नई दिल्ली (28 जून 2025): अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले “परमाणु युद्ध” को अपनी व्यापारिक धमकी से रोका था। यह मई 2025 में सीजफायर के बाद उनका कम से कम 19वां दावा है, जिसे भारत लगातार खारिज करता आया है। ट्रंप ने नाटो शिखर सम्मेलन में कहा:
“मैंने व्यापार पर फोन कॉल की एक श्रृंखला के साथ इसे समाप्त किया… अगर आप एक-दूसरे से लड़ेंगे, तो हम कोई व्यापार सौदा नहीं करेंगे।”
⏳ ट्रंप के दावों की समयरेखा: कब-कब और कहाँ किया दोहराया?
तारीख | स्थान/घटना | दावे की मुख्य बातें |
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10 मई 2025 | सोशल मीडिया (पहला दावा) | पहली बार सीजफायर का श्रेय लिया, “मैंने संघर्ष रोका” |
25 जून 2025 | नाटो शिखर सम्मेलन (हैग) | “फोन कॉल और व्यापार धमकी से युद्ध रोका”, पीएम मोदी को “ग्रेट जेंटलमैन” बताया |
28 जून 2025 | व्हाइट हाउस, वाशिंगटन | “सभी सौदे रद्द करने का आदेश दिया”, “परमाणु हमले की आशंका थी” |
जून 2025 (बार-बार) | प्रेस वार्ता/सोशल मीडिया | “दोनों नेता मेरे पास फोन करके पूछने लगे—हम क्या करें?” |
🔍 दावे का आधार: “व्यापार की धमकी”
ट्रंप के अनुसार, उन्होंने वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक को निर्देश दिया कि भारत और पाकिस्तान के साथ “सभी सौदे तुरंत रद्द कर दें”। उनका तर्क था:
“वे हमारे साथ व्यापार नहीं कर सकते क्योंकि वे युद्ध कर रहे हैं।”
ट्रंप ने इसे सर्बिया-कोसोवो संघर्ष में अपनाई गई रणनीति बताया, जहाँ उन्होंने समान धमकी देकर युद्ध रोका था ।
व्यापार के लिए देश के सम्मान के साथ समझौता क्यों?
इंडियन नेशनल कांग्रेस ने ट्रम्प के इस बयान का वीडियों “X” पर शेयर किया। साथ ही कांग्रेस ने लिखा कि 20वीं बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प ने भारत-पाकिस्तान वॉर रुकवाने की बात कही।
पार्टी ने अपने हैंडल पर लिखा कि, “ट्रंप ने 20वीं बार कहा कि मैंने वॉर रुकवा दी।”
“मुझे बहुत खुशी है कि मैंने भारत-पाकिस्तान के बीच समझौता कराया। ये समझौता व्यापार की वजह से किया गया” – डोनॉल्ड ट्रम्प
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर पीएम मोदी से सवाल पूछते हुए अपने ट्विटर हैंडल “X” पर लिखा कि, ‘नरेंद्र मोदी ने व्यापार के लिए देश के सम्मान के साथ समझौता क्यों किया?’
🇮🇳🇵🇰 भारत vs पाकिस्तान: प्रतिक्रियाओं में बड़ा अंतर
- भारत का रुख: विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने स्पष्ट किया कि सीजफायर भारत-पाकिस्तान सेनाओं के बीच सीधी बातचीत (DGMO लेवल) का परिणाम था। पीएम मोदी ने ट्रंप से फोन पर कहा: “भारत किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता” ।
- पाकिस्तान का रुख: पाकिस्तानी जनरल्स ने ट्रंप से व्हाइट हाउस में मुलाकात की और उन्हें सीजफायर का श्रेय दिया ।
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💣 क्या वाकई परमाणु युद्ध का खतरा था?
ट्रंप लगातार “परमाणु हमले” की आशंका जता रहे हैं:
“दोनों देश परमाणु ताकत वाले हैं… यह संघर्ष परमाणु युद्ध में बदल सकता था।”
हालाँकि, भारत या पाकिस्तान ने कभी ऐसी कोई धमकी नहीं दी थी।
🎯 राजनीतिक विश्लेषण: क्यों दोहरा रहे हैं ट्रंप?
- चुनावी रणनीति: 2024 के अमेरिकी चुनावों से पहले अंतरराष्ट्रीय संकटों में “मध्यस्थ” की छवि बनाना।
- व्यापारिक दबाव: भारत के साथ “बड़ी ट्रेड डील” पर बातचीत चल रही है, जिसमें ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिकी कंपनियों को भारत में पूर्ण पहुँच मिले ।
- पाकिस्तान को रणनीतिक समर्थन: पाकिस्तानी जनरलों के साथ हालिया मुलाकातें दिखाती हैं कि ट्रंप उन्हें क्षेत्रीय सुरक्षा भागीदार मानते हैं।
📢 “ऐतिहासिक दावा” या “छवि निर्माण”?
ट्रंप का 19वीं बार यह दावा दोहराना अंतरराष्ट्रीय राजनीति में उनकी “डीलमेकर” छवि को मजबूत करने की रणनीति लगता है। जबकि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि “हम किसी मध्यस्थ को स्वीकार नहीं करते”, ट्रंप इस घटना को अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि गाजा और ईरान-इजरायल संघर्ष में हस्तक्षेप का दावा करने के बाद ट्रंप “वैश्विक शांतिदूत” की भूमिका में आना चाहते हैं ।
⚠️ अगला लक्ष्य गाजा?: ट्रंप ने घोषणा की कि वे “अगले सप्ताह के भीतर गाजा में सीजफायर” करवाएंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इजरायल-हमास इस पर सहमत होते हैं ।