सीपी राधाकृष्णन बने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति, NDA उम्मीदवार ने 152 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।
नई दिल्ली, 09 सितम्बर: एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन मंगलवार (9 सितंबर, 2025) को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए। उन्होंने विपक्ष के इंडिया गठबंधन के साझा उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से हराया। राज्यसभा के सचिव जनरल पीसी मोदी ने घोषणा की कि राधाकृष्णन को प्रथम वरीयता के 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए। यह चुनाव पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से 21 जुलाई, 2025 को इस्तीफा देने के बाद कराया गया था।
चुनाव परिणाम का विस्तृत विश्लेषण
- कुल मतदान: 767 सांसदों ने वोट डाला, जिनमें से 752 वोट वैध रहे और 15 अमान्य घोषित किए गए ।
- जीत का अंतर: राधाकृष्णन ने 152 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की, जो 2022 के चुनाव (146 वोटों के अंतर) से अधिक है ।
- क्रॉस वोटिंग: भाजपा ने दावा किया कि विपक्षी दलों के 14 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग कर एनडीए उम्मीदवार को वोट दिया ।
- अमान्य वोट: कुल वोटों का लगभग 2% (15 वोट) अमान्य रहा, जो 2022 के चुनाव (11 अमान्य वोट) से अधिक है ।
राजनीतिक दलों का प्रदर्शन
- एनडीए का समर्थन: एनडीए के अपने 427 सांसदों के अलावा YSRCP के 11 सांसदों ने राधाकृष्णन को वोट दिया। इस तरह उन्हें कुल 438 वोट मिलने का अनुमान था, लेकिन क्रॉस वोटिंग के कारण यह संख्या 452 तक पहुँच गई ।
- इंडिया गठबंधन: इंडिया गठबंधन के 315 सांसदों में से केवल 300 ने ही रेड्डी को वोट दिया। 15 वोटों की कमी का कारण क्रॉस वोटिंग और अमान्य वोट रहा ।
- तटस्थ दल: BRS (4 सांसद), BJD (7 सांसद) और अकाली दल (1 सांसद) ने मतदान से किनारा कर लिया, जिससे इंडिया गठबंधन को नुकसान हुआ ।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
- कांग्रेस का रुख: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि भाजपा की “अंकों में जीत” हुई है, लेकिन यह उनकी “नैतिक और राजनीतिक हार” है। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष एकजुट रहा और उसने 2022 (26% वोट) की तुलना में बेहतर प्रदर्शन (40% वोट) किया ।
- सुदर्शन रेड्डी की प्रतिक्रिया: रेड्डी ने परिणाम “विनम्रतापूर्वक स्वीकार” किया और कहा कि “लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अटूट विश्वास” बनाए रखेंगे। उन्होंने राधाकृष्णन को शुभकामनाएं दीं ।
- कांग्रेस अध्यक्ष का बयान: मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह “विचारधारा की लड़ाई” थी और उम्मीद जताई कि नए उपराष्ट्रपति “संसदीय परंपराओं के मूल्यों को बनाए रखेंगे” ।
आगे की राह: शपथ ग्रहण और चुनौतियाँ
राधाकृष्णन 11 अगस्त, 2025 को उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। उनके सामने प्रमुख चुनौतियाँ होंगी:
- राज्यसभा की अध्यक्षता: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करते हैं और सदन की कार्यवाही को निष्पक्ष रूप से चलाने की जिम्मेदारी होती है।
- विपक्ष के साथ संबंध: विपक्ष द्वारा “समान स्थान और सम्मान” की मांग के बीच, राधाकृष्णन को सत्ता और विपक्ष के बीच संतुलन बनाना होगा।
- वैचारिक तनाव: कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि “वैचारिक लड़ाई जारी” रहेगी, जिससे संसदीय कार्यवाही में तनाव बना रह सकता है ।
“यह चुनाव विचारधारा की लड़ाई थी। विपक्ष एकजुट रहा और हमारा प्रदर्शन सम्मानजनक रहा” – जयराम रमेश, कांग्रेस महासचिव