EVM पर सवालों की आँधियाँ: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे सामने आते ही बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर EVM पर सवालों की आँधियाँ उठ गई हैं। सोशल मीडिया पर विरोधी नेताओं और आम लोगों ने इसे चुनाव आयोग की “नियंत्रित जीत” कहा है।
एनडीए की भारी बढ़त — नतीजे और लोगों की प्रतिक्रिया
14 नवंबर की मतगणना में NDA ने 200 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाई, जिससे उसकी प्रचंड जीत की तस्वीर साफ दिखी है। विपक्षी महागठबंधन इस बड़े अंतर से न केवल हैरान है, बल्कि कई हलकों में यह दावा उठाया जा रहा है कि परिणाम “संभावित गड़बड़ी” के बिना इतने व्यापक क्यों आए।
सोशल मीडिया में विपक्ष के प्रदर्शन और मत-चोरी की चर्चाएं तेज़ हैं। कुछ लोगों ने इसे “चुनाव आयोग की जीत” कहा है — क्योंकि इस स्तर की भारी जीत किसी को पहले से अंदाजा नहीं था।
EVM-गिनती और चुनाव आयोग पर आरोप
EVM सुरक्षा का दावा, लेकिन शंका बने सवाल
चुनाव आयोग ने मतगणना से पहले EVM स्ट्रांग रूम में कड़े सुरक्षा इंतजामों की बात कही थी। पटना के ए एन कॉलेज सहित अन्य केंद्रों में EVM मशीनों को पूरी पारदर्शिता के साथ स्टोर किया गया, अधिकारियों ने कहा कि गिनती पर्यवेक्षक, माइक्रो-ऑब्जर्वर और एजेंट सभी मौजूद रहेंगे।
लेकिन इसके बावजूद सोशल प्लेटफॉर्म्स पर शिकायतें बढ़ीं हैं। कुछ यूज़र ने दावा किया है कि गिनती केंद्रों के आसपास संदिग्ध वाहनों की गतिविधि देखी गई।
“बिहार के रोहतास में EVM ट्रक पर बड़ा विवाद … आधी रात को बिना सूचना मतगणना केंद्र में दाखिल हुआ”
H3: वोट चोरी और SIR मुद्दे
महागठबंधन और कुछ विपक्षी नेताओं ने वोट चोरी (vote chori) का आरोप लगाया है। इसके अलावा, पिछले Special Intensive Revision (SIR) अभ्यास में नामों की कटौती पर भी बहस उठी है — विपक्ष का कहना है कि इस प्रक्रिया में कुछ समुदायों की हिस्सेदारी को सीमित किया गया।
एक अन्य Reddit यूज़र ने दावा किया कि निर्वाचन आयोग द्वारा वॉटर-टाइट डायरोन बॉक्स (strong room container) का निरीक्षण पर्याप्त नहीं रहा:
“Without किसी आधिकारिक सूचना के एक ट्रक मतगणना केंद्र में दाखिल हुआ, जिसमें EVM मशीनें लदी हुई थीं … CCTV बंद मिलने की बात भी कही गई है।”
चुनाव आयोग की सफाई और पक्षधर दलीलें
चुनाव आयोग ने प्रेस में डराने-वाली खबरों को खारिज किया है और कहा है कि सभी गिनती केंद्रों पर पर्यवेक्षकों, माइक्रो-ऑब्जर्वरों और एजेंटों की मौजूदगी सुनिश्चित की गई थी।
निर्वाचन अधिकारियों ने यह भी बताया कि 4,372 काउंटिंग टेबल हैं और हर टेबल पर एक काउंटिंग पर्यवेक्षक, सहायक और माइक्रो-ऑब्जर्वर तैनात हैं।
कुछ चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि NDA की मजबूत संगठन शक्ति, जातीय समीकरण और वोटिंग टर्नआउट (66.91%) जैसी कारक मिलकर इस जीत को संभव बना सकते थे — और यह जरूरी नहीं कि “नियंत्रित गिनती” का नतीजा हो।
आम नागरिकों की नाराज़गी और सोशल मीडिया का गुस्सा
सोशल मीडिया यूज़र्स में यह झुंझलाहट साफ दिख रही है — कुछ बोले कि यह जीत “मज़बूत जनादेश” है, तो कुछ को शक है कि यह आयोग या मशीनों द्वारा आकार दी गई है।
Reddit पर एक यूज़र ने लिखा:
“जब हारता है, तो वोटो चोरी और EVM हैक की बात होती है … जब जीतता है, तो सिर्फ जनसमर्थन।”
दूसरे यूज़र ने कहा कि यह Structural Decimation है — सिर्फ हार नहीं, बल्कि विपक्ष की पूरी नाकामी:
“243 में साथ 206+ सीटें मिलना कोई सामान्य जीत नहीं है … एक ऐसा जनादेश नहीं है, जिसे सिर्फ वोटरों की पसंद से समझा जाए।”
सीधा संदेश
नतीजे साफ़ दिखा रहे हैं — बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में NDA ने न सिर्फ बहुमत हासिल किया है, बल्कि राजनीतिक परिदृश्य में भारी बदलाव की झलक भी दी है। मगर, इस जीत के साथ उठे EVM और चुनाव आयोग को लेकर सवाल — खासकर सोशल मीडिया और विपक्षी नेताओं में — लोकतंत्र की उस परत को उजागर करते हैं जहां विश्वास और पारदर्शिता अब चुनौती बन गए हैं।