काठमांड, 10 सितम्बर: नेपाल इन दिनों अपने इतिहास के सबसे बड़े राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुए युवाओं के आंदोलन ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को इस्तीफे पर मजबूर कर दिया। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि देश की बागडोर किसके हाथों में होगी? इस आंदोलन के बीच 6 ऐसे चेहरे सामने आए हैं, जिनके अंतरिम प्रधानमंत्री बनने की चर्चा हो रही है। आइये जानते हैं इनके बारे में विस्तार से…
क्यों भड़का था आंदोलन? | अंतरिम PM पद के दावेदार
नेपाल में यह आंदोलन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ, लेकिन जल्दी ही यह भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और बेरोजगारी के खिलाफ एक जनआक्रोश में बदल गया। सुरक्षा बलों की हिंसक कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हुए। इसके बाद प्रधानमंत्री ओली को इस्तीफा देना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र ने शांति और संयम बरतने की अपील की है।
अंतरिम PM पद के 6 प्रमुख दावेदार | अंतरिम PM पद के दावेदार
1. बालेन्द्र शाह (बालेन) – रैपर से राजनेता बना युवा आइकन
- पृष्ठभूमि: काठमांडू के मौजूदा मेयर बालेन्द्र शाह उर्फ बालेन एक समय नेपाल के अंडरग्राउंड हिप-हॉप सीन का हिस्सा हुआ करते थे। उन्होंने कर्नाटक के विश्वेश्वरय्या टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में एमटेक किया है।
- राजनीतिक सफर: 2022 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और काठमांडू के मेयर बने। उनकी इस जीत को ‘बालेन इफेक्ट’ का नाम दिया गया। उन्होंने 2023 में टाइम मैगजीन की दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में जगह बनाई।
- विरोधाभास: बालेन को भारत-विरोधी माना जाता है। उन्होंने अपने कार्यालय में ग्रेटर नेपाल का नक्शा लगाया था और बॉलीवुड फिल्मों पर प्रतिबंध लगाया था।
- लोकप्रियता: युवाओं के बीच उनकी अपार लोकप्रियता है और सोशल मीडिया पर उन्हें अगला प्रधानमंत्री बनाने की मांग तेज हो रही है।
2. सुशीला कार्की – भ्रष्टाचार विरोधी बुलंद आवाज
- पृष्ठभूमि: सुशीला कार्की ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के रूप में की और बाद में वह नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं।
- विवाद: 2017 में उन पर संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया। आरोप था कि वह फैसलों में राजनीतिक दबाव के खिलाफ खड़ी हो रही हैं। इसके बाद सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए और सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में आदेश दिया।
- वर्तमान: रिटायरमेंट के बाद से वह सरकार के खिलाफ आंदोलनों में सक्रिय रही हैं और अब उन्हें प्रधानमंत्री पद की सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है।
3. रबि लामिछाने – जेल से सीधे सत्ता तक का सफर
- पृष्ठभूमि: रबि लामिछाने पहले एक टीवी पत्रकार थे और भ्रष्ट नेताओं से सीधे सवाल पूछने के लिए मशहूर थे। उन्होंने 2013 में 62 घंटे लगातार टॉक शो चलाकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था।
- राजनीतिक सफर: 2022 में उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी बनाई और चुनाव में 20 सीटें जीतकर उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री बने।
- विवाद: उन पर नागरिकता, दोहरे पासपोर्ट और सहकारी धोखाधड़ी के मामले में आरोप लगे। अप्रैल 2025 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन हाल के प्रदर्शनों में भीड़ ने उन्हें जेल से आजाद करा लिया।
4. कुलमान घिसिंग – ‘उज्यालो नेपाल’ के अभियंता
- पृष्ठभूमि: कुलमान घिसिंग नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (NEA) के पूर्व प्रमुख हैं। उन्होंने नेपाल में बिजली कटौती की समस्या को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई।
- उपलब्धियां: उनकी लीडरशिप में नेपाल ने 2023-24 में भारत को बिजली निर्यात करना शुरू किया और NEA को पहली बार मुनाफा हुआ।
- विवाद: मार्च 2025 में सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया, क्योंकि उन्होंने उद्योगपतियों का 24 अरब रुपए का बकाया बिजली बिल माफ करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने ‘उज्यालो नेपाल’ अभियान शुरू किया।
5. डॉ. सन्दुक रुइट – ‘दृष्टि के देवता’
- पृष्ठभूमि: डॉ. सन्दुक रुइट एक मशहूर नेत्र सर्जन हैं, जिन्हें ‘गॉड ऑफ साइट’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने छोटे चीरे वाली मोतियाबिंद सर्जरी शुरू की, जिससे खर्च कम हुआ।
- उपलब्धियां: उन्होंने 1994 में तिलगंगा नेत्र विज्ञान संस्थान की स्थापना की, जो हर हफ्ते 2500 मरीजों का इलाज करता है। उन्होंने अपने करियर में 1.8 लाख लोगों की आंखों की रोशनी लौटाई है।
- सम्मान: उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (2006), पद्म श्री (2018) और ईसा पुरस्कार (2023) जैसे प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं।
6. ज्ञानेंद्र शाह – नेपाल के अंतिम राजा
- पृष्ठभूमि: ज्ञानेंद्र शाह नेपाल के अंतिम राजा हैं। वह 1950-51 में महज 3 साल की उम्र में पहली बार राजा बने थे। 2001 में शाही नरसंहार के बाद उन्हें दोबारा गद्दी संभालनी पड़ी।
- वर्तमान: 2008 में नेपाल में राजशाही खत्म हो गई, लेकिन हाल के वर्षों में हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों ने उन्हें प्रतीक बनाकर राजशाही की वापसी की मांग तेज कर दी है। प्रदर्शनों में “राजा आओ, देश बचाओ” के नारे लगते हैं।
तुलनात्मक विश्लेषण
दावेदार | पृष्ठभूमि | मुख्य उपलब्धियां | समर्थन आधार |
---|---|---|---|
बालेन्द्र शाह | इंजीनियर, रैपर, मेयर | काठमांडू में सुधार, युवाओं में लोकप्रियता | जेनरेशन जेड, शहरी मतदाता |
सुशीला कार्की | पूर्व मुख्य न्यायाधीश | न्यायपालिका की स्वतंत्रता की लड़ाई | बुद्धिजीवी, महिला मतदाता |
रबि लामिछाने | पत्रकार, राजनेता | भ्रष्टाचार विरोधी पत्रकारिता | युवा, मीडिया समर्थक |
कुलमान घिसिंग | इंजीनियर, NEA प्रमुख | बिजली संकट का समाधान | तकनीकी विशेषज्ञ, उद्योग जगत |
सन्दुक रुइट | नेत्र सर्जन, परोपकारी | 1.8 लाख मोतियाबिंद ऑपरेशन | अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, सिविल सोसाइटी |
ज्ञानेंद्र शाह | पूर्व राजा | शाही परंपरा का प्रतिनिधित्व | रॉयलिस्ट, हिंदू राष्ट्रवादी |
आगे की राह
नेपाल का राजनीतिक भविष्य इस समय अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र ने भी स्थिति को शांत करने और स्वतंत्र जांच की मांग की है।
नेपाल के संविधान के अनुसार, प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति संसद को सरकार बनाने का आह्वान करते हैं। चूंकि अभी किसी भी पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है, इसलिए संभावना है कि एक अंतरिम सरकार बनाई जाएगी, जिसमें कुछ जेन जेड संगठन भी शामिल हो सकते है।
नेपाल की यह राजनीतिक उथल-पुथल न सिर्फ देश के भविष्य के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। भारत और चीन जैसे पड़ोसी देश नेपाल में हो रहे इन बदलावों पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं।
नोट: यह जानकारी विभिन्न समाचार स्रोतों और सार्वजनिक बयानों पर आधारित है। स्थिति तेजी से बदल रही है और नए updates मिलते रहने की संभावना है।
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