नई दिल्ली 28 अप्रैल: बीते 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत को गहरे दुख और आक्रोश में डुबो दिया। इस हमले में 26 लोगों की जान गई, जिसमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था।
इस बर्बर घटना के जवाब में भारत ने सख्त कदम उठाए, जिनमें अटारी सीमा से 537 पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजना और जम्मू-कश्मीर विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित करना प्रमुख हैं।
ये कदम न केवल भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाते हैं, बल्कि देश की एकता और दृढ़ संकल्प को भी रेखांकित करते हैं।
अटारी सीमा: 537 पाकिस्तानी नागरिकों की वापसी
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए और उन्हें 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया। इसी कड़ी में अब तक पंजाब के अटारी-वाघा सीमा से 537 पाकिस्तानी नागरिकों को उनके देश वापस भेजा गया।
यह कार्रवाई भारत की सख्त नीति का हिस्सा थी, जिसके तहत SAARC वीजा छूट योजना को निलंबित कर दिया गया और अटारी की एकीकृत चेक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया।
इस दौरान, 116 भारतीय नागरिक भी पाकिस्तान से अटारी सीमा के रास्ते भारत लौटे। हालांकि, कुछ भारतीय पासपोर्ट धारक महिलाओं, जो पाकिस्तान में ब्याही गई थीं, ने दस्तावेजों के बावजूद समस्याओं का सामना करने की बात कही।
यह कदम भारत के उस दृढ़ रुख को दर्शाता है कि आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह नियम उन पाकिस्तानी हिंदू नागरिकों पर लागू नहीं होगा, जिन्हें भारत में लॉन्ग-टर्म वीजा प्रदान किया गया है।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा का विशेष सत्र
पहलगाम हमले के छह दिन बाद, 28 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने एक विशेष एक-दिवसीय सत्र आयोजित किया। इस सत्र का उद्देश्य हमले की कड़े शब्दों में निंदा करना, पीड़ितों को श्रद्धांजलि देना और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करना था।
सत्र की शुरुआत में उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें हमले को “कश्मीरियत, संवैधानिक मूल्यों और एकता के खिलाफ हमला” करार दिया गया।
सदन ने दो मिनट का मौन रखकर मृतकों को श्रद्धांजलि दी और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। प्रस्ताव में आतंकवाद के नापाक इरादों को हराने के लिए दृढ़ संकल्प जताया गया और सभी राज्यों से कश्मीरी छात्रों व नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की गई।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस अवसर पर कहा, “आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई जरूरी है। कश्मीर के लोग निर्दोषों की हत्या के खिलाफ एकजुट हैं, और इस समर्थन को और मजबूत करना होगा।” यह सत्र जम्मू-कश्मीर के सियासी इतिहास में आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का एक महत्वपूर्ण क्षण बन गया।
भारत का कड़ा रुख
पहलगाम हमले के बाद भारत ने कई अन्य कदम भी उठाए, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, पाकिस्तानी राजनयिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश देना और वाघा-अटारी सीमा पर होने वाले ‘बीटिंग रिट्रीट’ समारोह को स्थगित करना शामिल है।
इन कदमों ने न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव को बढ़ाया, बल्कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति को वै158 मंच पर भी रेखांकित किया।
भारत ने दिया दृढ़ जवाब
अटारी सीमा से 537 पाकिस्तानी नागरिकों की वापसी और जम्मू-कश्मीर विधानसभा का विशेष सत्र पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के त्वरित और दृढ़ जवाब का हिस्सा हैं। ये कदम भारत की उस प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं कि वह आतंकवाद के खिलाफ किसी भी कीमत पर लड़ेगा।
अटारी सीमा पर कार्रवाई ने भारत की सीमाओं को सुरक्षित करने का संदेश दिया, जबकि विधानसभा सत्र ने देश की एकता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए सामूहिक संकल्प को प्रदर्शित किया। यह समय है कि भारत एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और मजबूत करे।
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लेखक: अवधेश यादव | प्रकाशन तिथि: 28 अप्रैल 2025