तर में आग लगाई और पुलिस से भिड़ंत की। क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने इसे दुखद बताया, लेकिन चेतावनी दी कि अगर सरकार मांगें न सुनी तो ऐसी घटनाएं और हो सकती हैं।
लद्दाख आंदोलन की जड़: धारा 370 हटने से शुरू हुई मांगें
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया। शुरुआत में लेह में जश्न मना, लेकिन जल्द ही पूर्ण राज्य का दर्जा और 6वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग तेज हो गई। 6वीं अनुसूची आदिवासी इलाकों को विशेष अधिकार देती है, जैसे भूमि और संसाधनों पर कंट्रोल। पिछले 5 साल से लद्दाख में धरना, अनशन और पैदल मार्च चल रहे हैं। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) इस आंदोलन को लीड कर रहे हैं।
24 सितंबर की हिंसा: शांत प्रदर्शन कैसे उग्र हुआ?
10 सितंबर से लेह में भूख हड़ताल चल रही थी। 23 सितंबर को अनशन पर बैठे दो लोगों की तबीयत बिगड़ी, जिससे युवाओं में गुस्सा भड़क गया। अगले दिन हजारों युवा सड़कों पर उतरे, काउंसिल ऑफिस की ओर मार्च किया। सुरक्षाबलों ने रोकने की कोशिश की, तो झड़प शुरू हो गई।
प्रदर्शनकारियों ने BJP ऑफिस में आग लगाई, वाहनों को जला दिया। पुलिस ने आंसू गैस और कथित तौर पर फायरिंग की, जिससे 4 मौतें हुईं: त्सेवांग थारचिन (46), स्टानजिन नामग्याल (24), जिगमेत दोरजय (25) और रिनचेन ददुल (21)। DGP एसडी सिंह जमवाल ने कहा कि 15 गंभीर रूप से घायल हैं, जिसमें पुलिसकर्मी भी शामिल। लेह में कर्फ्यू लगा है, और धारा 162 के तहत पाबंदी।
सोनम वांगचुक का पक्ष: बलि का बकरा बनाया जा रहा हूं
सोनम वांगचुक आंदोलन का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने कहा कि 5 साल से शांतिपूर्ण रास्ता अपनाया, लेकिन युवाओं की बेरोजगारी और मांगों की अनदेखी से गुस्सा फूटा। सरकार ने उन्हें हिंसा का जिम्मेदार ठहराया और उनके NGO SECMOL का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया। CBI ने HIAL और SECMOL की जांच शुरू की, विदेशी फंडिंग के आरोप में। वांगचुक बोले, “मुझे बलि का बकरा बनाया जा रहा है, इससे हालात सुधरेंगे नहीं।” वे कहते हैं कि संस्थाएं विदेशी चंदे पर निर्भर नहीं, बल्कि बच्चों को मुफ्त शिक्षा देती हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया: बातचीत शुरू, लेकिन सख्ती भी
25 सितंबर को गृह मंत्रालय के अधिकारी लेह पहुंचे, और LAB-KDA से बातचीत होगी। नित्यानंद राय की हाई पावर्ड कमेटी मांगों पर चर्चा कर रही है। कुछ नौकरियों में आरक्षण माना गया, लेकिन राज्य दर्जा और 6वीं अनुसूची पर अब तक कोई प्रगति नहीं। विपक्ष ने सरकार पर दमन का आरोप लगाया, जबकि केंद्र ने विदेशी हाथ का शक जताया। लेह में 50 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुईं, और जांच जारी है।
युवाओं का गुस्सा: GenZ क्रांति या बेरोजगारी का दर्द?
प्रदर्शन में ज्यादातर 18-22 साल के युवा थे, जो बेरोजगारी से त्रस्त हैं। सीनियर जर्नलिस्ट तसेवांग रिग्जिन कहते हैं कि अनशनकारियों की तबीयत बिगड़ने से गुस्सा भड़का।
LAB के लीगल एडवाइजर मुस्तफा हाजी हैदर ने कहा कि 5 साल से शांतिपूर्ण थे, लेकिन फायरिंग की उम्मीद नहीं थी। आंदोलनकारी चाहते हैं कि मुद्दों का समाधान हो, न कि और गिरफ्तारियां। सोशल मीडिया पर #LadakhProtest ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग सरकार से जवाब मांग रहे हैं।
लद्दाख का आंदोलन अब बातचीत की मेज पर है, लेकिन युवाओं का सब्र टूट रहा है। क्या सरकार मांगें मानेगी या हालात और बिगड़ेंगे? ताजा अपडेट्स के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।