मध्य पूर्व की धरती पर महायुद्ध के सायरन बज उठे हैं। इज़राइल के लड़ाकू विमानों ने ईरान के सबसे सुरक्षित और खुफिया परमाणु ठिकानों को तहस-नहस कर दिया, जिससे जुड़ी हर खबर इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी Israel Iran Nuclear News बनी हुई है। यह सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि दशकों की दुश्मनी का वो विस्फोटक मोड़ है जिसका डर पूरी दुनिया को था।
इस हमले से बौखलाए ईरान ने भी पलटवार में देर नहीं की और 100 से ज्यादा ‘सुसाइड’ ड्रोन का जखीरा इज़राइल की ओर रवाना कर दिया है, जिससे आसमान में तनाव और ज़मीन पर दहशत का माहौल है।
अल जज़ीरा और द गार्डियन जैसे अंतरराष्ट्रीय पोर्टलों की लाइव रिपोर्टिंग के अनुसार, यह सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं, बल्कि एक ऐसी चिंगारी है जो पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले सकती है।
Israel Iran Nuclear News: इस हमले ने कैसे दुनिया को परमाणु युद्ध के मुहाने पर ला दिया?
यह हमला किसी सामान्य सैन्य ठिकाने पर नहीं हुआ है। NDTV और इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट्स के अनुसार, इज़राइल के 200 लड़ाकू विमानों के बेड़े ने ईरान के उन ठिकानों को निशाना बनाया है जहाँ ईरान का परमाणु कार्यक्रम आकार ले रहा था।
यह सिर्फ़ ईरान की सैन्य क्षमता पर नहीं, बल्कि उसकी सबसे बड़ी महत्वाकांक्षा और भविष्य के सबसे खतरनाक हथियार पर सीधा प्रहार है।
हमले में ईरान के दो शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों, मोहम्मद मेहदी तेहरांची और फरदून अब्बासी, के साथ-_साथ IRGC के कमांडर हुसैन सलामी की मौत की खबरों ने इस संकट को और गहरा दिया है।
ये वैज्ञानिक ईरान के परमाणु कार्यक्रम के स्तंभ थे। उनकी मौत से ईरान को न सिर्फ तकनीकी रूप से दशकों पीछे धकेल दिया गया है, बल्कि यह ईरान के लिए एक ऐसा अपमान है जिसे वह नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता।
इस हमले ने एक अलिखित नियम को तोड़ा है। अब तक, देशों के बीच संघर्ष में परमाणु ठिकानों पर सीधे हमले से बचा जाता था क्योंकि इससे रेडियोएक्टिव लीक का खतरा रहता है और यह एक ऐसे खतरनाक चक्र को जन्म दे सकता है जिसका अंत परमाणु युद्ध में होता है।
इज़राइल ने यह जोखिम उठाकर यह संदेश दिया है कि वह ईरान को परमाणु शक्ति बनने से रोकने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, भले ही इसका अंजाम एक क्षेत्रीय महायुद्ध क्यों न हो।
ऑपरेशन ‘राइजिंग लायन’: ईरान के अंदर ही रचा गया हमले का चक्रव्यूह
टाइम्स ऑफ इज़राइल ने एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के हवाले से इस हमले की जो जानकारी दी है, वह किसी हॉलीवुड फिल्म की स्क्रिप्ट जैसी लगती है। यह हमला सिर्फ लड़ाकू विमानों से नहीं हुआ, बल्कि इसकी नींव महीनों पहले ईरान की धरती के अंदर ही रखी गई थी।
इज़राइली खुफिया एजेंसी मोसाद और सेना (IDF) ने मिलकर एक अविश्वसनीय प्लान बनाया। मोसाद के एजेंटों ने ईरान के अंदर ही, तेहरान के पास, एक गुप्त ड्रोन बेस तैयार किया। रातों-रात वहाँ ड्रोन असेंबल किए गए और उन्हीं ड्रोनों से सबसे पहले ईरान के उन मिसाइल लॉन्चर्स को निशाना बनाया गया जो इज़राइल की ओर तैनात थे।
इसके साथ ही, हथियारों से लदे वाहन चोरी-छिपे ईरान में दाखिल हुए, जिन्होंने ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम को ध्वस्त कर दिया।
इसी वजह से इज़राइली लड़ाकू विमान बिना किसी रोक-टोक के ईरान के आसमान पर हावी हो गए और अपने मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस पूरे ऑपरेशन को इतना गुप्त रखा गया कि ईरानी खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
इजराइल में आपातकाल: खाली हो रहे एयरपोर्ट, अस्पताल अंडरग्राउंड शिफ्ट
ईरान के जवाबी हमले की गंभीरता को देखते हुए इज़राइल ने अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। देश की दो सबसे बड़ी एयरलाइंस, एल अल और अर्किया, ने अपने सभी विमानों को बिना यात्रियों के देश से बाहर सुरक्षित स्थानों पर भेजना शुरू कर दिया है। तेल अवीव का बेन गुरियन एयरपोर्ट अगली सूचना तक बंद है।
इसके अलावा, सभी बड़े अस्पतालों को उनके अंडरग्राउंड बंकरों और केंद्रों में शिफ्ट कर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने नागरिकों को केवल जानलेवा स्थिति में ही अस्पताल आने की सलाह दी है और लोगों से घरों में रहने का आग्रह किया है। ये कदम इस बात का संकेत हैं कि इज़राइल एक लंबे और विनाशकारी युद्ध के लिए खुद को तैयार कर रहा है।
अमेरिका ने खुद को किया अलग
Israel Iran Nuclear News पर InvestBuddy ने लिखा है कि, ‘अमेरिकी अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इज़राइल ने हमले से ठीक पहले अमेरिका को इसकी सूचना दी थी।
हालांकि, व्हाइट हाउस ने स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिकी सेना इस ऑपरेशन में किसी भी तरह से शामिल नहीं है। यह बयान अमेरिका द्वारा इस संघर्ष से खुद को दूर रखने और तनाव को और बढ़ने से रोकने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।’
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