नई दिल्ली, 24 अप्रैल: पहलगाम हमले के बाद सुर्खियों में आये शिमला समझौता जो 1972 में हुआ था। वही 1960 की सिंधु जल संधि के बारे मे डिटेल्स में इस लेख में जानेंगे। जानें कैसे पहलगाम आतंकी हमले के बाद ये दोनों समझौते चर्चा में हैं और भारत-पाकिस्तान संबंधों पर इनका क्या प्रभाव पड़ेगा।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान संबंध एक बार फिर तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। इस हमले के जवाब में भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जिसके प्रतिक्रिया स्वरूप पाकिस्तान ने शिमला समझौते को रद्द करने की धमकी दी है।
यह लेख इन दोनों ऐतिहासिक समझौतों – शिमला समझौता और सिंधु जल संधि – के इतिहास, महत्व और वर्तमान संदर्भ में इनकी प्रासंगिकता को विस्तार से समझाएगा।
शिमला समझौता: इतिहास और महत्व
शिमला समझौता कब और क्यों हुआ?
शिमला समझौता 2 जुलाई 1972 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था। यह समझौता 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद हुआ था, जिसमें भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी और बांग्लादेश का उदय हुआ था।
इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के 93,000 से अधिक सैनिकों को बंदी बना लिया था और पाकिस्तान के लगभग 5,000 वर्ग मील क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था ।
इस समझौते पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे।
समझौते का मुख्य उद्देश्य युद्ध के बाद उत्पन्न मुद्दों, जैसे युद्धबंदियों की वापसी, कब्जाए गए क्षेत्रों का आदान-प्रदान और कश्मीर विवाद को संबोधित करना था ।
शिमला समझौते के प्रमुख प्रावधान
1. द्विपक्षीय समाधान का सिद्धांत: समझौते का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान यह था कि भारत और पाकिस्तान अपने सभी विवादों, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर से संबंधित मुद्दों, को द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से हल करेंगे ।
2. नियंत्रण रेखा (LoC) का सम्मान: समझौते में यह तय हुआ कि 17 दिसंबर 1971 को युद्धविराम के बाद स्थापित नियंत्रण रेखा को दोनों देश सम्मान करेंगे। इसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LoC) के रूप में मान्यता दी गई ।
3. क्षेत्रों की वापसी और युद्धबंदियों का आदान-प्रदान: भारत ने युद्ध में कब्जाए गए पश्चिमी पाकिस्तान के क्षेत्रों को वापस करने और 90,000 पाकिस्तानी युद्धबंदियों को रिहा करने पर सहमति जताई ।
4. शांति और सहयोग को बढ़ावा: दोनों देशों ने एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने का वचन दिया ।
शिमला समझौते से किसे अधिक फायदा हुआ?
वस्तुतः शिमला समझौते से भारत को अधिक रणनीतिक लाभ हुआ। इस समझौते ने कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों से हटाकर द्विपक्षीय स्तर पर लाने में भारत को महत्वपूर्ण सफलता दिलाई। इससे भारत ने यह सुनिश्चित किया कि कश्मीर पर कोई तीसरा पक्ष, जैसे संयुक्त राष्ट्र या कोई अन्य देश, हस्तक्षेप नहीं करेगा ।
हालांकि, पाकिस्तान ने बाद में बार-बार इस समझौते का उल्लंघन किया, विशेषकर 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान और कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाकर।
शिमला समझौता रद्द होने के संभावित परिणाम
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान ने शिमला समझौते को रद्द करने की धमकी दी है। यदि यह समझौता वास्तव में रद्द हो जाता है, तो इसके निम्नलिखित परिणाम हो सकते हैं:
भारत के लिए संभावित प्रभाव
- कश्मीर मुद्दे पर स्वतंत्रता: भारत कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा सकता है और अपनी नीतियों में अधिक लचीलापन दिखा सकता है ।
- रणनीतिक लाभ: भारत पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के विकल्पों पर विचार कर सकता है ।
- अंतरराष्ट्रीय समर्थन: पाकिस्तान द्वारा समझौता तोड़ने से भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल सकता है ।
पाकिस्तान के लिए संभावित प्रभाव
- अंतरराष्ट्रीय अलगाव: पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग किया जा सकता है ।
- रणनीतिक हानि: कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय रखने का आधार खोने से पाकिस्तान को रणनीतिक नुकसान हो सकता है ।
- सैन्य दबाव: भारत पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के विकल्पों पर विचार कर सकता है।
शिमला समझौता पर विकिपीडिया आलोचना के लहजे में लिखता है कि, ‘शिमला समझौता तो एक प्रकार से पाकिस्तान के सामने भारत का समर्पण था क्योंकि भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान के जिन प्रदेशों पर अधिकार किया था अब उन्हें छोड़ना पड़ा।
सिंधु जल संधि: इतिहास और महत्व
सिंधु जल संधि कब और क्यों हुई?
सिंधु जल संधि 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी। यह संधि सिंधु नदी प्रणाली के जल के उपयोग और बंटवारे से संबंधित है ।
संधि के प्रमुख प्रावधान
- नदियों का बंटवारा: संधि के तहत पूर्वी नदियों- सतलज, ब्यास और रावी का पानी भारत को आवंटित किया गया, जबकि पश्चिमी नदियां सिंधु, झेलम और चिनाब पाकिस्तान को सौंपी गईं ।
- जल उपयोग: भारत को पश्चिमी नदियों के जल का सीमित उपयोग करने की अनुमति दी गई, मुख्यतः सिंचाई, पनबिजली और भंडारण के लिए ।
सिंधु जल संधि से किसे अधिक फायदा हुआ?
सिंधु जल संधि से पाकिस्तान को अधिक लाभ हुआ है, क्योंकि उसे सिंधु नदी प्रणाली के अधिकांश जल संसाधनों का उपयोग करने का अधिकार मिला। पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था इस जल पर बहुत अधिक निर्भर है ।
पहलगाम हमले के बाद की स्थिति
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत हो गई। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए:
- सिंधु जल संधि का निलंबन: भारत ने सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया ।
- पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: पाकिस्तान ने इसके जवाब में शिमला समझौते को निलंबित करने की घोषणा की है।
- अन्य प्रतिबंध: पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी व्यापार रोक दिया है और भारतीय एयरलाइंस के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है ।
सिंधु जल संधि पर विकिपीडिया वेबसाइट पर जोर देकर लिखा गया है कि, “सिंधु जल समझौता के प्रावधानों के अनुसार सिंधु नदी के कुल पानी का केवल 20% का उपयोग भारत द्वारा किया जा सकता है।”
मालूम हो कि, यह समझौता जिस समय हुआ वह बहुत मायने रखता है क्योंकि उस समय दोनो देशो के दरम्यान रिश्ते ठीक-ठाक हो गए थे।
लेकिन यह स्थिति ज्यादा दिन तक नही रही और पाकिस्तान नित्य नए हथकंडे भारत को बदनाम करने के लिए उठाता रहा।
विकिपीडिया लिखता है कि, “1965 के बाद से पाकिस्तान भारत के खिलाफ हिंसा पर इस कदर उतारू है कि इसके लिए रोज विकल्प तलाशा है।
जिसका परिणाम यह हुआ कि वर्ष 1965 में दोनों देशों के बीच जंग हुई। जिसमे पाकिस्तान की बुरी तरह हार हुई। लेकिन बेलगाम हुआ पाकिस्तान अपनी इन हरकतों से बाज नही आया और 1971में एक बार फिर भारत के खिलाफ युद्ध करने के लिए उतारू हो गया।
लेकिन पाकिस्तान को इस युद्ध मे भारी नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि इस युद्ध मे भारत ने पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया कि वह भूगोल ही बदल गया।
दरअसल इस युद्ध मे पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए। पाकिस्तान से अलग हुआ दूसरे हिस्से को बांग्लादेश के रूप में मान्यता मिली। लेकिन पाकिस्तान आज भी अपनी हरकतों से बाज नही आ रहा है।
अभी तो केवल भारत ने सिंधु जल समझौता को अस्थायी रूप से बन्द किया है। जिसका असर पाकिस्तान के शेयर बाज़ार पर भी दिखाई दिया। बता दे, पाकिस्तान का बाज़ार पलभर में ही 2500 पॉइंट गिर गया।
पाकिस्तान का स्टॉक मार्केट जिस कदर गिरा है उससे तो यही लगता है कि अगर भारत ने इस समझौते को स्थायी रूप से तोड़ दिया तो पाकिस्तान में मंदी आना तय है।
पाकिस्तान अगर भारत के साथ ऐसी ही साजिश करता रहा तो हो सकता है भारत किसी भी समय सिंधु जल समझौता पूरी तरह खत्म कर दे।
सिंधु जल समझौता रद्द करना भारत के लिए फायदे का सौदा हो सकता है क्योंकि भारत इस समझौते को तोड़ कर पूरे पानी का इस्तेमाल सिंचाई विद्युत बनाने में जल संचय करने में कर सकता है। जिससे भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। वही पाकिस्तान के लिए यह किसी बड़ी मंडी से कम नही होंगा।
अंतिम शब्द
शिमला समझौता और सिंधु जल संधि भारत-पाकिस्तान संबंधों के दो महत्वपूर्ण आधार स्तंभ रहे हैं। पहलगाम हमले के बाद इन समझौतों पर उठे सवाल दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकते हैं।
जहां शिमला समझौते ने पिछले पांच दशकों से कश्मीर विवाद को द्विपक्षीय स्तर पर सीमित रखा है, वहीं सिंधु जल संधि ने दोनों देशों के बीच जल बंटवारे को लेकर होने वाले संघर्षों को रोका है। इन समझौतों के अस्थिर होने से क्षेत्र में शांति और स्थिरता को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।