Trump’s Tariff Hike: भारत के मेटल एक्सपोर्ट पर 39 हजार करोड़ की चोट, WTO में होगी लड़ाई!

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर अपने आर्थिक राष्ट्रवाद का तुरुप का पत्ता खेला है। स्टील और एल्यूमीनियम इंपोर्ट पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% करने की घोषणा ने भारत समेत कई देशों की कमर तोड़ दी है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस बढ़ोतरी से भारत के 4.56 बिलियन डॉलर (लगभग 39 हजार करोड़ रुपए) के मेटल एक्सपोर्ट पर सीधा असर पड़ेगा। 4 जून 2025 से लागू होने वाली यह हाई ड्यूटी भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए एक बड़ा झटका है, जो अमेरिका को स्टील और एल्यूमीनियम का बड़ा सप्लायर रहा है।

टैरिफ बढ़ोतरी से भारतीय मैन्युफैक्चरर्स की बढ़ेगी लागत।

GTRI की रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2025 में भारत ने अमेरिका को 587.5 मिलियन डॉलर का लोहा और स्टील, 3.1 बिलियन डॉलर के लोहा-स्टील प्रोडक्ट्स और 860 मिलियन डॉलर के एल्यूमीनियम प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट किए। लेकिन अब टैरिफ बढ़ोतरी से भारतीय मैन्युफैक्चरर्स की लागत बढ़ेगी, जिससे उनकी कॉम्पिटिटिवनेस पर असर पड़ेगा। अमेरिकी बाजार में भारत की हिस्सेदारी और प्रॉफिटेबिलिटी को गंभीर चुनौती मिलने वाली है। GTRI ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी स्टील की कीमतें 1,180 डॉलर (लगभग 1 लाख रुपए) प्रति टन से ऊपर जा सकती हैं, जो ऑटोमोटिव, कंस्ट्रक्शन और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स को प्रभावित करेगा।

ट्रम्प के ‘नेशनल सिक्योरिटी’ कार्ड ने की भारत के मेटल एक्सपोर्ट पर चोट।

ट्रम्प ने US ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट 1962 की धारा 232 के तहत यह फैसला लिया है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर ट्रेड रिस्ट्रिक्शंस लगाने का प्रावधान है। 2018 में ट्रम्प ने पहली बार इस प्रावधान का इस्तेमाल किया था, जब स्टील पर 25% और एल्यूमीनियम पर 10% टैरिफ लगाया गया।

फरवरी 2025 में एल्यूमीनियम टैरिफ को बढ़ाकर 25% किया गया, और अब दोनों को 50% करने की घोषणा ने वैश्विक व्यापार को हिलाकर रख दिया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह वाकई राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला है, या फिर ट्रम्प का आर्थिक राष्ट्रवाद और घरेलू इंडस्ट्री को फायदा पहुंचाने का खेल?

ट्रम्प ने नेशनल सिक्योरिटी कार्ड का गेम खेल कर भारत के मेटल एक्सपोर्ट पर प्रहार कर दिया है। ऐसे में अब अमेरिका-भारत ट्रेड वार होना तय माना जा रहा है क्योंकि यह पहली बार नही है जब अमेरिका ने भारत के ऊपर अनैतिक रूप से ट्रेरिफ लगाया हो।

अमेरिका किन देशों से स्टील खरीदता है?

अमेरिका विभिन्न देशों से स्टील आयात करता है। Tradeimex और अन्य स्रोतों के आधार पर, 2024 में अमेरिका के शीर्ष 10 स्टील आयातक देशों की सूची नीचे दी गई है। यह डेटा आयात मूल्य (करोड़ रुपये में) और मात्रा (लाख टन में) के आधार पर है।

देशस्टील आयात (लाख टन में)मूल्य (करोड़ रुपये में)
कनाडा63.973 हजार
ब्राजील34.939 हजार
मैक्सिको28.532 हजार
दक्षिण कोरिया15.317 हज़ार
जर्मनी11.813 हजार
जापान9.410 हजार
ताइवान6.06.8 हजार
नीदरलैंड5.86.6 हजार
स्वीडन5.66.4 हजार
इटली5.46.2 हजार

पर्यावरण पर भी पड़ेगा असर

GTRI ने ट्रम्प के इस कदम को पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक बताया है। स्टील और एल्यूमीनियम प्रोडक्शन से ग्लोबल कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है। जहां भारत जैसे देश पर्यावरण अनुकूल प्रोडक्शन मेथड्स में निवेश कर रहे हैं, वहीं अमेरिकी पॉलिसी में पर्यावरणीय चिंताओं का अभाव है।

“यह फैसला ट्रम्प प्रशासन की आर्थिक राष्ट्रवाद की प्राथमिकता को दर्शाता है, जो ग्लोबल क्लाइमेट गोल्स और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के प्रति अमेरिका के कमिटमेंट पर सवाल खड़े करता है।”- GTRI

WTO में होगी लड़ाई

भारत ने इस टैरिफ बढ़ोतरी के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) में नोटिफिकेशन फाइल किया है। WTO एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो 164 सदस्य देशों के बीच वैश्विक व्यापार नियमों को लागू करता है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यापार को सुगम बनाना और अनुचित ट्रेड प्रथाओं को रोकना है। भारत अब WTO के डिस्प्यूट सेटलमेंट मैकेनिज्म के जरिए अमेरिका के इस कदम को चुनौती दे सकता है। साथ ही, भारत एडिशनल रिस्पांस मेजर्स की तलाश में है, जैसे जवाबी टैरिफ लगाना या अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर रिस्ट्रिक्शंस बढ़ाना।

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ट्रम्प की पॉलिसी: एकतरफा और खतरनाक

ट्रम्प की यह पॉलिसी न सिर्फ भारत बल्कि कनाडा, ब्राजील, मैक्सिको जैसे देशों को भी नुकसान पहुंचाएगी। यह एकतरफा फैसला वैश्विक व्यापार को अस्थिर करेगा और आपसी सहयोग की भावना को कमजोर करेगा। ट्रम्प का यह रवैया ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति को तो मजबूत करता है, लेकिन ग्लोबल ट्रेड और पर्यावरणीय लक्ष्यों को नजरअंदाज करता है। भारत को अब सख्त रुख अपनाना होगा, वरना उसकी मेटल इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है।

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ट्रम्प की टैरिफ बढ़ोतरी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह न सिर्फ आर्थिक नुकसान पहुंचाएगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय और व्यापारिक संतुलन को भी प्रभावित करेगी। भारत को WTO में अपनी लड़ाई तेज करनी होगी और जवाबी कदमों के जरिए अपनी इंडस्ट्री को बचाना होगा। क्या ट्रम्प का यह कदम वाकई अमेरिका को फायदा पहुंचाएगा, या यह ग्लोबल ट्रेड में एक नई जंग की शुरुआत है? यह आने वाला वक्त बताएगा, फिलहाल भारत के मेटल एक्सपोर्ट पर ट्रम्प ने जो प्रहार किया है उससे भारत के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है।

Avadhesh Yadav
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