नई दिल्ली, 21 जुलाई: क्या आपने कभी सोचा कि कोई इंसान अपने सबसे करीबी लोगों को, अपनी जिंदगी की सबसे खूबसूरत यादों को भूल सकता है? Saiyaara फिल्म ने अल्ज़ाइमर डिजीज (Alzheimer’s Disease) की इस दर्दनाक सच्चाई को पर्दे पर उतारा है।
अल्ज़ाइमर डिजीज: एक ऐसी बीमारी जो यादों को चुरा लेती है
18 जुलाई 2025 को रिलीज हुई फिल्म Saiyaara में अभिनेत्री अनीत पड्डा का किरदार अल्ज़ाइमर से जूझता है। एक सीन में वह अपने प्रेमी से “I love you” कहती है, और अगले ही पल उसे पहचानने से इनकार कर देती है। यह दृश्य न केवल दिल को छूता है, बल्कि अल्ज़ाइमर रोग की गंभीरता को भी उजागर करता है।
इस गंभीर बीमारी की पूरी तह तक जाने के लिए हमने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर व मनोचिकित्सक डॉ सी.के. रस्तोगी से मुलाकात की तथा उनसे इस खतरनाक बीमारी के बारे में जाना। उनके द्वारा साझा की गई जानकारी को हम इस आर्टिकल में कवर कर रहे है। डॉ रस्तोगी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस आर्टिकल में हम अल्ज़ाइमर डिजीज (Alzheimer’s Disease) के बारे में विस्तार से जानेंगे – यह क्या है, इसके लक्षण, कारण, और बचाव के उपाय क्या हैं।
अल्ज़ाइमर रोग क्या है?
अल्ज़ाइमर डिजीज एक प्रगतिशील न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी (Progressive Neurodegenerative Disease) है, जिसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होने लगती हैं। यह बीमारी याददाश्त, सोचने-समझने की क्षमता, और व्यवहार को प्रभावित करती है। समय के साथ मरीज इतना भूलने लगता है कि वह अपने नाम, परिवार, और रोजमर्रा के कामों को भी याद नहीं रख पाता।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं, जिसमें से 60-70% मामले अल्ज़ाइमर रोग के हैं। भारत में भी यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है, खासकर बुजुर्ग आबादी में।
Saiyaara ने क्यों बटोरी सुर्खियां?
Saiyaara ने अल्ज़ाइमर डिजीज को एक संवेदनशील और इमोशनल तरीके से पेश किया है। फिल्म में वाणी (अनीत पड्डा) को शुरुआती अल्ज़ाइमर का सामना करना पड़ता है, जो उसकी प्रेम कहानी को और मार्मिक बनाता है। सोशल मीडिया पर इस बीमारी को लेकर चर्चा तेज हो गई है, क्योंकि फिल्म ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि लोगों को इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक भी किया।
अल्ज़ाइमर डिजीज के लक्षण
अल्ज़ाइमर डिजीज के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और समय के साथ गंभीर हो जाते हैं। शुरुआती संकेतों को अक्सर लोग सामान्य भूलने की आदत समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन अगर ये लक्षण बार-बार दिखें, तो सतर्क हो जाना चाहिए:
- रोजमर्रा के कामों को भूल जाना: जैसे कि घर का रास्ता भूलना या बिल्स का भुगतान भूल जाना।
- समस्याओं को हल करने में दिक्कत: साधारण गणना या निर्णय लेने में परेशानी।
- शारीरिक समन्वय में कमी: चलने-फिरने या सामान्य कामों में असंतुलन।
- नाम और चेहरों को भूलना: करीबी लोगों को पहचानने में असमर्थता।
- सामाजिक दूरी: सामाजिक गतिविधियों से कटना या व्यवहार में बदलाव।
- मूड स्विंग्स: चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, या बेचैनी।
Saiyaara में वाणी का किरदार इनमें से कई लक्षणों को दर्शाता है, जैसे कि अपने प्रेमी को भूल जाना या अपनी कविताओं को याद न रख पाना।
अल्ज़ाइमर रोग के कारण
अल्ज़ाइमर डिजीज का सटीक कारण अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों ने कुछ प्रमुख कारकों की पहचान की है:
1. मस्तिष्क में प्रोटीन का जमा होना
- बीटा-एमिलॉयड (Beta-Amyloid): यह एक चिपचिपा पदार्थ है, जो मस्तिष्क में प्लाक बनाता है और न्यूरॉन्स के बीच संचार को बाधित करता है।
- टाउ प्रोटीन (Tau Tangles): यह प्रोटीन मस्तिष्क की कोशिकाओं में उलझे हुए तंतु बनाता है, जिससे कोशिकाएं मरने लगती हैं।
2. हिप्पोकैंपस पर प्रभाव:
मस्तिष्क का हिप्पोकैंपस हिस्सा, जो याददाश्त का केंद्र है, सबसे पहले प्रभावित होता है। यही कारण है कि अल्ज़ाइमर के मरीज सबसे पहले अपनी ताजा यादों को खो देते हैं।
3. जोखिम कारक:
- उम्र: 65 वर्ष से अधिक उम्र में यह बीमारी सबसे आम है।
- पारिवारिक इतिहास: अगर परिवार में किसी को अल्ज़ाइमर रहा है, तो जोखिम बढ़ जाता है।
- जीवनशैली: धूम्रपान, शराब, मधुमेह, स्ट्रोक, या सिर में चोट इस बीमारी को ट्रिगर कर सकते हैं।
- हृदय रोग: उच्च रक्तचाप या कोलेस्ट्रॉल भी जोखिम बढ़ाते हैं।
क्या अल्ज़ाइमर का इलाज संभव है?
फिलहाल अल्ज़ाइमर डिजीज का कोई पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन शुरुआती निदान और सही देखभाल से इसके लक्षणों को धीमा किया जा सकता है। कुछ उपाय इस प्रकार हैं:
- दवाएं: डोनेपेजिल (Donepezil) और रिवास्टिग्माइन (Rivastigmine) जैसी दवाएं लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
- लाइफस्टाइल में बदलाव: नियमित व्यायाम, खासकर योग और मेडिटेशन। संतुलित आहार, जैसे कि मेडिटेरेनियन डाइट (जिसमें नट्स, फल, और मछली शामिल हों)। मानसिक गतिविधियां, जैसे पहेलियां सुलझाना या किताबें पढ़ना जैसी गतिविधियों को करके अल्ज़ाइमर डिजीज पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है।
- सपोर्ट सिस्टम: परिवार और दोस्तों का साथ मरीज के लिए बहुत जरूरी है।
Saiyaara में दिखाया गया है कि कैसे वाणी का प्रेमी उसका साथ देता है, जो इस बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए एक प्रेरणा है।
भारत में अल्ज़ाइमर रोग की स्थिति
भारत में अल्ज़ाइमर रोग तेजी से बढ़ रहा है। Lancet की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत में डिमेंशिया के मामले 1.1 करोड़ तक पहुंच सकते हैं। इसके बावजूद, भारत में इस बीमारी को लेकर जागरूकता बहुत कम है।
- शुरुआती निदान: न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह और टेस्ट जैसे एमआरआई या सीटी स्कैन।
- सपोर्ट सिस्टम: परिवार और दोस्तों का भावनात्मक समर्थन।
सपनों को बचाएं, यादों को संभालें
Saiyaara ने न केवल एक खूबसूरत प्रेम कहानी दिखाई, बल्कि अल्ज़ाइमर रोग जैसी गंभीर बीमारी को भी सामने लाया। यह फिल्म हमें सिखाती है कि प्यार और देखभाल इस बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए सबसे बड़ा सहारा है।
अगर आपके परिवार में कोई बुजुर्ग है, तो उनके व्यवहार पर नजर रखें। शुरुआती लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। क्या आपने Saiyaara देखी? और क्या आप अल्ज़ाइमर रोग के बारे में और जानना चाहेंगे? हमें कमेंट में बताएं और इस जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हों।
स्वस्थ रहें, जागरूक रहें!