पब्लिशर: Smart Khabari News Desk | प्रकाशन तिथि: 03 जून 2025
“जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसा चल रहा था, उसी समय मेरी शादी हुई!” – खान सर
यह बयान पटना के मशहूर शिक्षक और यूट्यूब सेंसेशन खान सर (असली नाम: फैजल खान) का है, जिन्होंने अपनी शादी की खबर अपने ही अनोखे अंदाज में कक्षा में पढ़ाते हुए छात्रों को सुनाई । मई 2025 की शुरुआत में हुई यह शादी जानबूझकर गुप्त रखी गई, लेकिन अब इसके पीछे की कहानी देशभर में सुर्खियाँ बटोर रही है।
1. खान सर की शादी का खुलासा शादी कब हुआ?
- माहौल: एक सामान्य क्लास के दौरान जब खान सर ने यह बात कही, तो पूरा कमरा तालियों और खुशी के शोर से गूँज उठा। छात्रों के उत्साह के कारण उन्हें कुछ देर के लिए रुकना पड़ा ।
- भावनात्मक पल: उन्होंने बताया कि देश में तनाव के चलते उन्होंने शादी को गोपनीय रखा, क्योंकि वह “ऐसे माहौल में धूमधाम को अनुचित मानते थे” ।
2. जानिए, “क्यों छिपाई गई शादी?“
- तनाव का दौर: भारत-पाकिस्तान सीमा पर सैन्य टकराव के बीच मई की शुरुआत में यह विवाह हुआ। खान सर ने कहा, “मैं शादी स्थगित कर बॉर्डर पर जवानों की मदद करना चाहता था, लेकिन माता-पिता की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचा सकता था” ।
- गुप्त समारोह: उन्होंने विवाह केवल परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में बिना किसी निमंत्रण के किया, क्योंकि देश की स्थिति को देखकर उन्हें लगा कि यह समय उत्सव मनाने का नहीं है ।
3. वो एक शर्त: “बिना निमंत्रण के होगी शादी!”
खान सर ने माता-पिता से स्पष्ट किया कि वे शादी तभी करेंगे जब दो शर्तें पूरी हों:
- कोई आमंत्रण नहीं: किसी भी मेहमान को न बुलाया जाए, न ही कोई भव्य समारोह आयोजित किया जाए ।
- छात्रों को प्राथमिकता: उनका तर्क था—”मेरी पहचान छात्रों से है। कोई भी आयोजन तब तक अधूरा है जब तक वे इसमें शामिल न हों” ।
4. छात्रों के लिए खास दावत: 6 जून का वादा!
तनाव कम होने के बाद खान सर ने छात्रों से किया वादा निभाया:
- तारीख: 6 जून 2025 को पटना में भव्य दावत का आयोजन ।
- रिसेप्शन: इससे पहले, 2 जून को पारंपरिक ‘बौ भात’ समारोह हुआ, जहाँ पहली बार उनकी पत्नी सार्वजनिक रूप से नजर आईं ।
शादी समारोह की तैयारी तालिका:
इवेंट | तारीख | स्थान | विशेष आकर्षण |
---|---|---|---|
बौ भात (रिसेप्शन) | 2 जून 2025 | पटना | पत्नी A.S. खान की पहली सार्वजनिक उपस्थिति |
छात्र दावत | 6 जून 2025 | पटना | विशेष भोज और छात्रों के साथ इंटरैक्शन |
5. रहस्यमय दुल्हन: कौन हैं A.S. खान?
- पहली झलक: 2 जून के रिसेप्शन में खान सर की पत्नी ने लाल कढ़ाईदार लहंगा और पारंपरिक घूँघट पहना था। तस्वीरों में वह शालीन और गरिमामय नजर आईं ।
- पृष्ठभूमि: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनका नाम A.S. खान है और वह बिहार के सीवान जिले की रहने वाली हैं। उन्होंने ICSE बोर्ड से शिक्षा प्राप्त की है और उनका व्यक्तित्व शांत व विनम्र बताया गया है ।
- गोपनीयता: खान सर ने जानबूझकर उनके बारे में विवरण सार्वजनिक नहीं किए, यह कहते हुए कि “मेरा फोकस छात्रों पर है” ।
6. सोशल मीडिया सनसनी: बधाई से लेकर विवाद तक!
- वायरल खुशी: शादी की खबर फैलते ही ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #KhanSirWedding ट्रेंड करने लगा। छात्रों और प्रशंसकों ने रचनात्मक मेम्स और संदेशों से बधाईयाँ भेजीं ।
- विवाद: कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने ट्रोलिंग की, जैसे कि “शादी में गोमांस परोसने का डर” । हालाँकि, खान सर ने इन टिप्पणियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
7. खान सर का सफर: गरीबी से सफलता तक

- व्यक्तिगत संघर्ष: फैजल खान (खान सर) गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में लंबा समय बिताया। उनके पिता सेना में थे और आर्थिक तंगी के बावजूद, उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भूगोल में एमए किया ।
- शिक्षा की जगाई अलख: 2010 में छोटे स्तर पर कोचिंग शुरू की, जो कोविड के दौरान यूट्यूब चैनल “खान जीएस रिसर्च सेंटर” (24 मिलियन सब्सक्राइबर्स) में बदल गया। उनकी किफायती फीस (कभी ₹200) ने गरीब छात्रों को शिक्षा दिलाई ।
- विरासत: आज उनके कोचिंग सेंटर दिल्ली, प्रयागराज और देहरादून में हैं, जहाँ वे जटिल विषयों को सरल भाषा में पढ़ाते हैं ।
8. भविष्य की योजनाएँ: खान सर की शादी के बाद क्या?
- छात्रों पर ध्यान: खान सर ने स्पष्ट किया कि वे अपनी पत्नी के साथ निजी जीवन को प्राइवेट रखेंगे और शिक्षा पर फोकस जारी रखेंगे ।
- सामाजिक प्रतिबद्धता: वे सेना के प्रति समर्थन और युवाओं के लिए शैक्षिक पहल जैसे मुद्दों पर सक्रिय रहने की योजना बना रहे हैं ।
खान सर: प्रेरणादायक अध्याय
खान सर की शादी न केवल एक व्यक्तिगत घटना है, बल्कि देशभक्ति, छात्र-प्रेम और सादगी का प्रतीक है। “मेरी शादी की शर्त मेरी पहचान का हिस्सा है” —यह कथन उनके चरित्र को दर्शाता है। जहाँ एक ओर उन्होंने राष्ट्रहित को व्यक्तिगत उत्सव पर प्राथमिकता दी, वहीं दूसरी ओर छात्रों के प्रति उनका समर्पण उनकी सफलता का मूलमंत्र बना हुआ है। 6 जून की दावत उनके इसी विश्वास की परिणति होगी।
“मैं नहीं चाहता था कि ऐसा कोई आयोजन हो जहाँ मेरे छात्र न हों।” — खान सर ।