बलूच नेता का बयान: “भारत 1971 की जब्त बंदूकें दे दो, हम पाकिस्तानी सेना को हरा देंगे

नई दिल्ली, 21 जून 2025 (स्मार्टखबरी डेस्क): बलूच स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता डॉ. अल्लाह नजर बलूच ने भारत से एक चौंकाने वाली अपील की है। उन्होंने कहा कि यदि भारत सरकार 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना से जब्त की गई 93,000 बंदूकें बलूच लड़ाकों को उपलब्ध करा दे, तो वे पाकिस्तानी सेना को परास्त कर देंगे। यह बयान ऐसे समय में आया है जब बलूचिस्तान में विद्रोही हिंसा चरम पर है।

🔥 बयान की मुख्य बातें:

  • ऐतिहासिक संदर्भ: “1971 में भारत ने पाकिस्तानी सेना को हराकर 93,000 सैनिकों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया था। उनकी बंदूकें भारत के पास हैं।”
  • निवेदन: “वे हथियार हमें प्रत्येक के साथ 10-10 गोलियों के साथ दे दो। हमें मिसाइल या तोपों की जरूरत नहीं।”
  • दावा: “हम उन्हीं हथियारों से पाकिस्तानी सेना को हराकर बलूचिस्तान को आजाद करा लेंगे।”

📜 पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और वर्तमान हालात:

  • घटती सेना क्षमता: पाकिस्तानी सेना पहले से ही बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में विद्रोहियों के हमलों से जूझ रही है। जून 2025 तक 500+ सैनिक मारे जा चुके हैं।
  • भारत की चुप्पी: अब तक भारत सरकार ने डॉ. बलूच के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
  • अंतरराष्ट्रीय दबाव: बलूच नेता पहले भी संयुक्त राष्ट्र से पाकिस्तान में “मानवाधिकार उल्लंघन” की जांच की मांग कर चुके हैं।

⚖️ विश्लेषण: क्यों प्रासंगिक है यह मांग?

  1. सैन्य संकट: पाकिस्तानी सेना का ध्यान अफगानिस्तान सीमा और ईरान-इजरायल तनाव में उलझा है, जिससे बलूचिस्तान में विद्रोहियों को रणनीतिक लाभ मिल रहा है।
  2. ऐतिहासिक प्रतीकात्मकता: 1971 की पराजय पाकिस्तानी सेना के लिए एक कलंक है। बलूच नेता ने जानबूझकर इस घाव को छेड़ा है।
  3. भारत की भूमिका: भारत अब तक बलूच मुद्दे पर औपचारिक तटस्थता बनाए हुए है, लेकिन यह बयान दिल्ली के लिए नई कूटनीतिक चुनौती पेश करता है।

“पाकिस्तान ने हमें 75 वर्षों से गुलाम बनाकर रखा है। हमारे लोगों का खून नदियों की तरह बहाया जा रहा है। भारत के पास वो हथियार हैं जो पाकिस्तानी हुकूमत की नाकामी का प्रतीक हैं। उन्हें हमें सौंपकर भारत इतिहास के सही पक्ष में खड़ा हो सकता है।”
— डॉ. अल्लाह नजर बलूच, बलूच नेशनल मूवमेंट के प्रवक्ता

📈 बड़ी तस्वीर:

  • अंतरराष्ट्रीय समर्थन: बलूच समूह अमेरिका, यूरोप में पाकिस्तान के “सैन्य अत्याचारों” के खिलाफ लॉबी कर रहे हैं।
  • सीपीईसी प्रभाव: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर बलूच हमले बढ़े हैं, जिससे बीजिंग चिंतित है।
  • पाकिस्तान का दोहरा संकट: आर्थिक पतन और विद्रोही हिंसा ने पाकिस्तान को निर्णायक कमजोर बना दिया है।

स्रोत: बलूच नेशनल मूवमेंट के प्रेस विज्ञप्ति, पाकिस्तानी सैन्य रिपोर्ट्स, ऐतिहासिक अभिलेख।
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संपादकीय नोट: यह खबर मूल बयानों और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। भारत सरकार ने अब तक इस विषय पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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